05-Sep-2014 09:06 AM
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उत्तरप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने लव-जिहाद के एजेंडे से कदम पीछे खींच लिए हैं। हालांकि भाजपा के रणनीतिकारों ने राममंदिर और हिंदुत्व की तरह लव-जिहाद को भी एक गर्मागरम मुद्दा

बताते हुए इसे चुनाव तक सुलगाए रखने का सुझाव दिया था किंतु भाजपा के अरमानों पर पानी फेरा धर्म संसद के साधुओं ने जिन्होंने सर्वानुमति से प्रस्ताव पारित किया कि साईं बाबा भगवान नहीं हैं। भाजपा को यह चिंता है कि साईं बनाम अन्य भक्तों की टकराहट में उसके हिंदु एकीकरण के अभियान को धक्का पहुंच सकता है। लिहाजा लव-जिहाद को चुनावी एजेंडे के केंद्र में रखना नीति संगत नहीं है। वैसे भी यह मुद्दा राजनीति से अधिक समाज का है। हिंदु-मुस्लिम विवाह के पीछे कुछ दक्षिण पंथी पार्टियां और संगठन लव-जिहाद की मानसिकता का योगदान बताते हैं और आरोप लगाते हैं कि यह हिंदुओंं के जनसंख्या संतुलन को बिगाडऩे और शुद्धता नष्ट करने का प्रयास है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में कहा था कि हिंदुओं में भेदभाव खत्म होना चाहिए और ऊंच-नीच, खान-पान, जाति बंधन आदि टूटते हुए प्रथक श्मशानों में अंतिम संस्कार आदि पर भी रोक लगनी चाहिए।
संघ का मानना है कि किसी दूसरे धर्म को आरोपित करने से पहले हिंदु समाज में सुधार जरूरी है। उत्तरप्रदेश में हिंदु, सवर्ण, दलितों सहित तमाम वर्गों में विभक्त हैं। जातिवादी राजनीति के लिए यह एक आदर्श और उर्वरा भूमि है। जिसमें समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी समेत तमाम जातिवादी राजनीतिक दलों की फसल लहलहा रही है। भाजपा जातिवाद से ऊपर उठकर धर्म की राजनीति करना चाहती है। इसी में उसका फायदा है। भाजपा को यह बेहतर तरीके से मालूम है कि जातिवाद की काट तभी तलाशी जा सकती है जब सामुदायिकता की आग धधकती रहे। पहले मुजफ्फर नगर समेत तमाम दंगोंं ने भाजपा को आदर्श वातावरण दिया और अब दंगों का गुबार कुछ थमा है तो लव-जिहाद का मुद्दा केंद्र में है। हाल ही में घटित कुछ घटनाएं भी इस आग में घी का काम कर रही हैं। जैसे बिहार में राष्ट्रीय शूटर तारा को किसी मुस्लिम नेता ने हिंदु बनकर अपने प्रेम जाल में फंसाया और उससे विवाह करके उसे जबरन मुस्लिम बनाने का प्रयास किया। जब प्रयास सफल नहीं हो पाया तो उस महिला को देह व्यापार में धकेलने की कोशिश की गई। मेरठ में भी कुछ ऐसी ही घटनाएं सुनाई पड़ीं। बाद में प्रदेश के कई हिस्सों से ये घटनाएं प्रतिध्वनित हुईं। दुविधा यह है कि इस तरह की घटनाओंं के चलते जो सांप्रदायिक तनाव बढ़ा है उसने समाजवादी पार्टी और बसपा को व्यापक नुकसान पहुंचाया है। अब ये दोनों पार्टियां अपनी परंपरागत राजनीति पर लौट रही हैं। समाजवादी पार्टी यादव-मुस्लिम समीकरण में पिछड़ों को जोडऩे के लिए अभियान चला रही है तो बसपा ने दलित एजेंडे को हवा दे दी है। लेकिन लव-जिहाद का मुद्दा भी कमजोर नहीं पड़ा है।
इसको लेकर कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी समेत कई दलों ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए उस पर सांप्रदायिकता फैलाने का आरोप लगाया है।
