हिंदू शब्द पर हंगामा
05-Sep-2014 09:14 AM 1234859

भारत, हिंदुस्तान या इंडिया के निवासियों को क्या कहा जाए? यह प्रश्र अब व्यापक बहस का विषय बन चुका है। वैसे देखा जाए तो यहां के निवासियों के लिए भारतीय, हिंदुस्तानी या इंडियन शब्द पहले से ही प्रचलन में है लेकिन अब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने सुझाव दिया है कि भारत, हिंदुस्तान या इंडिया के निवासियों को हिन्दु कहा जाए। भागवत ने अपने तर्क के समर्थन में कहा कि विदेशों में भारतीयों को हिंदू कहा जाता है लिहाजा यही शब्द भारत के समस्त निवासियों के लिए उपयोग में लाया जाना चाहिए। लेकिन भागवत के इस सुझाव पर बवाल मच गया।
कांग्रेस के नेता राशिद अल्वी ने कहा कि अरब देशों में हिंदुस्तानियों को हिंदी कहा जाता है न कि हिंदू। वैसे हिंदी, हिंदू और हिंदुस्तान ये शब्द भी विदेशियों ने ही हमें दिए खासकर अरब देशों से आए आक्रमणकारियों ने। इसीलिए मोहन भागवत को इन शब्दों में से हिंदू शब्द ज्यादा सरल और उपयुक्त जान पड़ रहा है यह छोटा भी है, कम स्थान घेरता है। टंकण करने वाले को भी सुविधा है और बोलने वाले को भी लेकिन अल्वी ने जो कहा उसमें भी दम है क्योंकि भाषा के आधार पर ही क्षेत्र विशेष के निवासियों का नाम लिया जाता रहा है जैसे सिंधी बोलने वाले सिंधी कहलाए। लेकिन अल्वी के तर्क को मानें तो भारत में प्रचलित 17-18 प्रमुख भाषाओं को बोलने वाले लोगों को उनकी भाषा के आधार पर ही बुलाया जाता है जैसे मराठी बोलने वाले मराठी, कश्मीरी बोलने वाले कश्मीरी, तेलगु बोलने वाले तेलगु। यह भाषायी विभाजन है जो प्राय: हर देश के भीतर देखने को मिल जाएगा लेकिन एक देश के निवासियों को जब बुलाना हो तो जर्मनी में रहने वालों को जर्मन, अमेरिका में रहने वालों को अमेरिकन और इंडिया में रहने वालों को इंडियन कहने का प्रचलन अंग्रेजी भाषा में है। पर हिंदी में हिंदुस्तान के निवासियों को हिंदुस्तानी या हिंदू कहा जाए यह विवाद का विषय बन गया है। वैसे विवाद की शुरूआत पिछले वर्ष जुलाई माह में उस वक्त हुई थी जब समाचार एजेंसी रॉयटर को दिए एक इंटरव्यू में नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि वे पैदाइशी हिंदू हैं और देशभक्त हैं लिहाजा हिंदू राष्ट्रवादी हैं। मोदी के इस बयान पर हंगामा बरप गया। लेकिन बाद में यह मामला शांत हो गया था।  अब मोदी के सत्तासीन होते ही हिंदू राष्ट्रवाद की बात पुर्नजीवित हो गई है हाल ही में मोहन भागवत ने कहा है कि भारत एक हिन्दू राष्ट्र है और हिंदुत्व इसकी पहचान है। भागवत पर कड़ा प्रहार करते हुए कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने संघ प्रमुख को हिटलर बताया। वहीं, समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि सामाजिक तनाव भड़काने के लिए भागवत ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि, गोवा में भाजपा विधायक माइकल लोबो ने भागवत के बयान को खारिज करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कभी भी ऐसे बयान का समर्थन नहीं किया है। ईसाई धर्म से ताल्लुक रखने वाले लोबो ने भागवत के बयान को उनकी निजी राय बताया है। लोबो भाजपा के छह ईसाई विधायकों में से एक हैं। देखा जाए तो इस विवाद के पूर्व गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने भी गोवा की विधानसभा में हिंदू राष्ट्रवाद और हिंदू शब्द का समर्थन किया था। इसके बाद से ही यदाकदा हिंदू शब्द और हिंदू राष्ट्रवाद की बात उठती रही। जुलाई माह में गोवा के उपमुख्यमंत्री फ्रासिंस डिसूजा ने कहा था कि भारत पहले से ही हिंदू राष्ट्र है लेकिन बाद में उन्होंने माफी मांग ली। पर गोवा के ही सहकारिता मंत्री दीपक धवलीकर ने स्पष्ट तौर पर कहा कि मोदी के नेतृत्व में भारत एक हिंदू राष्ट्र बनेगा। पहले हिंदू और फिर हिंदू राष्ट्र। इस शब्दों ने ही कई सवाल पैदा किए हैं। पहला सवाल यह है कि क्या भाजपा और आरएसएस का एजेंडा अलग-अलग है? क्या भाजपा आरएसएस के एजेंडे पर नहीं चल सकती या फिर क्या आरएसएस भाजपा के कुछ एजेंडों से अहसमत है? या फिर कोई अलग ही राजनीतिक समीकरण है? ऐसे कई सवाल उभर रहे हैं। मोहन भागवत के बयान से भी स्पष्ट है कि वह भारत को एक हिन्दू राष्ट्र बनाना चाहते हैं। उन्होंने कहा है कि हिंदुत्व ही भारत की पहचान है। उन्होंने यह भी कहा कि हिन्दू धर्म अन्य धर्मों को अपने में समाहित कर सकता है। भाजपा के एजेंडे में विकास को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। यह भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के एजेंडे में काम करता है। प्रधानमंत्री ने हमेशा अपने भाषण में विकास की बात कही है। गुजरात में भी जब वे मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने विकास कार्यों के लिए धर्म को आड़े आने नहीं दिया। जब गुजरात में रोड का निर्माण किया जा रहा था तो उसने रास्ते में आ रहे कई मंदिरों को भी विस्थापित करवाया था। भाजपा में जिन नेताओं ने भी हिंदूत्व के मुद्दे को लेकर अधिक टीका-टिप्पणी की है आज वे हाशिए पर चले गए हैं। राजनीतिक मंच पर उनकी मौजूदगी व अहमियत तुलनात्मक रुप से कम रही है। विनय कटियार, कल्याण सिंह आदि कुछ नेता है जो कट्टर हिंदूवादी विचारधारा के लिए जाने जाते हैं।
वहीं जो विकास की बात करते हैं आज वे राजनीतिक चेहरा बने हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उदाहरण है. उन्होंने विकास की बात कर ना केवल अपने गुजरात क्षेत्र में बल्कि पूरे देश में अपना लोहा मनवाया।
नरेंद्र मोदी विकास के जरिए हिंदुत्व की बात करती है वहीं मोहन भागवत हिंदुत्व के जरिए विकास की बात करती है। दोनों का, राजनीतिक मंच पर अपनी बातों के प्रस्तुत करने का तरीका भले हीं अलग है लेकिन दोनों का उद्देश्य एक हैं और यह खेल शायद साधारण जनमानस के
समझ से परे होगा कि यह दोनों की रणनीति का एक हिस्सा है।

 

- Ajay Deer

FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^