16-Jul-2014 06:03 AM
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प्रवर्तन निदेशालय (सीवीसी) ने अगस्ता वेस्टलैंड के साथ अतिविशिष्ट हेलीकॉप्टरों की खरीद से जुड़े 3600 करोड़ रुपए के सौदे में रिश्वत के आरोपों की वित्तीय जांच आरंभ कर दी है। लेकिन सवाल

वही है कि इस सौदे की सत्यता कब सामने आ सकेगी।
सीवीसी ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया है ताकि विदेशी मुद्रा संबंधी कानूनों के कथित उल्लंघन की जांच की जा सके। अधिकारी इस मामले में कथित तौर पर शामिल कई भारतीय कंपनियों और व्यक्तियों को नोटिस जारी करने वाले हैं। प्रवर्तन निदेशालय रक्षा मंत्रालय से भी संपर्क करेगा ताकि इस मामले से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेज और दूसरे अहम विवरण हासिल किए जा सकें। एजेंसी ने अलग से कुछ उन बैंकों से संपर्क किया था जिनका इस्तेमाल इस मामले में कथित तौर पर शामिल कंपनियों एवं व्यक्तियों के धन के कथित लेनदेन में किया गया। सीबीआई इस मामले में पहले ही जांच कर रही है। पिछली संप्रग सरकार ने दिसंबर, 2013 में हेलीकॉप्टर सौदे को रद्द कर दिया था।
हेलीकॉप्टर सौदे में कथित रिश्वतखोरी के मामले में सीबीआई ने पूर्व वायुसेना प्रमुख एस पी त्यागी तथा 13 अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इनमें त्यागी के कुछ रिश्तेदार और यूरोपीय बिचौलिए शामिल हैं। त्यागी पर आरोप है कि उन्होंने हेलीकॉप्टर की उड़ान की अधिकतम सीमा को कम कर दिया ताकि अगस्ता वेस्टलैंड कंपनी बोली में शामिल हो सके। त्यागी ने अपने खिलाफ लगे आरोप को खारिज किया है। सीबीआई ने हाल ही में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल एमके नारायणन से बतौर गवाहÓ पूछताछ की थी जिसके बाद पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एमके नारायणन ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया था। गोवा के राज्यपाल बीवी वांचू भी इस मामले में पूछताछ के बाद पद से स्तीफा दे चुके हैं। विदेशी मुद्रा संबंधी कानूनों के कथित उल्लंघन की जांच के संतोषजनकÓ स्तर तक पहुंचने के बाद एजेंसी इस बात की पड़ताल करेगी कि इस मामले में धनशोधन कानूनों के तहत अलग से आपराधिक मामला दर्ज करने की जरूरत है या नहीं।
ज्ञात रहे कि घूसखोरी के आरोपों से घिरे वीवीआइपी हेलीकॉप्टर सौदे को रक्षा मंत्रालय ने रद्द कर दिया था । राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री समेत अतिविशिष्ट लोगों के लिए 3600 करोड़ रुपये के हेलीकॉप्टर सौदे पर एंग्लो-इतालवी कंपनी अगस्ता-वेस्टलैंड को खरीद सौदे से पहले हुए इंटिग्रिटी पैक्ट के उल्लंघन का दोषी मानते हुए सरकार ने यह फैसला किया था। 360 करोड़ रुपये की रिश्वतखोरी के आरोपों के बीच हुई इस कार्रवाई में भारत ने कंपनी की करीब 1700 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी भी जब्त कर ली थी। घोटाले से घिरे किसी सैन्य खरीद करार पर पहली बार इतनी सख्त कार्रवाई करते हुए रक्षा मंत्रालय ने वर्ष 2010 में 12 विमानों की खरीद के लिए हुए सौदे को निरस्त किया था। वर्ष 2013 में दो बड़े अधिकारियों की गिरफ्तारी के बाद घोटाले के आरोपों में घिरी कंपनी की ओर से तीन हेलीकॉप्टर पहले ही दिए जा चुके हैं। वर्ष 2012 में सामने आए इस मामले पर इटली की अदालत में भी सुनवाई चल रही है।
फरवरी, 2010 में 12 अगस्ता वेस्टलैंड-101 हेलीकॉप्टर की खरीद का समझौता भारत सरकार और इटली की दिग्गज रक्षा कंपनी फिनमैकेनिका के बीच हुआ था। इस कंपनी में इटली सरकार की भी 30 फीसद हिस्सेदारी है। प्रतिस्पर्धा में अमेरिकी और रूसी कंपनियां भी थीं, लेकिन अंतिम रूप से अगस्ता-वेस्टलैंड ने बाजी मारी। यह समझौता 3546 करोड़ रुपये का था। फिनमैकेनिका की शाखा है अगस्ता-वेस्टलैंड, जो ब्रिटेन में स्थित है। इटली में कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों की गिरफ्तारी के बाद पिछले साल फरवरी में इस सौदे में दलाली का मामला प्रकाश में आया।
दलाली
फिनमैकेनिका कंपनी के सीईओ और चेयरमैन गियुसिपी ओर्सी पर आरोप है कि उसने अगस्ता-वेस्टलैंड हेलीकॉप्टरों की डील हासिल करने के लिए बिचौलियों की मदद ली और उन्हें 51 मिलियन यूरो (करीब 360 करोड़ रुपये) दिए। यह रकम इटली और भारत में बांटी गई। ओर्सी और अगस्ता के सीईओ ब्रूनो स्पैगनोलिनी को गिरफ्तार किया गया। इस मामले में तत्कालीन वायुसेना प्रमुख एसपी त्यागी पर भी दलाली लेने का आरोप है।
अगस्ता सौदे के प्रमुख बिचौलिये माने जा रहे गियुडो राल्फ हश्के (62) के पास स्विट्जरलैंड के अलावा अमेरिका की भी नागरिकता है।
माना जाता है कि उसकी भारतीय रक्षा बिजनेस क्षेत्र में जबर्दस्त पकड़ है। वह निर्बाध रूप से भारत आता रहा है और यहां के रक्षा क्षेत्र की कार्यशैली से भलीभांति वाकिफ है
सेबी रिकॉर्ड के अनुसार वह 2009 तक एमजीएफ एम्मार के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में भी शामिल था
कार्रवाई
भारतीय नियमों के अनुसार रक्षा समझौता हासिल करने के लिए बिचौलियों की मदद लेना गैरकानूनी है। इसके अलावा भारत ने अगस्ता वेस्टलैंड कंपनी से इंटीग्रिटी पैक्ट के तहत यह करार भी कर रखा था कि अगर सौदे में बिचौलियों और दलाली की बात सामने आई तो सौदा रद कर दिया जाएगा और कंपनी को काली सूची में भी डाल दिया जाएगा।