सुधीर शर्मा का पता नहीं?
16-Jul-2014 07:52 AM 1234799

एसटीएफ ने व्यापमं परीक्षाओं में गड़बड़ी के पचपन मामलों की रिपोर्ट हाईकोर्ट में प्रस्तुत की है लेकिन व्यापमं घोटाले का एक प्रमुख आरोपी सुधीर शर्मा गिरफ्त से क्यों बाहर है यह पता नहीं? सुधीर शर्मा फोन कर रहा है, बचने के लिए कथित रूप से उसने वकीलों से भी मशवरा किया है लेकिन एसटीएफ की गिरफ्त में नहीं आ पा रहा है। सुधीर शर्मा के प्रति एसटीएफ की नरमदिली कई सवाल खड़े कर रही है। भोपाल कोर्ट से शर्मा की जमानत की अर्जी खारिज हो चुकी है और हाईकोर्ट में उसकी अर्जी लगाई गई है। लेकिन 4000 करोड़ का मालिक सुधीर शर्मा कहां है खबर नहीं। उधर पीएमटी फर्जीवाड़े मामले में यूपी के एक स्कॉलर व एजेंट की तलाश भी की जा रही है जिसने कई छात्रों से लाखों लेकर उन्हें पास करवाया ऐसा ही एक स्कॉलर यूपी से पकड़ भी लिया गया है। उसका नाम प्रशांत यादव है।

व्यापमं में बड़े लोगों के ऊपर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप चल रहे हैं और उनके जबाव भी दिए जा रहे हैं। मध्यप्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव ने व्यापमं में नाम आने पर कहा है कि आरोप सिद्ध हो गए तो वे फांसी पर चढ़ जाएंगे। मुख्यमंत्री व्यापमं के आरोपों को पहले ही खारिज कर चुके हैं उधर कैलाश विजयवर्गीय ने सुरेश सोनी और दिवंगत के.सी. सुदर्शन के ऊपर लगे आरोपों के बाद कहा है कि यह कांग्रेस का विधवा विलाप है यदि ऐसे आरोप सिद्ध हुए तो वे जीवन ही छोड़ देंगे। किंतु इस साफगोई से कांग्रेस को काई फर्क नहीं पड़ा। भोपाल जिला कांग्रेस ने रोशनपुरा चौराहे पर चक्काजाम किया तो एमपी नगर में भारतीय जनता युवा मोर्चा ने कांग्रेस के लिए सद्बुद्धि यज्ञ कर डाला।
व्यापमं में बर्खास्त मेडिकल छात्रों ने भी अब आवाज उठानी शुरू कर दी है। उनका कहना है कि नकल प्रकरण परीक्षा हॉल में दर्ज किया जाता है और वैसे भी तीन वर्ष बाद कोई नकल प्रकरण नहीं बनता है किंतु यदि ऐसा है भी तो व्यापमं को पीएमटी में नकल करने का आधार बताना चाहिए।
जांच के दायरे में कांग्रेस शासन
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने व्यापमं मामले पर विपक्ष के स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा के लिखित जबाव में कहा है कि कांग्रेस के शासन काल में हुई मनमानी भर्तियों की भी जांच होगी। मुख्यमंत्री जब मध्यप्रदेश विधानसभा में विपक्ष के हंगामे के कारण नहीं बोल पाए तो उन्होंने व्यापमं में लगे आरोपों पर लिखित जबाव सदन के पटल पर रख दिया। उन्होंने कहा कि पूरी जांच उच्च न्यायालय के देखरेख में हो रही है। भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ी के अब तक 299 मामले सामने आये हैं। कांग्रेस द्वारा झूठे और निराधार आरोप लगाकर परिवार पर कीचड़ उछालने की कोशिश की गई है। इन आरोपों का कोई प्रमाण नहीं है। देशभक्ति और कर्मठता का पाठ सिखाने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और देशभक्ति के पर्याय स्वर्गीय सुदर्शन जी का नाम लेने की साजिश कर मामले को भटकाने की कोशिश की गई। आठ साल पहले दिवंगत हो गये मामा पर आरोप लगाने का घिनौना काम किया। सोनिया गांधी और राहुल गांधी के इशारे पर यह हो रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे पर भ्रम की स्थिति पैदा कर रही है। कांग्रेस ने तो हेंडपंप मैकेनिक को शिक्षक बना दिया। बिना किसी प्रक्रिया के नौकरी लग जाती थी। पुलिस कर्मियों की भर्ती में मापदण्डों की घोर अनदेखी होती थी। हमने पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया अपनाई। