05-Sep-2014 08:14 AM
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कोल ब्लॉक आवंटन का सत्य धीरे-धीरे अनावृत हो रहा है। 1993 से लेकर 2010 तक जो 216 आवंटन किए गए उन सभी के आवंटन रद्द होने का खतरा मंडरा रहा है। इनमें से 33 आवंटन वर्तमान में

सत्तासीन एनडीए के पहले कार्यकाल में हुए थे। 174 आवंटन यूपीए ने किए जबकि देवेगौड़ा और पीवी नरसिंम्हा राव के समय भी 9 खदानें आवंटित की गईं। अर्थात धांधली 21 वर्ष से चली आ रही है और किसी ने ध्यान देने की कोशिश भी नहीं की। अब सुप्रीम कोर्ट ने कोल ब्लॉक आवंटन पर जो रुख दिखाया है उसे देखकर लग रहा है कि कहीं पिछले 21 वर्ष के सारे आवंटन रद्द न करना पड़ें।
सुप्रीम कोर्ट ने स्क्रीनिंग कमिटी और केन्द्र की विभिन्न सरकारों के कामकाज पर सवाल उठाते हुए कहा है कि वर्ष 1993 के बाद के कोयला खदानों के आवंटन गैरकानूनी हैं। देश की सर्वोच्च अदालत ने टिप्पणी की कि स्क्रीनिंग कमिटी द्वारा कोयला खदानों का आवंटन निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, कोयला खदान आवंटन की कोई तथ्यपरक कसौटी नहीं थी और दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया गया। सभी आवंटन गैरकानूनी और मनमौजी पूर्ण तरीके से किये गये। सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिये स्क्रीनिंग कमिटी और सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि 218 कोयला ब्लाकों के आवंटन निरस्त करने की आवश्यकता पर निर्णय के लिये अभी और सुनवाई करने की जरूरत है।
पूर्व कोल सचिव पीसी पारिख ने अदालत के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि स्क्रीनिंग कमेटी के पास कोई वैधानिक अधिकार नहीं थे। वकील प्रशांत भूषण के अनुसार कोर्ट ने ये भी कहा है कि ये फैसले चाहे स्क्रीनिंग कमेटी के हों या फिर सरकार के, सभी अवैध हैं। उनके मुताबिक अदालत ने कहा कि इन कोयला ब्लॉक के आवंटन में कोई पारदर्शिता नहीं बरती गई और मनमर्जी से इन्हें बांटा गया था। भारतीय जनता पार्टी के नेता शाहनवाज हुसैन ने कहा है कि उनकी पार्टी अदालत के फैसले का अध्ययन कर रही है। उन्होंने कहा, अदालत ने कहा है कि इन्हें रद्द किया जाये या नहीं, इसका फैसला बाद में होगा। लेकिन इसके बहाने उन्होंने एक बार फिर केंद्र की पूर्व यूपीए सरकार पर निशाना साधा। हालांकि जिस अवधि के आवंटनों को अवैध करार दिया गया है, उसमें एनडीए सरकार के दौरान हुए आवंटन भी शामिल हैं।
प्रशांत भूषण ने कहा कि रिलायंस को कोयला बेचने की अनुमति दी गयी थी और सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक इससे 29,000 करोड़ रुपये का सरकार को नुकसान हुआ था। भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ कोयला घोटाले से एक लाख 86 हज़ार करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है। सीएजी ने कहा था कि निजी कंपनियों को कोयला के ब्लॉक बिना बोली लगाये दे दिये गये। सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक, एस्सार पॉवर, हिंडाल्को, टाटा स्टील, टाटा पॉवर, जिंदल स्टील एंड पॉवर सहित 25 कंपनियों को विभिन्न राज्यों में कोयले की खानें दी गयी। कैग ने कहा था कि केंद्र सरकार कोल ब्लॉक का आवंटन नीलामी के जरिए करके मनमाने तरीके से कर रही है। इससे देश को 1.86 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। मामला सामने आने के बाद 2012 में सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दाखिल हुई। सभी ब्लॉक आवंटन रद्द करने की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को जांच करने को कहा 26 एफआईआर दर्ज हुई। तत्कालीन कानून मंत्री अश्विनी कुमार को इस्तीफा भी देना पड़ा था।
आवंटन रद्द हुआ तो बिजली कंपनियां सबसे ज्यादा प्रभावित होंगी। इससे उत्पादन घटेगा। 28 हजार मेगावॉट बिजली का उत्पादन प्रभावित हो सकता है। इससे बिजली संकट के साथ दाम भी बढ़ सकते हैं। इन खदानों से अभी 11 करोड़ टन कोयला निकाला जा रहा है। यानी यह देश के कुल उत्पादन (56 करोड़ टन) का 20 प्रतिशत है। सब रुक जाएगा। 69,842 मेगावाट के पावर प्रोजेक्ट अटके हुए हैं। इनके शुरू होने में और देर होगी। विभिन्न बैंकों ने पावर प्रोजेक्ट लगाने वाली कंपनियों को 3 लाख करोड़ रु. का कर्ज दिया है। ये पैसा एनपीए की श्रेणी में आ सकता है। अभी देश के 40 बैंकों का एनपीए 2.53 लाख करोड़ रुपए है। रिजर्व बैंक की फरवरी 2014 की रिपोर्ट के मुताबिक कोयला सेक्टर में बैंकों का एनपीए कुल एनपीए का 8.2 प्रतिशत है। अवैध रूप से खदानें देने वाली 4 में से 3 सरकारें या तो कांग्रेस की थीं या कांग्रेस समर्थित। लिहाजा निशाने पर भी कांग्रेस होगी। वैसे कांग्रेस भी भाजपा को घेरेगी, क्योंकि सवाल तो एनडीए पर भी उठे हैं। कांग्रेस नेता नवीन जिंदल की कंपनी को यूपीए के वक्त 11 कोल ब्लॉक मिले थे के शेयर 14 प्रतिशत तक गिर गए। कैग के मुताबिक टाटा स्टील, टाटा स्पंज, टाटा पावर को गलत तरीके से 5 खदानें दी गईं। उनके शेयर 6 प्रतिशत गिरे। बिड़ला समूह की कंपनी हिंडाल्को को ओडिशा में गलत ढंग से खदानें मिलीं इसके शेयर 9 प्रतिशत गिर गए। अनिल अंबानी की कंपनी ने कोयले का इस्तेमाल दूसरे कामों में कर 29 हजार करोड़ कमाए। इसके शेयर 5 प्रतिशत तक गिरे।
- Kumar Subodh