18-Sep-2014 05:56 AM
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योगी आदित्यनाथ ने यूपी में प्रशासन की महानी के बावजूद लखनऊ में चुनावी रैली करके राजनीतिक स्टंटबाजी तेज कर दी है। उधर मुलायम ने पाक को छोटा भाई कहा है। उत्तरप्रदेश में म़ुलायम

सिंह यादव और कल्बे जब्बाद के बीच बढ़ती नजदीकी ने सुन्नी समुदाय को नाराज कर दिया है। वैसे भी लोकसभा चुनाव में सुन्नियों ने समाजवादी पार्टी के खिलाफ जमकर वोट किया था और उनके मत विभाजन का फायदा भाजपा ने उठाया। अब मामला ज्यादा गंभीर हो चला है ईराक में आईएसआईएस के आतंकवादियों द्वारा बेगुनाह शियाओं की हत्या के बाद उत्तरप्रदेश में शिया और सुन्नी आमने-सामने हैं। इसका असर भारत में भी देखा जा रहा है खासकर यूपी में जहां शिया और सुन्नियों के बीच खूनी संघर्ष होता रहा है और शियाओं ने आमतौर पर भाजपा का साथ दिया है। लेकिन दंगों के बाद जो ध्रुवीकरण हुआ उसके चलते शिया भाजपा से दूर हो गए तो सुन्नियों ने मुलायम सिंह यादव से किनारा कर लिया।
सुन्नियों का आरोप है कि अखिलेश यादव सरकार ने दंगों के दौरान हिंदु संगठनोंं की तरफदारी की और सुन्नियों को चुन-चुन कर मारा गया। इस आरोप में सच्चाई है अथवा नहीं यह तो कहा नहीं जा सकता लेकिन दंगों के बाद से सुन्नी समाजवादी पार्टी से दूर हुए हैं और शियाओं को मुलायम के रूप में एक नया पैरोकार मिला है। मुलायम, मायावती के साथ मिलकर बीजेपी विरोधी सियासत को हवा देने के लिए रास्ता तलाश रहे थे लेकिन मायावती ने उसको खारिज कर दिया। अब जो मत प्रतिशत लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिला था वही विधानसभा में भी मिल गया तो उत्तरप्रदेश से मुलायम का सफाया होना तय है। वैसे भी भाजपा भीतर ही भीतर मायावती को साधने में कामयाब रही है। दिल्ली विधानसभा चुनाव के समय बसपा और भाजपा में गुप्त समझौते की संभावना है। मुलायम नए साथियों को तलाश रहे हैं और सुन्नियों की नाराजगी के चलते हर हाल में शियाओं को अपने पक्ष में रखना चाहते हैं। इसीलिए जब उत्तरप्रदेश में शिया संगठन ऑल इंडिया शिया हुसैनी फंड ने अबूबक्र बगदादी सहित तमाम आतंकवादियों के सिर काटने वाले को 5 करोड़ के इनाम की घोषणा की और इस संबंध में पोस्टर जारी किया तो सरकार ने न तो किसी को गिरफ्तार किया और न ही कोई सख्ती दिखाई बल्कि शियाओं को सुरक्षा देने के लिए विशेष इंतजामात भी मुलायम ने भीतर ही भीतर करवा दिए। इससे यह तो तय है कि मुलायम महागठबंधन को लेकर ज्यादा उत्साहित नहीं हैं। वैसे भी मुस्लिम परस्त नेता की उनकी छवि अब उन्हें खासा परेशान कर रही है। मुलायम इस छवि से बाहर आना चाहते हैं और कांग्रेस की तरह उनकी भी कोशिश यह है कि हिंदु समुदाय जाति, संप्रदाय आदि की राजनीति में उलझकर बंटा रहे। जब संतों ने साईं बाबा को मंदिर से बेदखल करने का फरमान जारी किया तो उस राजनीति के पीछे भी कहीं न कहीं यही मंशा छिपी हुई थी। लेकिन