योजना आयोग का विकल्प क्या है?
05-Sep-2014 08:59 AM 1234804

अनुभव ही हमें सिखाता है। कभी मुख्यमंत्री रहते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को योजना आयोग की केंद्रीयकृत सत्ता का सामना करना पड़ा था इसीलिए उन्होंने योजना आयोग की उपयोगिता और औचित्य पर प्रश्र खड़ा करते हुए इसे बदले जाने की वकालत की। मोदी की इस पैरवी से तहलका मचा हुआ है। योजना आयोग रहे या न रहे और रहे तो किस स्वरूप में रहे? इसे लेकर व्यापक उत्सुकता है। प्रधानमंत्री भी योजना आयोग के संबंध में व्यापक विचार विमर्श के पक्ष में हैं।
देखा जाए तो योजना आयोग का मुख्य कार्य राज्यों का विकास करना और गरीबी उन्मूलन ही है जो पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से पंडित नेहरू के शासन काल से ही किया जा रहा है। पंचवर्षीय योजनाओं को असफल नहीं कहा जा सकता। जिन हालातों में देश अंग्रेजों ने हमें सौंपा था उसमें गुणात्मक सुधार लाने का काम पंचवर्षीय योजनाओं के चलते ही संभव हो सका। तथापि यह भी एक तथ्य है कि अब देश को गति से आगे बढऩे की आवश्यकता है क्योंकि 1947 के चीन के मुकाबले आज के चीन में जमीन आसमान का अंतर है। लेकिन भारत में यह बदलाव उतना नहीं हुआ जितना अपेक्षित था। इसके कई कारण रहे। योजना आयोग ने देश के संसाधनों का आंकलन किया लेकिन इन संसाधनों के प्रभावी उपयोग के लिए रोडमेप नहीं बना पाया। सरकार के दबाव मेें प्राथमिकताएं भी तय नहीं हो पाईं और इसके लिए जो मशीनरी आवश्यक थी उसका निर्धारण भी उचित अनुपात में नहीं हुआ। यदि योजना आयोग सफल रहता तो आजादी के बाद पिछले 68 वर्षों में देश का भाग्य बदल जाता। कम से कम गरीबी का स्तर तो सुधर ही सकता था। आज सुपर पॉवर बनने की कगार पर खड़े भारत की हालत जर्जर है। बुनियादी समस्याएं वहीं हैं- रोटी, कपड़ा, मकान, पेयजल, बिजली, सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा। इन चुनौतियों से देश की अधिसंख्यक जनता जूझ रही है और योजना आयोग पिछले वर्षों में सत्तासीन सरकारों के लुभावने आश्वासनों का बोझ उठाते-उठाते तथा उनके एजेंडे को अमली जामा पहनाते-पहनाते बूढ़ा हो चुका है।
पहली 8 योजनाओं तक योजना आयोग ने बेहतर काम किया 1997 की 9वीं पंचवर्षीय योजना भी बहुत हद तक सफल कही जा सकती है। उस वक्त देश ने स्वतंत्रता की स्वर्ण जयंती मनाई थी। स्वर्ण जयंती के साथ ही पुरानी व्यवस्था को बदलते हुए नई व्यवस्था लाई जाती तो आज योजना आयोग को लेकर सवाल खड़े नहीं होते। सवाल मोदी सरकार का नहीं है सरकारिया आयोग ने भी इसकी आलोचना की थी और कहा था कि योजना आयोग संघीय ढांचे को नुकसान पहुंचा नहा है क्योंकि इसके द्वारा राज्यों पर नियंत्रण किया जा रहा है। आयोग अपने जन्मकाल से ही केंद्रीय सत्तादल का उपकरण रहा है। पंडित नेहरू के समय राज्यों ने शिकायतें नहीं कीं। कांग्रेसी मुख्यमंत्री ऐसा कर भी नहीं सकते थे। तब योजनाओं के प्रारूप चुनाव पूर्व प्रकाशित कराए गए थे। 1951, 1956 व 1961 के चुनाव गवाह हैं। इंदिरा गांधी ने आयोग में व्यापक बदलाव किए। चौथी पंचवर्षीय योजना के निर्माण को रोक दिया गया। छठी योजना 1979 में बनी, यह 1980 की सरकार की दृष्टि में बेकार थी। 1986-87 में प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने चुनाव वाले राज्यों के दौरों में तमाम घोषणाएं कीं। आयोग पर चुनावी घोषणाएं समाहित करने की विवशता थी। सातवीं योजना में अनेक मूलभूत योजनाओं की राशि में भी कटौती हुई। प्रधानमंत्री ने दूरदर्शन के लिए अधिक धनराशि का दबाव डाला था। संवैधानिक संस्था होने के बावजूद वित्त आयोग की स्थिति कमजोर है और राजनीतिक मानसपुत्र होने के कारण योजना आयोग का क्षेत्र व्यापक। वित्त आयोग की सिफारिश से मिली धनराशि योजना आयोग की तुलना में बहुत कम होती है। एटी एपेन ने 1969 में ही लिखा था- योजना आयोग ने वित्त आयोग को पदच्युत कर दिया है। केंद्रीय नियोजन ने वित्त आयोग की भूमिका के संबंध में संविधान निर्माताओं की आकांक्षाओं पर पानी फेर दिया है। संसाधनों के वितरण में योजना आयोग ने राज्यों को दबोच रखा है। व्यवहार में योजना आयोग मंत्रिपरिषद से भी ज्यादा प्रभावशाली है। मंत्रिपरिषद संसद के प्रति उत्तरदायी है। आयोग की कोई जवाबदेही नहीं। इसके कारण वित्त आयोग भी व्यथित रहा है। दूसरे वित्त आयोग की रिपोर्ट में दोनों के समन्वय की मांग की गई थी। तीसरे वित्त आयोग ने कहा था कि संवैधानिक संस्था वित्ता आयोग के कार्य योजना आयोग के कारण पूरे नहीं हो सकते। चौथे वित्त आयोग के अध्यक्ष ने टिप्पणी की- योजना आयोग ने व्यवहार में वित्त आयोग के काम को सीमित कर दिया है। आर्थिक संसाधनों के सम्यक वितरण के लिए एक साथ दो संस्थाएं एक समान कार्य नहीं कर सकती। योजना आयोग राजनीतिक लाभ का उपक्रम रहा है।

 

- Aks Bureau

FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^