ट्विटर पर लोगों ने बीजेपी के कई मुस्लिम नेताओं द्वारा हिंदू महिलाओं से शादी करने के बावजूद इस तरह के मामलों को तूल देने पर भाजपा की जमकर आलोचना की। कई लोगों ने बीजेपी के नेता मुख्तार अब्बास नकवी और उनकी पत्नी सीमा का जिक्र किया तो कुछ ने बीजेपी के नेता शाहनवाज हुसैन और उनकी पत्नी रेनू के बारे में बताया गया। लोगों ने यहां तक कहा कि जब लोग काले धन जैसे मुद्दों की बात करने लगते हैं, तो बीजेपी ऐसे मुद्दे लाती है। बीजेपी के नेता सुब्रमण्यन स्वामी की बेटी सुहासिनी की नदीम से शादी का जिक्र किया गया। ऐक्टर धर्मेंद्र से शादी करने के लिए इस्लाम धर्म कबूल करने वालीं बीजेपी सांसद हेमा मालिनी पर भी निशाना साधा गया। धर्मेंद्र की पहली पत्नी ने जब उन्हें तलाक देने से इनकार कर दिया, तो उन्होंने शादी करने के लिए धर्मेंद्र और हेमा ने इस्लाम धर्म कबूल किया। यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ऐक्ट्रेस और बीजेपी सांसद हेमा मालिनी के गानों के जरिए लव जिहादÓ के मुद्दे पर बीजेपी को निशाना बनाया। अखिलेश ने कहा कि क्या प्यार पर पाबंदी लगाई जा सकती है? क्या लोगों को मिलने-जुलने से रोका जा सकता है? उन्होंने नाम लिए बगैर मथुरा से बीजेपी की सांसद हेमा मालिनी पर निशाना साधते हुए कहा, क्या आपने धर्मात्मा फिल्म के गाने सुने हैं, जिसमें बीजेपी सांसद ने काम किया है? जहां फिल्म के गाने ऐसे होंगे, वहां मोहब्बत बढ़ेगी या रुकेगी?Ó कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने इस मुद्दे पर ट्वीट के जरिए अपनी राय जाहिर की है। मनीष तिवारी ने ट्विटर पर लिखा, लव और जिहाद विरोधाभासी हैं। प्यार जिहाद नहीं हो सकता और जिहाद प्यार के लिए नहीं है। हंसी आती है कि ध्रुवीकरण करने की कोशिश में लगी बीजेपी शब्दावलियों को भी नहीं समझती है।
इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि लव-जिहाद शब्द को तूल देकर केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी विशेष रूप से उत्तर प्रदेश में सियासी फायदा उठाना चाहती है। चूंकि इसका सीधा नुकसान समाजवादी पार्टी को होगा इसलिए मुलायम और अखिलेश परेशान हैं। लव-जिहाद को लेकर केरल हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए केरल के पुलिस महानिदेशक से प्रदेश में तेजी से हिन्दू लड़कियों के धर्म परिवर्तन और मुसलमानों के द्वारा हिन्दू लड़कियों के साथ निकाह के मामले की जांच के आदेश दिए थे। लव जिहाद पर केरल के पूर्व वामपंथी मुख्यमंत्री अच्युतानंद ने विधानसभा में कहा था कि सऊदी अरब से मुस्लिम युवकों को हिन्दू लड़कियों को वश में करने के लिए खूब पैसे आ रहे हैं। लव जिहाद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज राकेश वर्मा ने भी चिंता जताई थी और यूपी के डीजीपी को लव जिहाद के 22 मामले की जांच करके रिपोर्ट देने को कहा था उस लव जिहाद का अगर कोई समर्थन करता हो तो कहीं न कहीं यह जरूर लगने लगता है कि दाल में कुछ काला जरूर है।
लव-जिहाद की वास्तविकता से इनकार नहीं किया जा सकता है। कहते हैं कि यह केरल से आरंभ हुआ है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि धार्मिक मामलों में केरल हिन्दुस्तान का सबसे सहिष्णू प्रदेश है। इस सहिष्णुता का फायदा उठाकर ईसाई और हिन्दू लड़कियों को मुस्लिम बनाने का जो तरीका अपनाया जा रहा है उसे लव-जिहाद की संज्ञा दी गई है। मुस्लिम लड़के हिन्दू और ईसाई लड़कियों को जान बूझकर प्रेम-पाश में फंसाते हैं और शादी से पहले या फिर शादी के बाद उन लड़कियों का धर्म परिवर्तित करा दिया जाता है। विश्व हिन्दू परिषद के नेता पिछले साल सितम्बर में हुए मुजफ्फरनगर दंगों के पीछे लव-जिहाद का हाथ होने हैं। महाराष्ट्र में भी संघ से जुड़े संगठनों ने लव-जिहाद का मुकाबला करना शुरू किया है। यहां इसी साल विधानसभी के चुनाव होने हैं। भाजपा और हिन्दूवादी संगठनों की राय में लव-जिहाद का मतलब मुस्लिम लड़के हिन्दू लड़कियों को बहला-फुसलाकर पहले शादी करते हैं, फिर धर्म परिवर्तन कराकर लड़की को आतंकवादियों के हवाले कर देते हैं या फिर किसी और को बेच देते हैं।
- Madhu Alok Nigam