रेल में राहत नहीं
16-Jul-2014 07:24 AM 1234795

भारतीय रेलें दुनिया में सबसे ज्यादा यात्रियों को ढोती हैं मगर सौ रुपए पर कुल छ: रुपए कमाई ही कर पाती हैं। इसी कारण लगातार घाटे में हैं। जो छ: रुपए कमाए जाते हैं वह रेल्वे की विशाल अधोसंरचना को सुव्यवस्थित बनाने के लिए पर्याप्त नहीं हैं इसी कारण जब रेल्वे का बजट संसद के पटल पर  रखा गया तो इसे प्रस्तुत करने वाले रेलमंत्री सदानंद गौड़ा के चेहरे पर उत्साह नहीं था लेकिन भविष्य की एक गंभीर चिंता दिखाई दे रही थी। जब तक रेल्वे 15 से 20 प्रतिशत लाभ अर्जित नहीं करेगा तब तक उसकी माली हालत में सुधार नहीं हो सकेगा। रेल किराये में 14 प्रतिशत वृद्धि करने का मकसद बेहिसाब घाटे को कम करना ही था लेकिन इतना पर्याप्त नहीं है। केवल यात्रियों की जेब पर प्रत्यक्ष भार डालकर रेल्वे धनवान नहीं बन सकता क्योंकि इससे महंगाई बढऩे का खतरा है इसीलिए केंद्र सरकार रेल्वे के निजीकरण से लेकर आधुनिकीकरण तक तमाम उपाय करने की लंबी योजना पर काम कर रही है। इसके लिए दो-ढाई लाख करोड़ रुपए की फौरी आवश्यकता है किंतु कई तरह की सब्सिडी में डूबी सरकार रेल्वे का संबल नहीं बन सकती। पिछले साठ वर्षों में सरकारों ने वैसे उपाय नहीं किए जिनके चलते लोगों की जेब में पैसा आता और सब्सिडी पर उनकी निर्भरता कम रहती। मौजूदा सरकार भी इसी दुष्चक्र में फंसी है। रेल्वे बजट में इस दुष्चक्र से निकलने की कोशिश तो की गई है लेकिन इसके लिए निजीकरण का रास्ता चुना गया है। आने वाले दिनों में शायद मुंबई, कोलकाता, चैन्नई, हैदराबाद, बैंग्लूरु, अहमदाबाद, भोपाल, लखनऊ जैसे स्टेशनों को शायद प्रायवेट कंपनियां तराशने का बीड़ा उठाएंगी।
गुडग़ांव रैपिड मेट्रो में प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों-माइक्रोमैक्स और वोडाफोन के नाम पर मेट्रो स्टेशन चल रहे हैं। इसी तर्ज पर देश के बड़े रेलवे स्टेशनों के नाम प्राइवेट बदलकर उन्हें चलाने वाली कंपनी अपना ब्रैंड नेम उसके साथ जोड़ सकती है। इसका असर यह होगा कि स्टेशन पर वेटिंग रूम, डॉरमेट्री, पार्किंग, खान-पान जैसी यात्री सुविधाएं महंगी हो सकती हैं। सुविधाओं के नाम पर प्लेटफॉर्म टिकट की दर बढ़ सकती है। आने वाले दिनों में रेल में प्राइवेट सेक्टर की भूमिका बढ़ती हुई दिखाई देनी तय है। हालांकि, इस फैसले के अमल में अभी देर है क्योंकि रेल मंत्री सदानंद गौड़ा ने कहा है कि रेल परियोजनाओं में एफडीआई के लिए कैबिनेट की मंजूरी लेनी पड़ेगी। लेकिन देश की कंपनियों के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी मॉडल) के तहत रेलवे के साथ जुडऩे के लिए दरवाजा खुलने जा रहा है। प्राइवेट सेक्टर खासकर एफडीआई को लेकर एनडीए का रुख यूपीए सरकार के कार्यकाल से उलट है। तब यूपीए रेलवे में एफडीआई के पक्ष में थी और एनडीए के नेता उसका विरोध कर रहे थे।
हाई स्पीड ट्रेनों के लिए प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी की कोशिश की जाएगी।  देश के 9 रूटों पर हाई स्पीड ट्रेन चलाई जाएगी। मतलब इन रूटों पर ट्रेन औसतन 160 से 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेगी और यात्रा में मौजूदा वक्त में लगने वाला समय आधा हो सकता है।  