संतों के फरमान को लेकर हिंदु समाज बंट नहीं पाया और यह दांव भी बेकार चला गया। अब मुलायम हिंदुवादी राजनीति पर उतर आए हैं। वे कार सेवकोंं पर गोली चलवाने के लिए बारंबार दुख जता चुके हैं और अब तो उन्होंने कई मंचों से घोषणा कर दी है कि वे राम मंदिर निर्माण के खिलाफ नहीं हैं और अदालत का फैसला इस सिलसिले में मान्य होगा। उधर मुलायम को परेशान करने के लिए कृष्ण लला के मंदिर के पास बनी मस्जिद का मुद्दा गर्माया जा रहा है। यादव समुदाय की संवेदना इस मंदिर से जुड़ी है और कृष्ण जन्म स्थान का विवाद उत्तरप्रदेश में नए ध्रुवीकरण का कारण बन सकता है। लेकिन फिलहाल तो यूपी के दंगे और लव जिहाद सर चढ़कर बोल रहा है।
योगी आदित्यनाथ के विवादित बयान इस आग में घी का काम कर रहे हैं। आदित्यनाथ यूपी के माहौल को हिंदु बनाम मुस्लिम बनाए रखना चाहते हैं। भाजपा ने भी उन्हें एक तरह से छूट दे रखी है क्योंकि भाजपा जानती है कि उत्तरप्रदेश में जाति की राजनीति से फायदा नहीं मिलेगा बल्कि धर्म की राजनीति ही बेड़ा पार लगाएगी। गौ-हत्या से लेकर मंदिर में लाउडस्पीकर तक हर छोटी-बड़ी घटना भाजपा के लिए फिलहाल तो लाभदायी है लेकिन सवाल वही है कि नफरत की यह राजनीति कितनी लम्बी खिंचेगी।
दंगे मामले में गिरफ्तार संगीत सोम भी सांप्रदायिकता का राग अलाप रहे हैंं। इससे समाजवादी पार्टी पशोपेश में है। मुस्लिमों की तरफदारी सपा को महंगी पड़ सकती है क्योंकि मायावती भी अब उतनी सक्रिय नहीं हैं। उत्तरप्रदेश की सारी राजनीति जहरीली और दूषित होती जा रही है। जहां तक योगी आदित्यनाथ का प्रश्र है वे उमाभारती की तर्ज पर यूपी का मुख्यमंत्री बनने के ख्वाब देख रहे हैं। अमित शाह ने भी उन्हें शह देकर रखी है। शाह जानते हैं कि आदित्यनाथ भड़काऊ बयान देने में माहिर हैं और उनकी वेशभूषा जिस तरह की है उसके चलते भड़काऊ बयान एक सुनिश्चित दिशा में जाते प्रतीत होते हैं। उधर आजम खान भी कहीं न कहीं ऐसे बयान दे रहे हैं जिससे फायदा भाजपा को ही मिलता है। आजम खान ने हिंदु-मुस्लिम एकता के लिए जोधा-अकबर का उदाहरण दिया तो आदित्यनाथ ने आजम खां के हिंदू-मुस्लिम एकता की तुलना जोधा-अकबर से करने के बयान पर पलटवार करते हुए कहा है कि आजम खां गलतफहमी में न रहें। अब कोई जोधा अकबर के साथ नहीं जाएगी। अब दुष्ट सिकंदर अपनी बेटी चंद्रगुप्त को देगा। आजम देने को तैयार रहें, अब हमें लेना है। आदित्यनाथ ने यह भी कहा कि सपा को प्रदेश की जनता नहीं, बल्कि हिजबुल मुजाहिदीन और अल कायदा की ज्यादा चिंता है। प्रदेश में विकास का पैसा कब्रिस्तान की सुरक्षा में लगाया जा रहा है।
