17-Sep-2014 10:11 AM
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शिक्षक दिवस का नाम जैसे ही गुरु पर्व करने की अफवाह उड़ी बवाल मच गया। जैसे-तैसे यह बवाल शांत हुआ तो पता चला कि मोदी सारे देश के बच्चों को संबोधित करेंगे और सारे स्कूलों में

अनिवार्य रूप से मोदी का भाषण सुनाया जाएगा। अब स्कूलों में ऐसी व्यवस्था तो है नहीं फिर भी आदेश था तो तुगलकी फरमान को लागू करने के लिए स्कूलों ने जैसे-तैसे कुछ व्यवस्था जमाई और कुल मिलाकर सार यह रहा कि इस देश के नौनिहालों से लेकर नौजवानों तक सभी छात्रों में से कुछ ने मोदी का भाषण सुन लिया। हालांकि इसी स्वतंत्रता दिवस पर मोदी ने जीरो-डिफेक्ट और जीरो इफेक्ट की बात की थी पर न तो यह प्रोग्राम बिना किसी डिफेक्ट के संपन्न हो पाया और जहां तक इफेक्ट की बात है तो पूरे देश में माता-पिता अपनी कारों, वाहनों सहित तमाम साधनों से बच्चों को स्कूल छोडऩे पहुंचे तो इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितने हजार क्विंटल कार्बनडाई आक्साइड वातावरण में समा गई होगी। बहरहाल मोदी अच्छे वक्ता है इसलिए उन्होंने कुछ बातें भी अच्छी की।
बच्चों को संबोधित करते हुए मोदी ने सवाल किया कि आप इतने सामथ्र्यवान होते हुए अध्यापक बनना क्यों नहीं पसंद करते? पूरे देश के बच्चों ने भी मोदी से सवाल पूछे, जिसका पीएम ने खुलकर जवाब दिया। एक स्टूडेंट ने पूछा कि पीएम के जीवन में ज्यादा महत्व किसका है, अध्यापकों का या अनुभव का? इसके जवाब में पीएम ने कहा कि सही शिक्षा न मिले तो सिर्फ अनुभव से नुकसान हो सकता है। पीएम के मुताबिक, उनके जीवन में शिक्षा का उतना ही महत्व है, जितना कि अनुभवों का। एक अन्य सवाल के जवाब में पीएम ने कहा कि उनकी जिम्मेदारी पहले के मुकाबले अब बढ़ गई है और शब्दों के चयन को लेकर वे बेहद सतर्क रहते हैं। एक बच्चे ने मोदी से पूछा कि आपको हमसे बात करके क्या लाभ मिलता है तो मोदी ने कहा, मैं लाभ के लिए आपसे बात करने नहीं आया। सारे काम लाभ के लिए नहीं होते।Ó एक बच्चे ने मोदी से पूछा कि क्या उन्होंने बचपन में कभी पीएम बनने के बारे में सोचा था। इस पर उन्होंने कहा कि वह एक साधारण परिवार से थे और कभी क्लास मॉनिटर की पोस्ट के लिए भी खड़ा नहीं हुए। मोदी ने अपने बचपन में की गई शरारतों का भी जिक्र किया। मोदी ने बताया कि वह समारोह में आए शहनाई वादकों के सामने इमली दिखाते थे। मोदी ऐसा इसलिए करते थे ताकि मुंह में लार आने की वजह से वे शहनाई न बजा सकें।
शिक्षा पर
महिलाओं की शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है। अगर एक लड़की को पढ़ाया जाता है तो यह दो परिवारों को शिक्षित करने जैसा है। एक बच्ची को अपने घर के करीब ही शिक्षा की सुविधा मिलनी चाहिए। विकसित देश भी आज स्किल डेवलपमेंट पर जोर दे रहे हैं। स्कूलों में इससे जुड़ी शिक्षा दी जा रही है। मैं जापान के एक प्राइमरी स्कूल में गया। वहां पढ़ाया नहीं जाता, बल्कि 100 फीसदी सिखाया जाता है।
ऊर्जा संरक्षण और पर्यावरण पर
पूरी दुनिया ऊर्जा की कमी झेल रहा है। हमें बिजली बचानी चाहिए। सिर्फ बिजली ही नहीं, पानी की भी बचत करनी चाहिए। जब स्कूल से निकलें, रोज एक बच्चा बिजली बंद करने की जिम्मेदारी ले। जापान यात्रा के संदर्भ में पूछे गए एक सवाल में मोदी ने कहा कि वहां छात्र-शिक्षक मिलकर स्कूल की सफाई करते हैं। हम ऐसा क्यों नहीं कर सकते?
राजनीति पर
राजनीति को प्रोफेशन के तौर पर नहीं, बल्कि सेवा के तौर पर देखना चाहिए। देश की सेवा करने का मतलब यह नहीं है कि सेना या राजनीति में आएं। छोटी चीजें करना भी देश की बड़ी सेवा है। एक बच्चे ने सवाल पूछा कि हम देश के विकास में कैसे योगदान दे सकते हैं? मोदी ने कहा, आप सभी को अच्छा स्टूडेंट बनना होगा। यह सबसे बड़ा योगदान होगा।
जलवायु परिवर्तन पर
असम से एक स्कूली छात्र ने जलवायु परिवर्तन (क्लाइमेट चेंज) पर चिंता जताते हुए मोदी से सवाल पूछा तो प्रधानमंत्री ने कहा, जलवायु परिवर्तन नहीं हुआ है। हम बदल गए हैं। हमारी सहन शक्ति और आदतें बदल गई हैं। अगर हम बदलते हैं तो भगवान ने भी ऐसी व्यवस्था बनाई है जिससे कि अपने आप संतुलन कायम हो सके।
- मैं एक टास्क मास्टर हूं। मैं खुद भी ढेर सारा काम करता हूं और दूसरों से खूब काम लेता भी हूं। अगर आप 12 घंटे काम करते हो तो मैं 13 घंटे काम करने के लिए तैयार हूं।
- बच्चों को बड़े लोगों की जीवनी पढऩी चाहिए। गूगल से
सच्चा ज्ञान नहीं मिलता। टीवी और कम्प्यूटर के बाहर भी एक दुनिया है।
- इस उम्र में बच्चों को खूब खेलना-कूदना चाहिए, इतना कि शरीर से कम से कम 4 बार पसीना निकले। तकनीक का जीवन में बड़ा महत्व है, लेकिन फिजिकल एक्टिविटी भी जरूरी है।
- जो 10 साल का सोचते हैं, वे पेड़ लगाते हैं। जो सदियों की सोचते हैं, वे इंसान के निर्माण के बारे में सोचते हैं।