शिक्षकों का अत्याचार छात्र लाचार
05-Sep-2014 07:25 AM 1234928

पहले गुरु छोटी-मोटी गलतियों पर हल्की सजा देकर छात्रों को मनोवैज्ञानिक रूप से सहला भी देते थे। उनमें यदि क्रोध था तो करुणा भी थी और यह चिंता भी थी कि छात्र राष्ट्र निर्माण में सहयोग

देगा इसलिए उसका शिक्षण इस तरह से होना चाहिए कि वह योग्य नागरिक बन सके। किंतु इस शिक्षक दिवस के मौके पर कुछ ऐसी घटनाओं का जिक्र हो रहा है जिनसे पता चलता है कि शिक्षा की बागडोर कुछ क्रूर, क्रोधी, करुणाहीन और गैर जिम्मेदार लोगों के हाथ में आ गई है।
कानपुर में जब छठवीं कक्षा मेें पढऩे वाली एक छात्रा ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली तो शहर के सभ्य नागरिक सकते में आ गए। बाद में ज्ञात हुआ कि इस छात्रा के बैग से मोबाइल निकला था इसलिए गेम्स टीचर ने उसे पिटाई करते हुए निर्वस्त्र कर दिया। छात्रा इतनी आहत हो गई कि उसने जीवन लीला ही समाप्त कर डाली। हालांकि स्कूल प्रबंधन और स्कूल की प्राचार्य बच्ची के कपड़े उतारने या पिटाई करने की घटना से इनकार कर रहे हैं किंतु इतना तो तय है कि बैग में मोबाइल मिलने के बाद उस छात्रा को जो सजा दी गई उस सजा ने छात्रा के स्वाभिमान को बुरी तरह आहत अवश्य किया होगा अन्यथा वह इतना घातक कदम कभी नहीं उठाती। अपमानित करने की यह घटनाएं तो आए दिन सुनाई पड़ती हैं। लेकिन बच्चों के साथ स्कूलों में जो क्रूरता की जा रही है वह भी कम नहीं है। उत्तर प्रदेश के झांसी में ही होमवर्क न करने पर स्कूल मेें एक बच्ची को शिक्षक ने बेंच पर खड़ा रखा जिससे काफी देर खड़े रहने के बाद बच्ची बेहोश होकर गिर गई और उसकी नाक की हड्डी टूट गई। महोबा के एक अन्य स्कूल में दूसरी कक्षा में पडऩे वाली एक अन्य बच्ची ने जब गृहकार्य नहीं किया तो गुस्से में शिक्षक ने उसके बाल पकड़ कर झकझोर दिया जिससे बच्ची के बाल उखड़ गए।
शिक्षक इतने क्रूर क्यों होते जा रहे हैं? शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने और अन्य स्कूलों से प्रतिस्पर्धा के कारण शिक्षकोंं के ऊपर अपने छात्रों का बेहतर रिजल्ट लाने का दबाव है किंतु विडम्बना इस बात की है कि अधिकांश शिक्षकों को मालूम ही नहीं है कि बच्चों को पढ़ाया कैसे जाए और उनसे बेहतर परिणाम कैसे प्राप्त किए जाएं। उचित प्रशिक्षण के अभाव में अकुशल और अपर्याप्त शिक्षित शिक्षक छात्रों को प्रताडि़त करते हैं। उन्हें लगता है कि प्रताडऩा और अपमान ही छात्रों को रास्ते पर लाने तथा बेहतर परिणाम प्राप्त करने का माध्यम है। लेकिन वे यह नहीं जानते कि इसके घातक परिणाम हो सकते हैं। कई बार शिक्षकों द्वारा अपमानित और प्रताडि़त बच्चे को उसके सहपाठी भी तंग करते हैं जिससे वह डिप्रेशन में आकर गलत कदम उठा सकता है। बिहार के सहकारिता मंत्री जय कुमार सिंह के बेटे आदर्श सिंह ने  ग्वालियर के सिंधिया स्कूल में अपने कक्ष में फांसी लगाकर जान देने का प्रयास किया। उसका इलाज दिल्ली के अपोलो अस्पताल में चल रहा है। फांसी के प्रयास का कारण क्या हैं यह शायद ही पता लग पाए क्योंकि प्रबंधन ने सेंशरशिप लगा रखी है लेकिन इस छात्र के शिक्षकों पर तो प्रश्र चिन्ह लग ही गया है। आखिर वे छात्र के मनोविज्ञान को पढऩे में असफल क्यों रहे?
सिंधिया जैसे प्रतिष्ठित स्कूल में ये हालात हैं तो देश के बाकी स्कूलों में क्या होता होगा आसानी से समझा जा सकता है। छोटी-छोटी गलतियों पर अपमानित करना और अनुपात से अधिक सजा देना स्कूलों में फैशन बन चुका है। मनासा में जब एक स्कूली बच्ची जूते की बजाय सेंडल पहनकर स्कूल आ गई तो उसे दिन भर नंगे पैर रखा। नंगे पैर ही खेल में शामिल करवाया। गार्डन में भी वह नंगे पैर गई और छुट्टी के बाद सेंडल जप्त कर घर भेज दिया गया। यह सब किया एक प्रतिष्ठित स्कूल ने। सेंडल पहनकर आने की इतनी बड़ी सजा। बच्ची मनोवैज्ञानिक रूप से सहम गई होगी। उसके दिमाग मेें शिक्षक और प्रबंधन का एक क्रूर चित्र अंकित हो गया होगा। लेकिन प्रबंधन को इसकी परवाह कहां है उन्हें तो पैसे से मतलब है। इसीलिए स्कूल पैसा कमाने की दुकानें बन गए हैं। कोटा में ग्यारहवीं कक्षा में पडऩे वाले एक छात्र ने फांसी लगाकर जान दे दी थी। इस छात्र के आचरण पर स्कूल प्रबंधन को एतराज था क्योंकि उसने कथित रूप से किसी लड़की को तंग किया था लड़की के पिता ने भी लड़के के घर जाकर शिकायत की थी और धमकी दी थी। किसी ने भी उस छात्र के मनोविज्ञान को पढऩे की कोशिश नहीं की नतीजा आत्महत्या के रूप में निकला।
भोपाल में भी इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल को मध्यप्रदेश बाल आयोग ने नोटिस दिया है । कुछ  अभिभावकों ने अंग्रेजी और गणित विषयों के शिक्षकों द्वारा बुरा बर्ताव करने का आरोप लगाया है। मिसरोद स्थित आईपीएस स्कूल में पढऩे वाले बच्चों के अभिभावकों ने 9वीं,10वीं में पढ़ाने वाले शिक्षकों के खिलाफ शिकायत की है। अभिभावकों ने इन शिक्षकों पर छात्रों से बुरा बर्ताव और अंक देने में भेदभाव का आरोप लगाया है। स्कूल के खिलाफ आयोग पहुंचने वाली यह दूसरी शिकायत है। एक छात्र की टाई को लेकर पिटाई का मामला आयोग पहुंचा था।

 

Anup Jyotsna yadav

 

FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^