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार नौजवानों की जिन्दगी से खिलवाड़ नहीं होने देगी। कांग्रेस के शासन में बिना नियम प्रक्रिया के अपने लोगों को स्थाई नौकरी दे दी गई थी। हैंडपंप मैकेनिक को भी शिक्षित बना दिया और बिना नियम प्रक्रिया अपने लोगों को स्थायी नौकरी दे दी, मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस में तो एक नोटशीट और सिगरेट की पर्ची पर लिखकर नियुक्तियां हो जाती थीं। इस पर नेता प्रतिपक्ष सत्यदेव कटारे ने कहा कि मुख्यमंत्री 1995 के दस्तावेज दिखा रहे हैं यदि नियुक्तियां गलत हैं तो सीबीआई जांच कर ली जाए। पत्नी के नाम अरेरा कॉलोनी स्थित मकान पर हेल्थ सेंटर का विवाद उठने के बाद कटारे ने कहा कि यदि वे गलत हैं तो उन्हें तोड़ दिया जाए।
एसटीएफ ने चालान प्रस्तुत किया
व्यापमं मामले में पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा सहित कई दिग्गजों के विरूद्ध एसटीएफ ने चालान प्रस्तुत कर दिया है। 1400 पेज के इस चालान में बताया गया है कि लक्ष्मीकांत शर्मा के ओएसडी ने व्यापमं के पूर्व परीक्षा नियंत्रक पंकज त्रिवेदी को सिपाही भर्ती परीक्षा 2012 में 36 उम्मीदवारों को पास कराने की सूची दी थी कहा जाता है कि लक्ष्मीकांत शर्मा ने त्रिवेदी को बंगले पर बुलाकर सिफारिश की थी। यह जानकारी शुक्ला ने एसटीएफ को पूछताछ में बताई है। एसटीएफ ने पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा, उनके ओएसडी रहे ओपी शुक्ला, राज्यपाल के ओएसडी रहे धनराज यादव, जन अभियान परिषद के उपाध्यक्ष रहे डॉक्टर अजय मेहता, कांग्रेस नेता संजीव सक्सेना, दलाल तरंग शर्मा, संतोष गुप्ता, व्यापमं के पूर्व परीक्षा नियंत्रक पंकज त्रिवेदी, नितिन मोहिन्द्रा, अजय कुमार सेन, चन्द्रकांत मिश्रा सहित चयनित हुए 31 परीक्षार्थियों के खिलाफ चालान पेश किया है। फर्जीवाड़ा कर 65 परीक्षार्थियों को लिखित परीक्षा में पास कराया गया था। हालांकि 22 परीक्षार्थी शारीरिक परीक्षा में फेल हो गए थे। एसटीएफ ने चालान के साथ 72 गवाहों की सूची अदालत में पेश की है। चालान पेश होने के बाद सरकार की सक्रियता बढ़ गई है सुनने में आया है कि सीएम ने पार्टी के उच्च नेतृत्व के समक्ष अपनी सफाई प्रस्तुत की है। संघ के दरबार में भी वे हाजिर हुए किंतु संघ प्रमुख भागवत की तरफ से उन्हें कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला। भैया जी जोशी और सुरेश सोनी ने भी सीएम से मिलने की औपचारिकता मात्र पूरी की है। सूत्र बताते हैं कि संघ अब इस मामले में ज्यादा नहीं उलझना चाहता क्योंकि उसके भी कुछ पदाधिकारियों के नाम इस प्रकरण में उछाले जा रहे हैं। हाईकोर्ट भी व्यापमं को लेकर बहुत सख्त है। हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि निजी मेडिकल कॉलेजों के खिलाफ शिकायतों पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई। उधर व्यापमं से जुड़े एक अन्य मामले में आईजी सोनाली मिश्रा के भाई भरत मिश्रा के अदालत में समर्पण करने के बाद कु़छ और जानकारियां सामने आने की बात कही जा रही है।