आदित्यनाथ के मुताबिक, जिस तरह धृतराष्ट्र को अपने बेटों और सगे-संबंधियों के दोष नहीं दिखाई दिए थे, वही हालत सपा मुखिया मुलायम सिंह की है। ढाई साल में 450 दंगे हुए और सूबे में हर दिन 250 से 300 घटनाएं दुष्कर्म, छेड़छाड़, हत्या आदि की घटनाएं हो रही हैं, लेकिन मुलायम सिंह दुष्कर्म जैसी घटनाओं को भी सामान्य बता देते हैं। उन्होंने मुजफ्फरनगर, सहारनपुर और कांठ दंगों का जिक्र करते हुए कहा कि कांठ प्रकरण में 60 से ज्यादा भाजपा कार्यकर्ताओं को जेल में डाल दिया गया। सहारनपुर में सपाई गुंडों ने दुकानों पर हमला किया। लेकिन अब डरने की बात नहीं है। कुछ दिन पहले एक टीवी कार्यक्रम में आदित्यनाथ ने कहा था, जिन जगहों पर 10-20 फीसदी अल्पसंख्यक हैं, वहां सांप्रदायिक दंगों की छिटपुट घटनाएं होती हैं। जहां उनकी आबादी 20- 35 फीसदी है, वहां गंभीर सांप्रदायिक दंगे होते है। जहां वे 35 फीसदी से ज्यादा हैं, वहां गैर मुसलमानों के लिए कोई जगह नहीं है। इससे पहले, उनका एक भड़काऊ भाषण सामने आया था, जिसमें एक हिंदू लड़की के बदले सौ मुस्लिम लड़कियों का धर्म परिवर्तन कराने की बात कहते नजर आए थे। इस पर उन्होंने कहा था, मैंने जो भी कुछ कहा, वह एक खास संदर्भ में कहा था। यदि दूसरी तरफ दानव है, मानव नहीं, तो उसका जवाब देना ही पड़ेगा। मेरे एक हाथ में माला है तो दूसरे में भाला है। संन्यासी के तौर पर मैं असुर शक्तियों को दंडित कर सकता हूं। आदित्यनाथ के इस बयान पर विपक्षी पार्टियों ने उनकी तीखी आलोचना की थी। उनका कहना था कि केसरिया ब्रिगेड देश में सांप्रदायिक माहौल बनाना चाहती है।
उधर विधानसभा उपचुनावों से पहले भाजपा विधायक संगीत सोम ने भी लव जिहाद का मुद्दा गरमा दिया है। विधायक ने इस मामले पर महापंचायत बुलाने की बात कही है। महापंचायत सोम के विधानसभा क्षेत्र मेरठ जिले के सरधना में बुलाई जाएगी। हालांकि, इसके लिए अभी तारीख तय नहीं की गई है और इस काम के लिए विधायक ने अपने समर्थकों की बैठक बुलाई है। महापंचायत में लव जिहाद के अलावा छेड़छाड़ और गौहत्या के मुद्दों पर भी चर्चा होगी। संगीत सोम को उम्मीद है कि महापंचायत में पश्चिमी उत्तर प्रदेश से एक लाख से ज्यादा लोग शामिल होंगे। उन्होंने कहा, लव जिहाद को काफी सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया जा रहा है और आतंकवादी संगठन भी इसमें शामिल हैं। महापंचायत में यह मुद्दा प्रमुख रहेगा क्योंकि पिछले कुछ सालों में लव जिहाद से जुड़े मामलों में काफी बढ़ोत्तरी हुई है। हम इस मुद्दे पर लोकतांत्रिक तरीके से चर्चा करेंगे। विधायक ने कहा, एक खास समुदाय के युवा हिंदू लड़कियों के छेड़छाड़ में शामिल हैं। स्थिति इतनी खराब है कि लड़कियां बेखौफ होकर घूम-फिर नहीं सकती हैं। सोम ने यह भी दावा किया कि करीब 400 लोगों ने उनसे मुलाकात कर कहा था कि छेड़छाड़ और गौ हत्या से जुड़ी शिकायतों पर पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। संगीत सोम को पिछले साल मुजफ्फरनगर में हुए दंगा मामले में अरेस्ट किया गया था। उन पर एक वीडियो साझा कर लोगों को भड़काने और भड़काऊ भाषण देने का आरोप था। केंद्र में भाजपा की सरकार बनने पर हाल में ही उन्हें जेड प्लस सुरक्षा दी गई है।
-Madhu aalok nigam