05-Sep-2014 07:57 AM
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दिल्ली में हुर्रियत के नेताओं ने जब पाकिस्तानी उच्चायोग में उच्चायुक्त से मिलने की घोषणा की उस वक्त पाकिस्तान को अंदेशा नहीं था कि भारत इस मुलाकात पर इतना कठोर हो सकता है कि वह

सचिव स्तरीय वार्ता ही स्थगित कर दे। पाकिस्तान को कश्मीरी अलगाववादियों सेे मिलने के बावजूद बातचीत का आत्म विश्वास इसलिए था क्योंकि इससे पहले भी कई मौकों पर पाकिस्तान के राष्ट्राध्यक्षों सहित तमाम नेताओंं और उच्चायोग के अधिकारियों ने अलगाववादियों से बातचीत की थी, जिसे नजरअंदाज करते हुए भारत ने बातचीत को बेपटरी नहीं होने दिया।
लेकिन इस बार माहौल बदला हुआ है। भारत में जहां एक स्थिर और सशक्त सरकार है, जिसे 30 वर्ष बाद पूर्ण बहुमत मिला है वहीं पाकिस्तान में हमेशा की तरह सेना की दहलीज पर मत्था टेकने वाली कथित लोकतांत्रिक सरकार है जिसका भविष्य इमरान खान और कादरी के आंदोलन के चलते डांवाडोल हो रहा है और इमरान तथा कादरी सेना के पसंदीदा बनते जा रहे हैं। ऐसे में पाकिस्तान के लिए भी यह आवश्यक था कि वह कश्मीर के मुृद्दे को तूल दे ताकि आंतरिक हालातों से आवाम का ध्यान भटक सके। उधर भारत के लिए भी यह परमावश्यक था कि वह कश्मीर पर अपनी स्थिती एकदम साफ कर दे। इसीलिए पाकिस्तान को स्पष्ट शब्दों में कहा गया कि या तो अलगाव वादियों से बात करना छोड़ दो या तो चुनी हुई सरकार से रचनात्मक बातचीत की जाए। अब भारत और पाकिस्तान की सीमा पर लगातार गोलियां चल रही हैं। भारत के कुछ सैनिक भी शहीद हुए हैं। इस तनाव की आड़ में पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकृष्ट करना चाहता है। ताकि भारत पर दोष मढ़ सके लेकिन भारत ने शिमला समझौते की दुहाई दी है जिसमें स्पष्ट लिखा है कि दोनों देशों की बातचीत में किसी भी मुद्दे पर कोई तीसरा पक्ष शामिल नहीं होगा।
अलगाव वादियों को पाकिस्तान बातचीत की अहम कड़ी मानता है। इससे भी ज्यादा पाकिस्तान के लिए अलगाववादी कश्मीर मुद्दे का अंरतराष्ट्रीयकरण करने का साधन रहे हैं यही कारण है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई हुर्रियत की अहमियत राज्य में इतना बढ़ाना चाहती है कि राज्य की राजनीति में वे फिर अहम स्थान हासिल कर लें। पाकिस्तानी सेना ने इस तरह जम्मू सेक्टर में एक साथ इतनी चौकियों पर हमला कर पूरी अंतरराष्ट्रीय सीमा को सक्रिय कर दिया है जिसका जवाब भी भारतीय सेनाएं दे रही हैं। पाकिस्तानी सेना भारतीय सेना को इस बात के लिए भड़का रही है कि वह कड़े जवाब दे जिसका और कड़ा जवाब पाकिस्तानी सेना देगी। अंतरराष्ट्रीय समुदाय के अलावा पाकिस्तानी सेना अपने घरेलू अस्थिर राजनीतिक माहौल का भी फायदा उठाना चाहती है। पाकिस्तानी सेना ने इन दिनों तालिबानी कबाइली इलाके में आतंकवादी गुटों के खिलाफ अभियान छेड़ा हुआ है। पाक सेना इन हमलों से अपने लोगों का ध्यान हटा कर भारत की ओर मोडऩा चाहती है। इसके अलावा पाकिस्तान के अनिश्चित घरेलू माहौल में भी नवाज शरीफ सरकार के लिए पाक सेना की भारत को भड़काने वाली कार्रवाई घरेलू राजनीति से ध्यान हटाने में मददगार साबित होगी।
भारत-पाकिस्तान ने को कहा था कि सीमा पर जारी तनाव और गोलीबारी की घटनाओं के समाधान के लिए भारत और पाकिस्तान के सैन्य संचालन महानिदेशक (डीजीएमओ) के बीच वार्ता होनी चाहिए। राष्ट्रीय सुरक्षा एवं विदेशी मामलों पर पाकिस्तान के सलाहकार सरताज अजीज ने कहा कि पाकिस्तान बैठक के लिए भारत को एक प्रस्ताव भी भेज रहा है। उन्होंने भारत के इन आरोपों को खारिज कर दिया कि पाकिस्तान अपनी सरहद की तरफ से सुरंग के मार्फत उग्रवादी भेज रहा है। उन्होंने कहा कि अगर भारत के पास कोई सबूत हैं तो आरोप लगाने के बजाय उसे पाकिस्तान के साथ साझा करना चाहिए।
जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासिन मलिक ने कश्मीर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कट्टर रुख को लेकर यह दलील खारिज कर दी कि भारत पाकिस्तान विदेश सचिव स्तर वार्ता के स्थगित होने के लिए अलगाववादी जिम्मेदार हैं। मलिक ने कहा, हम तीसरा पक्ष नहीं हैं। कश्मीरियों को भी उनकी तकदीर से जुड़ी किसी भी वार्ता में शामिल करना पड़ेगा। जेकेएलएफ प्रमुख ने कहा, प्रधानमंत्री हमें कोई कूटनीतिक या राजनीतिक जगह नहीं दे रहे हैं। चूंकि मोदी ने कट्टर रुख अपनाने का निर्णय लिया है तो कश्मीर में हम तैयार हैं और हम अपना आंदोलन मजबूत करेंगे।
पाकिस्तान की फायरिंग के दौरान आरएस पुरा सेक्टर में लोगों को शरण देने के लिए आईटीआई का गेट न खोलने के आरोप में आईटीआई सुपरिंटेंडेंट रुचिका को प्रदेश सरकार ने तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया है। इसके अलावा उनके खिलाफ जांच भी शुरू हो गई है। आरएस पुरा के एसडीएम ने इस बात की पुष्टि की है। जम्मू के असिस्टैंट कमिश्नर शहनाज चौधरी इस मामले की जांच करेंगे।
- Renu Agal