त्रिवेदी को लक्ष्मीकांत ने ही नवाजा था
पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने एसटीएफ को दिए मेमोरंडम में साफ कहा है कि उन्होंने ही व्यापमं घोटाले के आरोपी पंकज त्रिवेदी को परीक्षा नियंत्रक बनवाया था। त्रिवेदी के कार्यकाल में कई घोटाले हुए त्रिवेदी ने जिन 36 सिफारिशी परीक्षार्थियों को पास करवाया उनमें से 3 लक्ष्मीकांत शर्मा के गृह क्षेत्र सिरोंज और 13 उनके ओएसडी रहे ओपी शुक्ला के गृह जिले रीवा, सतना के थे। शर्मा ने एसटीएफ को यह भी बताया कि राज्यपाल के ओएसडी धनराज यादव ने भी कई लोगों के नाम की सिफारिश की थी।
कांग्रेस ने लक्ष्य क्यों बदला
व्यापमं में कांग्रेस ने सरकार को घेरने के लिए काफी तैयारियां की लेकिन कांग्रेस का लक्ष्य केवल मुख्यमंत्री तक केन्द्रित हो गया। उनकी भांजी डिप्टी कलेक्टर रितु चौहान की एमपीपीएससी से हुई नियुक्ति पर सवाल खड़े किए गए। नेता प्रतिपक्ष सत्यदेव कटारे ने कहा कि रितु चौहान का जाति-प्रमाण-पत्र नकली है क्योंकि इसमें आय बताने वाले कॉलम को न केवल खाली छोड़ा गया है बल्कि कांट-छांट भी की गई है। आरोप तो यह भी लगाया गया कि रितु चौहान ने सीएम हाउस में बैठकर पीएससी की परीक्षा दी। उधर दिग्विजय सिंह ने भी पहले तो व्यापमं को लेकर सरकार की भरपूर खिंचाई की लेकिन वे अचानक गुना में ओला पीडि़त किसानों को मुआवजा दिए जाने की मांग को लेकर 7 दिनों की भूख हड़ताल पर बैठ गए। प्रश्र यह है कि मध्यप्रदेश में जब व्यापमं का मुद्दा गर्माया हुआ है तो दिग्विजय को अपनी कैलोरी बर्न करने के लिए मुआवजा का मुद्दा ही क्यों मिला। गुना कलेक्टर का कहना है कि जिले में 46 हजार किसानों का 62 करोड़ 31 लाख 42 हजार का मुआवजा बांटा जा चुका है। ऐसे में दिग्गी राजा को कलेक्टर की बात पर यकीन क्यों नहीं था जबकि कलेक्टर ने सूची उपलब्ध कराने की बात भी कही थी। सवाल यह भी है कि शिवराज पर निशाना साधते-साधते अचानक दिग्विजय ज्योतिरादित्य के क्षेत्र में कैसे पहुंच गए। क्या महाराजा ने राजा को इजाजत दी थी।
दिग्विजय के आरोप
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी व्यापमं घोटाले में मुख्यमंत्री पर निशाना साधा है। दिग्विजय सिंह ने एक प्रेस वार्ता में कहा कि उनके पास शिवराज सिंह चौहान के परिवार व रिश्तेदारों के नाम होने के सबूत हैं। दिग्विजय सिंह ने व्यापमं घोटाले को लेकर मुख्य न्यायाधीश को भी पत्र लिखा है। प्रदेश सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता पुरुशेंन्द्र कौरव व्यापमं के साथ-साथ एसटीएफ के भी वकील होने पर भी दिग्विजय सिंह ने सवाल उठाया है।
कटारे के सवाल
संजय सिंह पुत्र घनश्याम दास मसानी की फर्म मेसर्स नीलाक्ष इंफ्रास्ट्रक्चर प्रा.लि. बगैर वांछित अनुभव के ही लोक निर्माण विभाग में ए-3 कैटेगरी के ठेकेदार के रूप में पंजीकृत किया गया। आवेदन 21 मई 2008 को हुआ और पंजीयन प्रमाण-पत्र तीन दिन बाद 24 मई को मिल गया?
