मजबूरी की प्रशासनिक सर्जरी
31-Jul-2014 10:45 AM 1234852

सरकार को अपनी प्रशासनिक सर्जरी करने में पसीने छूट गए हैं। जून माह में तबादला नीति का प्रस्ताव कैबिनेट में रखा जाना था परंतु वह भी नहीं रखा गया इसके पीछे कई महत्वपूर्ण कारण है। सरकार चाहती थी कि वह जून माह के अंतिम दिन तक सभी तरीके के तबादलों पर बैन हटा देगी। एक सबसे महत्वपूर्ण कारण सीएम की विदेश यात्रा और उसके बाद कांग्रेसियों द्वारा मुख्यमंत्री और उनके परिवार के विरुद्ध आरोप लगाना विधानसभा सत्र का चालू होना ऐसे कई कारणों के कारण मुख्यमंत्री प्रशासनिक सर्जरी में हाथ डालने में कतराते दिख रहे हैं। हाल ही में मुख्यमंत्री द्वारा प्रशासनिक सर्जरी को लेकर महत्वपूर्ण बैठक हुई। इस बैठक में प्रदेश के लगभग पांच संभागों के कमिश्नर, एक दर्जन कलेक्टर, एक दर्जन एसपी, दो-तीन आईजी और 60-70 डिप्टी कलेक्टर इधर से उधर किए जाएंगे। चुनाव जीतने के बाद यह शिवराज की एक बड़ी प्रशासनिक सर्जरी होगी। रीवा संभाग के कमिश्नर प्रदीप खरे, आबकारी आयुक्त एसके  वेद्य इसी माह सेवानिवृत्त होने वाले हैं। वहीं अरुण तिवारी प्रमुख सचिव हो चुके हैं, आकाश त्रिपाठी सचिव बन चुके हैं। अरुण पाण्डेय, चंद्रहस दुबे जैसे कई अफसरों को डबल-डबल चार्ज देकर रखा हुआ है। इस सर्जरी में नरेंद्र सिंह तोमर, थावरचंद गहलोत, सुषमा स्वराज और सुमित्रा महाजन अपने चहेते अधिकारियों को अपने-अपने लोकसभा क्षेत्र में पदस्थ करने का प्रयास कर रहे हैं। वहीं चुनावों के चलते जिन कलेक्टरों को चुनाव आयोग द्वारा हटा दिया गया था उन्हें दोबारा जिलों में पदस्थ किया जाएगा। वहीं मंत्रालय में बैठे हुए प्रमुख सचिव राधेश्याम जिलानिया, केके सिंह, प्रबीर कृष्ण, वीआर नायडू, मोहम्मद सुलेमान, राकेश श्रीवास्तव जैसे कई अधिकारी इधर से उधर किए जाएंगे। वहीं इंदौर, धार, उज्जैन, ग्वालियर, विदिशा, खरगोन, जबलपुर, सीहोर जिलों के  कलेक्टरों की अदला-बदली होगी। यह तय माना जा रहा है कि राकेश श्रीवास्तव को अब अपने मनमाफिक पोस्टिंग मिल जाएगी वह ग्वालियर जाना चाहते थे, उन्हें ग्वालियर में आबकारी आयुक्त पदस्थ करना तय माना जा रहा है। इस महत्वपूर्ण प्रशासनिक सर्जरी को आने-वाले नगरीय निकाय, पंचायत चुनाव के मद्देनजर देखा जा रहा है। विधानसभा चुनाव के बाद मौजूदा सरकार का ग्राफ तेजी से नीचे गिरा है। कहीं ऐसा न हो कि सारी प्रदेश की निकाय और पंचायत में सरकार को जनता के हाथों नीचा देखना पड़े। प्रदेश में अचानक आए राजनीतिक भूचाल को भी कई तरीके की नजरों से आंकलन-विकलन किया जा रहा है। केंद्र और राज्य दोनों जगह भाजपा की सरकार होने से इस प्रदेश पर दिल्ली में बैठे हुए कई राजनीतिक लोगों की नजरें गड़ी हुई हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने अचानक अपने प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव को हटाने का मन आखिर क्यों बनाया इसके पीछे कई सवाल खड़े हो चुके हैं और मनोज श्रीवास्तव की जगह पर इकबाल सिंह बैंस की ताजपोशी को राजनीतिक प्रतिद्वंदियों के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जिस इकबाल सिंह को स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने बदलकर दीपक खांडेकर की पोस्टिंग की और बाद में मनोज श्रीवास्तव को अपना प्रमुख सचिव बनाया और वहीं शिवराज अचानक से इकबाल सिंह बैंस के इतने नजदीक हो चुके हैं। हाल ही में लोकायुक्त महानिदेशक पद पर अजय शर्मा की नियुक्ति कर सारे सीनियर अधिकारियों के मनसूबों पर पानी फिर गया। 1989 बैच के अजय शर्मा जो कि होशंगाबाद रेंज के आईजी हुआ करते थे उन्होंने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक शैलेंद्र श्रीवास्तव, वीके सिंह, शंकरलाल आदि अधिकारियों को पीछे छोड़ते हुए मुख्यमंत्री के मन को जीतते हुए अपनी पसंदीदा पोस्टिंग हासिल की। वहीं एक दर्जन से ज्यादा जिलों में एसपी भी बदले जाएंगे।
केंद्र सरकार की प्रतिनियुक्ति से अमिता शर्मा, स्वर्णमाला रावला, इकबाल सिंह बैंस वापस प्रदेश में लौट रहे हैं। स्वर्णमाला रावला,  अमिता शर्मा कई वर्षों बाद वापस अपने प्रदेश में लौटेंगी। वहीं इकबाल सिंह बैंस अपनी प्रतिनियुक्ति का अधूरा कार्यकाल छोड़कर प्रदेश लौट रहे हैं।

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