31-Jul-2014 10:56 AM
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देश की सबसे प्रतिष्ठित यूपीएससी परीक्षा में हिन्दी भाषी छात्रों के हित का ध्यान रखने का कहकर केंद्र सरकार फंस गई है। सरकार ने यूपीएससी से परीक्षा आगे बढ़ाने का अनुरोध अवश्य किया है

लेकिन सच तो यह है कि विकल्प के तौर पर परीक्षा पैटर्न क्या हो इस विषय में अभी कोई गंभीर चर्चा नहीं हो पाई है। दरअसल विवाद 2011 में ही उस समय पैदा हो गया था जब यूपीएससी ने सी-सैट अर्थात सिविल सर्विसेज एप्टीट्यूड टेस्ट प्रारंभ किया था। इसके बाद हिन्दी भाषी छात्रों को परीक्षा पास करने में मुश्किलें आ रही थीं क्योंकि यह टेस्ट मूलत: अंग्रेजी में ही होता है। अंगे्रजी पास करने की अनिवार्यता भी छात्रों के लिए मुश्किल भरी थी। भाजपा की सरकार सत्तासीन होते ही अब हिन्दी भाषी छात्रों को हौंसला मिला है और वे नए सिरे से आंदोलन करके परीक्षा के पैटर्न में बदलाव की मांग कर रहे हैं।
भाजपा नीत सरकार प्रारंभ से ही हिन्दी को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है और अब अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के आंदोलन से इस पूरे मामले का राजनीतिकरण हो गया है। सरकार का कहना है कि भाषा के आधार पर किसी के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए। लेकिन यह विवाद गहराया तो निश्चित रूप से हिन्दी भाषी और अंग्रेजी भाषी छात्रों के बीच टकराव की नई जमीन तैयार होगी जो सरकार के लिए परेशानी खड़ी करेगी। सरकार यह चाहती है कि उसकी छवि को नुकसान पहुंचाए बगैर यह विवाद निपट जाए। विवाद निपटाने के लिए सरकार ने तीन सदस्यीय जांच कमेटी भी बना दी है और विवाद सुलझने तक परीक्षा रोक दी गई है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी का कहना है कि हिन्दी सेवा में आने वाले अधिकारियों की संख्या घटकर महज 3 प्रतिशत रह गई है राजभाषा के प्रोत्साहन के लिए बनाई गई सभी योजनाएं निरर्थक साबित हो रही हैं। जोशी ने कहा कि संघ लोक सेवा आयोग ने परीक्षा की जो पद्धति अपनायी है उससे आने वाले समय में हिंदी तो क्या तमिल, तेलुगू आदि सभी भारतीय भाषाओं का ही सफाया हो जाएगा। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या केवल अंग्रेजी भाषा में सरकार चलेगी। यूपीएससी के रवैये को लेकर छात्र आंदोलनरत हैं और यह उनके साथ ही नहीं बल्कि हिंदी भाषा के साथ भी अन्याय है। लालू यादव की पार्टी आरजेडी और कांग्रस के लोकसभा सदस्यों ने भी इस मामले को जीरो ऑवर में लोकसभा मं उठाया था। लेकिन स्पीकर सुमित्रा महाजन ने आरजेडी सांसद राजेश रंजन और पप्पू यादव द्वारा दिए गए नोटिस को यह कहकर खारिज कर दिया कि इस मुद्दे पर एडजर्नमेंट मोशन नहीं लाया जा सकता।
विवाद क्या है
द्य 2011 में सिविल सर्विसेज परीक्षा का पैटर्न
बदला गया।
द्य वैकल्पिक विषय की जगह सी-सैट का पैटर्न लाया गाया।
द्य सी-सैट के आने पर आरोप है कि उसमें अंग्रेजी भाषा को क्वालिफाई करना अनिवार्य कर
दिया गया।
द्य हिंदी भाषी छात्रों का आरोप है कि सी-सैट के आने से उनका नुकसान हो रहा है और वे सिविल सर्विसेज के लिए क्वालिफाई नहीं कर पा रहे हैं।
द्य छात्रों के मुताबिक सी-सैट में अंग्रेजी क्वालिफाई करना अनिवार्य होता है जबकि प्रश्नपत्र में अंग्रेजी का जो अनुवाद हिंदी में होता है वो सरल हिंदी न होकर बहुत ही जटिल है।
द्य पिछले कई दिनों से यूपीएससी की तैयारी कर रहे हिंदी भाषी छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं और कुछ भीख हड़ताल पर भी हैं।
द्य सरकार ने इस मामले पर तीन सदस्यीय जांच कमेटी की रिपोर्ट आने तक यूपीएससी से परीक्षा टालने को कहा है। फिलहाल इस परीक्षा के लिए 24 अगस्त की तारीख तय की गई थी।
द्य यूपीएससी विवाद के बढ़ते जाने से राजनीतिक पार्टियों ने भी इस मुद्दे पर राजनीति शुरु कर
दी है।
द्य आरजेडी, कांग्रेस और एसपी ने मामले को संसद में उठाकर सरकार से यूपीएससी परीक्षा को हिंदी भाषी छात्रों के हितों को ध्यान में रखने की मांग की है।
द्य छात्रों के इस प्रदर्शन में एबीवीपी जैसे छात्र संगठन भी आगे आ गए हैं। एबीवीपी के नेतृत्व में यूपीएससी के मुख्यालय पर भी प्रदर्शन
किया गया।
द्य यूपीएससी की तैयारी कर रहे छात्रों के सामने इस बात का संकट उत्पन्न हो गया है कि आखिर वह किस पैटर्न को ध्यान में रखकर परीक्षा की तैयारी करें?