पहले पंजीयन के ठीक दो दिन बाद 26 मई 2008 को फर्म की ओर से 5 करोड़ 6 लाख रुपए का काम किया जाना बताते हुए ए-4 कैटेगरी के लाइसेंस के लिए आवेदन दे दिया गया। यह लाइसेंस भी पांच दिन में मिल गया। इसी तरह 18 मई 2009 को फर्म ने ए-5 कैटेगरी का लाइसेंस लेने के लिए आवेदन कर दियाा। इसमें बताया कि फर्म 9 करोड़ रुपए का ठेका ले चुकी है। इस मामले में सीए की आपत्ति थी कि फर्म के पास 15 करोड़ रुपए तक के ठेके का काम करने का अनुभव नहीं है। इसलिए लाइसेंस अपग्रेड कर
ए-5 न किया जाए। बावजूद इसके लाइसेंस अपग्रेड किया गया?
लाइसेंस लेने के लिए फर्जी अनुभव प्रमाण-पत्र लगाए गए। साथ ही दस्तावेजों में कांट-छांट की गई?
मुख्यमंत्री चौहान ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए साले की फर्म नीलाभ इंफ्रास्ट्रचर को करोडों रुपए के सरकारी ठेके दिलवाए?
नरोत्तम के जवाब
ठेेकेदारी पंजीयन के लिए की गई कार्रवाई नियमानुसार है। पीडब्ल्यूडी में पहली बार पंजीयन 24 मई 2008 को किया गया था। पिछले तीन सालों में कुल एक करोड़ रुपए के कार्य का अनुभव तथा एक एकल कार्य जो 50 लाख रुपए या अधिक का हो, के आधार पर यह पंजीयन किया गया था।
फर्म द्वारा पंजीयन के समय जो कार्यनुभव प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किए गए थे, वह तीन कार्यों के लिए लिए थे जिन पर फर्म का अनुभव क्रमश: 36 लाख, 50 लाख और 20 लाख रुपए का था। इस प्रकार यह फर्म निर्धारित मापदंडों को पूरा करती थी। इस फर्म द्वारा पुन: ए-4 श्रेणी में पंजीयन के लिए आवेदन किया गया, जिसमें फर्म द्वारा उपरोक्त कार्यानुभव प्रमाण-पत्रों के अतिरिक्त दो अन्य प्रमाण पत्र जो कि क्रमश: 4.25 करोड़ तथा 1.35 करोड़ का अनुभव दर्शाते हैं, लगाए गए। ए-4 व ए-5 के लिए पंजीयन के लिए सीए के अभिमत के बाद ही कार्रवाई की गई।
दस्तावेज में किसी भी प्रकार की कांट-छांट नहीं की गई है। इन दस्तावेजों की सत्यता की पुष्टि एक से अधिक बार हो चुकी है।
फर्म द्वारा दिए गए दस्तावेजों की प्रमाणिकता का सूक्ष्म परीक्षण वर्ष 2012 में किया जा चुका है। दस्तावेज सही हैं। फर्म कोई अनुचित लाभ नहीं पहुंचाया गया।

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