हाई स्पीड ट्रेन सुविधाजनक तो होगी, लेकिन उसका किराया काफी ज्यादा होने की आशंका है। इसका फायदा समाज के एक वर्ग को ही होने की उम्मीद है। प्राइवेट सेक्टर की मदद लेने की वजह से किराए पर सरकार का पूरा नियंत्रण मुश्किल होगा। चीन में 950 किलोमीटर की दूरी तय करने वाली हाई स्पीड ट्रेन का किराया भारतीय मुद्रा में 3200 रुपए से ज्यादा है। देश में खान-पान की बड़ी कंपनियां देश के चुनिंदा स्टेशनों पर अपने फूड कोर्ट खोलेंगी। ट्रेनों में पैंट्री कार अब नामी प्राइवेट कंपनियां चलाती दिखेंगी। खाने की क्वॉलिटी बेहतर होगी, लेकिन वह महंगा होगा। अभी स्टेशन पर नियंत्रित दरों पर 10 रुपए में मिलने वाली पूड़ी-सब्जी से पेट भरा जा सकता है। जल्द ही इसके लिए 50-75 रुपए तक खर्च करने पड़ सकते हैं। अभी कई ट्रेनों में ठेके पर साफ-सफाई का काम कराया जा रहा है। जल्द ही देश के 50 बड़े स्टेशनों पर प्राइवेट कंपनियों के हाथ में साफ-सफाई की जिम्मेदारी होगी। सभी स्टेशनों पर प्राइवेट सेक्टर के साथ हाथ मिलाकर फुटओवर ब्रिज, लिफ्ट और एस्केलेटर वगैरह बनाए जाएंगे। सीनियर सिटिजंस के लिए बैटरी ऑपरेटेड कार चलाई जाएंगी। रेल मंत्री ने भाषण के शुरुआती हिस्से में भारतीय रेल की बुरी तस्वीर का ब्योरा दिया। उन्होंने कहा कि 9 साल में 99 योजनाओं का एलान किया गया, लेकिन सिर्फ एक योजना पूरी हुई। चार परियोजनाएं 30 साल से लंबित हैं। कुल 359 परियोजनाएं लंबित हैं। इन्हें पूरा करने के लिए एक लाख 82 हजार करोड़ रुपए चाहिए। लेकिन, रेलवे को सौ रुपए में सिर्फ छह रुपए की बचत होती है। उन्होंने कहा कि कड़वी दवा शुरू में बुरी लगती है, लेकिन बाद में अमृत का काम करती है।
यात्रियों को कई सुविधाएं देने का वादा
मुंबई-अहमदाबाद रूट पर पहली बुलेट ट्रेन चलाई जाएगी। 9 रूट्स पर हाई स्पीड ट्रेनें चलाने की घोषणा।
इंटरनेट के जरिए प्लैटफॉर्म टिकट मिलेगा।
अनारक्षित टिकट भी इंटरनेट से मिलेगा।
इंटरनेट से टिकट बुकिंग में होने वाली देरी दूर करने के लिए एक मिनट में 7200 टिकट बुक हो सकेंगे।
पोस्ट ऑफिस से ट्रेन टिकट की बुकिंग होगी।
राजधानी और शताब्दी जैसी ए-1 और ए कैटिगरी की ट्रेनों में वाई-फाई की सुविधा होगी।
10 बड़े शहरों के स्टेशनों को पीपीपी मॉडल के जरिए एयरपोर्ट्स की तरह बनाया जाएगा।
अगले दो साल में मुंबई को 864 नई ईएमयू ट्रेनें मिलेंगी।
साफ-सफाई के लिए हेल्पलाइन बनाई जाएगी। इसकी मॉनिटरिंग सीसीटीवी से की जाएगी। 50 स्टेशनों पर साफ-सफाई का काम आउटसोर्स किया जाएगा।
बड़े ब्रांड्स का पैक्डÓ रेडी-टु-ईट खाना मिलेगा। स्टेशनों पर फूड कोर्ट्स भी खोले जाएंगे। एसएमएस और कॉल से ऑर्डर कर सकेंगे खाना।
सभी स्टेशनों पर पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के जरिए फुटओवर ब्रिज, लिफ्ट और स्वचालित सीढिय़ां वगैरह बनाए जाएंगे।
सीनियर सिटीजंस के लिए ट्रेन तक पहुंचने की खातिर बैटरी से चलने वाली कारों की सुविधा मुहैया कराई जाएगी।
ट्रेन में और स्टेशनों पर आरओ का साफ पानी पीने को मिलेगा।
तीर्थस्थानों के लिए विशेष ट्रेनें चलाई जाएंगी। केदारनाथ और बद्रीनाथ तक रेल लाइन के लिए स्टडी कराई जाएगी।
ट्रेनों में वर्कस्टेशन होंगे जिनका इस्तेमाल लोग फीस देकर कर सकेंगे।
30 सितंबर के बाद एक्सप्रेस ट्रेनों के सभी गैर-जरूरी स्टॉपेज बंद होंगे। ज्यादा स्टेशनों पर नहीं रुकेंगी गाडिय़ां।
हादसों पर रोक लगाने के लिए एडवांस्ड तकनीक वाली ट्रेनें शुरू की जाएंगी।
नमक ढोने के लिए खास डिब्बे।
पार्सल ट्रेनों के लिए अलग स्टेशन बनेंगे।

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