जापान से मोदी ने बहुत कुछ पाया
18-Sep-2014 06:02 AM 1234781

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान परमाणु करार की हसरत लेकर गए थे ताकि भारत के ऊर्जा संकट को कम किया जा सके फिलहाल जापान ने परमाणु करार पर भारत का आग्रह मान्य नहीं

किया। जापान के कई देशों से परमाणु करार हैं लेकिन उनकी तासीर अलग है। जहां तक भारत का प्रश्र है भारत जापान के साथ लंबे समय से परमाणु समझौते के लिए प्रयासरत है और यह उतना ही महत्वपूर्ण है जितना अमेरिका के साथ किया गया परमाणु समझौता। किंतु मोदी की जापान यात्रा को असफल नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कई मोर्चों पर अपने पूर्ववर्तियों के मुकाबले बेहतर काम किया और एक तरह से सफल विदेश नीति का उदाहरण भी प्रस्तुत किया। मोदी ने जापान के निवेशकों को यह विश्वास दिलाया कि उनकी सरकार विदेशी निवेश के क्षेत्र में आने वाली सभी बाधाओं को गंभीरता से दूर करने के लिए प्रयास कर रही है। चीन के साथ द्वीपों के विवाद और सीमा विवाद में उलझा जापान भारत को वैसे भी एक महत्वपूर्ण बाजार और निवेश क्षेत्र के रूप में देखता है इसीलिए प्रधानमंत्री मोदी की बिजनेस फ्रेंडली छवि को देखते हुए जापान ने अगले पांच सालों में भारत में करीब 2 लाख 10 हजार करोड़ रुपए निवेश करने का ऐलान किया है। भारत ने रक्षा में 49 प्र्रतिशत विदेशी निवेश की घोषणा हाल के बजट में की थी। इसी का असर रहा कि दोनों देशों के बीच रक्षा क्षेत्र में सहयोग के लिए जापान ने भारत की 6 कंपनियों से प्रतिबंध हटा लिया है। इसमें एचएएल समेत 6 महत्वपूर्ण कंपनियां शामिल हैं। ज्ञात रहे कि 1998 में वाजपेयी सरकार के परमाणु परीक्षण करने के कारण जापान ने कई प्रतिबंध लगा दिए थे। ये संयोग की ही बात है कि जिस सरकार के कार्यकाल में प्रतिबंध लगाए गए उसी सरकार के कार्यकाल में जापान ने ये प्रतिबंध हटाए हैं।
भारत और जापान के बीच सदियों पुराने सांस्कृतिक संबंध हैं। बौद्ध धर्म भारत से ही जापान पहुंचा और जापान की आध्यात्मिक तथा भौतिक उन्नति में बौद्ध धर्म ने महती भूमिका निभाई। कभी भारत से ही जापान ने सीखा था कि नदी, पर्वत, झरनों सहित प्रकृति को कैसे संजोया जाए और निर्मल रखा जाए। आज भारत जापान से सीख रहा है, यह समय का ही परिवर्तन है कि जापान अपने पारंपरिक और धार्मिक महत्व के शहर क्योटो की तर्ज पर भारत की धर्म नगरी वाराणसी को विकसित करने में सहयोग देने के लिए तत्पर है। वाराणसी को स्मार्ट सिटी बनाया जाएगा लेकिन उसके धार्मिक महत्व को वैसे ही बनाए रखा जाएगा। गंगा सफाई अभियान में भी जापान सरकार मोदी सरकार के गंगा पुनर्जीवन अभियान में मदद करेगी। भारत और जापान के बीच एक सेतु और है जो दोनों को दिलों से जोड़ता है। भारत ने कभी आक्रांताओं को जन्म नहीं दिया और सदैव ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में प्रगति को महत्व दिया ताकि विश्व भर में सभी सुखी और समृद्ध रहें। आर्यभट्ट के काल से ही भारत विज्ञान के सतत् अन्वेषण में लगा हुआ है। कुछ ऐसी ही स्थिति जापान की है जिसने विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति करते हुए सारे विश्व में जापान को एक उन्नत और वैज्ञानिक दृष्टि संपन्न राष्ट्र के रूप में प्रतिष्ठित किया है। यह सुखद ही है कि जापान में स्टेम सेल के जनक और नोबल पुरस्कर विजेता शिन्या यमानका ने भारतीय युवा वैज्ञानिकों को क्योटो यूनीवर्सिटी के सेंटर फॉर आईपीएस सेल रिसर्च एंड एप्लिकेशन में शोध के लिए आमंत्रित किया है। नरेंद्र मोदी ने अपनी जापान यात्रा का विस्तार केवल राजनायिकों तक ही नहीं किया बल्कि वे भारत के सांस्कृतिक दूत बनकर भी जापान में सत्ता और शासन के सर्वोच्च जनों से मिले। गीता भारत की सांस्कृतिक पहचान है। कतिपय राजनीतिक दलों ने अपने स्वार्थ के लिए गीता का सांप्रदायीकरण भले ही कर दिया हो किंतु सत्य तो यह है कि पवित्र कुरान और पवित्र बाइबिल की तरह पवित्र गीता भी किसी एक धर्म का ग्रंथ नहीं है बल्कि यह मानवता की धरोहर है। इसीलिए पीएम मोदी ने जापान के राजा अकिहितो से मुलाकात की और उपहार स्वरूप उनको गीताÓ भेंट की। मोदी की यह यात्रा दो देशों के साथ-साथ दो दिलों को मिलाने वाली भी साबित हुई। पीएम मोदी के जापान पहुंचने पर प्रधानमंत्री शिंजो अबे ने उनके सम्मान में पारंपरिक चाय पार्टी दी थी। उसमें मोदी ने चानोयुÓ का आनंद लिया। मोदी ने जनता से जुडऩे का भी सूत्र अपनाया। उन्होंने टोक्यो में टीसीएस कंपनी के उद्घाटन के मौके पर पारंपरिक ताइकोÓ ढोल बजाया। उसके बाद उन्होंने जापानी निवेशकों के लिए भारत में रेड टेप नहीं, रेड कार्पेट बिछाने का वादा किया। मोदी ने जापान से रिश्तों को मजबूत करने के साथ ही चीन पर हमला करके जापान का भरोसा भी जीता। मोदी अपनी यात्रा के समापन पर बोले कि उनके लिए सबसे बड़ी खुशी की बात ये है कि जापान भारत की बात पर भरोसा करता है। यह यात्रा सफल कही जा सकती है। मौजूृदा विश्व में विस्तारवाद की नहीं बल्कि सह अस्तित्व की आवश्यकता है। मोदी ने चीन के विस्तारवाद पर कटाक्ष करते हुए सारी दुनिया को भी संदेश देने की कोशिश की है।

 

-IndraKumar Binnani

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