रिश्वत का सिंडीकेट
21-Aug-2014 06:52 AM 1234761

जब सीबीआई के निदेशक रंजीत सिन्हा ने सिंडीकेट बैंक के निलंबित और गिरफ्तार चेयरमैन एसके जैन को फोन पर 50 लाख रुपए की रिश्वत मांगते सुना तो उन्हें अपने कानों पर सहसा विश्वास

नहीं हुआ। एक बैंक का चेयरमैन अपने ही बैंक से गलत तरीके से लोन देने के लिए सौदे बाजी कर रहा था। डिफॉल्टर को फायदा पहुंचाने के लिए बैंक को चूना लगाने पर आमादा था। जब 2 अगस्त 2014 को सीबीआई ने एसके जैन सहित 5 लोगों को गिरफ्तार किया तो डिफॉल्टरों को लोन देने और क्रेडिट सीमा बढ़ाने के नाम पर चल रहे गोरखधंधे का भांडा फोड़ हो गया।
इस मामले में भोपाल के प्रतिष्ठित बिल्डर पुनीत गोधा, विनीत गोधा और शाहजहांनाबाद निवासी विजय पाहुजा को भी सीबीआई ने धर दबोचा। आरोपियों को ट्रांजिट रिमांड पर दिल्ली ले जाया गया जहां पटियाला कोर्ट में उन्हेंं प्रस्तुत किया गया। दिल्ली, बैंग्लूर, भोपाल और मुंबई के 20 ठिकानों पर छापामारी की गई जिसमें कई अहम दस्तावेज बरामद हुए हैं। जो लोग गिरफ्तार हुए हैं उन पर नियमों का उल्लंघन करते हुए दो कंपनियों के लिए कर्ज सीमा बढ़ाने का मुकदमा दर्ज किया गया है। विनीत गोधा कांगे्रस के पदाधिकारी रह चुके हैं। गोधा का बिल्डिंग का कारोबार भोपाल में फल-फूल रहा है और उन्होंने कई कॉलोनियां विकसित की हैं। भोपाल के अग्रणी बिल्डरों में इनका नाम शुमार होता है। गोधा बंधुओं की सत्ता के गलियारों में भी अच्छी पकड़ है। कभी कांग्रेस में पहुंच रखने वाले गोधा भाजपा के समय भी फले-फूले और उनके प्रोजेक्ट दिन दुनी रात चौगुनी प्रगति करते रहे। जिन दो कंपनियों की कर्ज सीमा बढ़ाने के लिए एसके जैन शोभा फोटो स्टूडियो के संचालक विजय पाहुजा तथा विनीत और पुनीत गोधा के मार्फत रिश्वत ले रहे थे वे दोनों कंपनियां कोयला घोटाले में भी शामिल थीं। बताया जाता है कि जैन का यह गोरखधंधा पिछले तीन माह सेे कुछ ज्यादा ही चल रहा था। वे रिश्वत लेकर बोगस और अपात्र फर्म को धड़ाधड़ लोन बांट रहे थे। सीबीआई उनकी कॉल रिकार्ड कर रही थी और उन पर नजर रखी हुई थी। नई दिल्ली की भूषण स्टील लिमिटेड के चेयरमैन और एमडी नीरज सिंहल सिंडीकेट बैंक से 100 करोड़ का लोन पहले ही ले चुके थे और बकाया चुकाए बिना फिर से लोन की क्रेडिट लिमिट बढ़ाने की
जुगाड़ लगा रहे थे। इसी दौरान उनका संपर्क एसके जैन से हुआ और जैन ने कंपनी को डिफॉल्टर घोषित करने की बजाय के्रडिट लिमिट बढ़ा दी। इसके बदले में जैन ने बंैगलूरू में स्थित सिंडीकेट बैंक के कार्यालय में 60 लाख रुपए की रिश्वत मांगी जिसमें से 10 लाख रुपए 20 जून को दे दिए गए। सीबीआई को इस लेन देन की
खबर थी लेकिन वह रंगे हाथों पकडऩा चाहती थी लिहाजा भोपाल में 2 अगस्त को 50 लाख रुपए की रिश्वत के लेन-देन के समय सीबीआई ने धर दबोचा।
इस पूरे मामले में हवाला करोबार की बू भी आ रही है पुरुषोत्तम तोतलानी नामक जिस व्यक्ति की पुलिस को तलाश है वह कभी आटा चक्की चलाता था लेकिन हवाला कारोबार में आने के बाद उसका रहन-सहन बदल गया और वह मालामाल हो गया। तोतलानी ने व्यापमं घोटाले में गिरफ्तार अजय शंकर मेहता और नितिन मोहिन्द्रा की जमानत ली है इसलिए सिंडीकेट बैंक रिश्वत कांड और व्यापमं तथा हवाला के तार आपस में जुड़े होने का भी शक है क्योंकि दो माह पहले मध्यप्रदेश सीआईडी ने ई लॉटरी के नाम पर धोखाधड़ी करने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश किया था जो हवाला के रास्ते पैसा पाकिस्तान पहुंचाते थे। इस गिरोह के सरगना विष्णु उर्फ धर्मेन्द्र प्रजापति और ब्रजेश पटेल पुनीत गोधा की बिल्डिंग वर्धमान प्लाजा में किराए से रहते थे। अब सीबीआई यह जांच भी कर रही है कि गोधा बंधुओं के इन हवाला कारोबारियों से संबंध तो नहीं हैं। यदि यह साबित होता है तो मामला काफी लंबा खिंच जाएगा। इस मामले में कुल
8 आरोपी हैं जिनकी संख्या बढ़ सकती
है। सीबीआई को शक है कि जैन ने अन्य
मामलों में भी इसी तरह रिश्वत ली होगी
इसलिए उनके कार्यकाल के सारे मामलों की जांच संभव है।
विनीत और पुनीत गोधा का भूषण स्टील के वाइस चेयरमैन नीरज सिंघल से आमना-सामना कराया गया। सीबीआई ने जैन और गोधा बंधुओं को सिंघल के सामने बैठाकर पूछताछ की। सीबीआई सूत्रों के मुताबिक गोधा बंधु और एसके जैन पहले तो सिंघल को पहचानने से इनकार करते रहे, लेकिन जब सीबीआई अधिकारियों ने उन्हीं की कॉल डिटेल्स दिखाई और आरोपियों के बीच हुई बातचीत सुनाई तो वे चुप्पी साध गए। नीरज सिंघल और सिंडीकेट बैंक के सीएमडी रहे एसके जैन के बीच डील फाइनल होने के बाद ही यह तय हुआ था कि रकम भोपाल पहुंचाई जाएगी। रिश्वत की रकम पहुंचाने का इशारा सिंघल की ओर से ही हुआ था। सिंघल के अलावा भी कई नाम हैं जो इस घोटाले में सामने आ सकते हैं। सीबीआई जांच में जुटी हुई है और यह घोटाला भी अंतत: सीबीआई की जांच के दायरे में आएगा।

 

Vikas Dubey

 

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