16-Jul-2014 06:52 AM
1234771
चुनाव जीतने के बाद सरकारों का बजट जिस तरह का होता है, लगभग वैसा ही बजट मध्यप्रदेश के वित्तमंत्री जयंत मलैया ने प्रस्तुत किया है। बजट को सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय बनाने की

कोशिश की गई है। लेकिन महंगाई पर काबू पाने में यह बजट नाकाम रहा है। इससे पहले महंगाई बढऩे पर राज्य सरकार केंद्र पर जिम्मेदारी डाल देती थी किंतु अब केंद्र में भी उसी दल की सरकार सत्तासीन है जो राज्य में है। इसलिए कोई बहाना नहीं बनाया जा सकता। संभवत: इसीलिए विधानसभा मेें बजट भाषण में वित्तमंत्री जयंत मलैया ने कहा कि यह बजट मात्र आंकड़़ों का लेखा-जोखा नहीं वरन् प्रदेश के विकास को नई दिशाा देने वाला रोड मैप है, परंतु वाकई में यह बजट आम जनता के हितों को ध्यान में रखकर नहीं बनाया गया। इस बजट में बच्चों से लेकर बुजुर्गों और किसानोंं से लेकर व्यवसायियों के लिए खुश होने के कारण हैं, फिर उसके बाद बताया कि यह उनकी सरकार के लिए दृष्टिपत्र 2018 को ध्यान में रख कर बनाया गया है। यही बात विचारणीय है। आज मध्यप्रदेश की अर्थव्यवस्था सीएमओ के अनुसार देश की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है जो पिछले साल 11.08 फीसदी बढ़ी है जबकि देश का औसत 4.5 फीसदी भी नहीं है। पिछले बजट जैसे ही इस बजट में वादे, उम्मीदें और सभी के लिए कुछ न कुछ जिक्र है, सिवाय कोयले के इस पर प्रवेश शुल्क में 1 फीसदी की वृद्धि को छोड़कर कोई करारोपण जैसी चीज नहीं है। हां, कई मदों पर वैट की दर 13 से घटाकर 5 फीसदी की गई है और जनेऊ, मंदिर की घंटियां, प्रसाद आदि को कर मुक्त करने की घोषणा करके छूट देने की रस्म अदायगी की गई है। हालांकि इस बार वित्त मंत्री ने 34 कृषि उपकरणों पर वैट माफी की घोषणा की है। इतना ही नहीं, उद्योगों के लिए थर्मल इन्सुलेटर, कम्प्यूटर स्कैनर, सिलाई की सुइयों और मक्खन जैसी चीजों पर वैट घटाया गया है।
प्रदेश के इतिहास में अब तक के सबसे बड़े एक लाख 17 हजार करोड़ रुपए से अधिक के इस बजट में शुद्ध घाटा 76.89 करोड़ रुपए का बताया गया है। सबसे बड़ी बात यह है कि बजट में कोई नया कर नहीं लगाया गया है।
मध्यप्रदेश देश के उन राज्यों में है जिसकी प्रगति की ओर कई समृद्ध राज्यों की नजर टिकी है। प्रदेश में औद्योगिक निवेश, बिजली क्षेत्र का बढ़ता घाटा, अधोसंरचना का विस्तार जैसी बड़ी चुनौतियां हैं। राज्य ने कृषि क्षेत्र में पिछले कुछ सालों में जो अभूतपूर्व सफलता पाई है उसके चलते खेती-किसानी से जुड़ी 34 चीजों को कर मुक्त कर कृषि क्षेत्र को 32 करोड़ रुपए की राहत दिए जाने का फैसला उचित कहा जा है। वर्ष 2003-2004 तक राज्य में कुल राजस्व प्राप्ति का 22 प्रतिशत हिस्सा ब्याज भुगतान करने में खर्च होता था। इसको कम कर 6 प्रतिशत तक ले आया गया है। इस बार अलग से 22 हजार 413 करोड़ रुपए का कृषि बजट भी प्रस्तुत किया गया है। जो कुल बजट के 19 प्रतिशत से ज्यादा है। सरकार बुनियादी सेवाओं और सामाजिक सेवाओं के बजट में बढ़ोतरी कर रही है, लेकिन उन सेवाओं की गुणवत्ता में अपेक्षित सुधार दिखाई नहीं दे रहा है। अकेले यदि विद्युत वितरण कंपनियों का ही मामला लें तो पिछले आठ सालों में प्रदेश की तीनों विद्युत वितरण कंपनियों पूर्व, मध्य और पश्चिम का घाटा 700 करोड़ से बढ़कर 19 हजार करोड़ रुपए हो गया है। खुद वित्तमंत्री ने अपने भाषण में स्वीकार किया है कि वर्ष 2013-14 में इन कंपनियों की तकनीकी और वाणिज्यिक हानियां करीब 26 प्रतिशत थीं। यह बहुत बड़ा आंकड़ा है। इससे प्रदेश के विकास और संपूर्ण आयोजना बजट पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। राज्य सरकार अपने संसाधनों से चालू वित्तीय वर्ष में 45,748 करोड़ जुटा पाएगी, जबकि केंद्र से मिलने वाले अनुदान और केंद्रीय करों में प्रदेश की हिस्सेदारी से चालू वित्तीय वर्ष में 67,744 करोड़ रुपए मिलने की संभावना है। जहां राज्य के कर 17.27 प्रतिशत की दर से बढ़ रहे हैं, वहीं केंद्र अनुदान 30 प्रतिशत की दर से बढऩे की संभावना है। अगर राज्य सरकार के पास केंद्र के सहायक अनुदान और केंंद्रीय करों में प्रदेश के हिस्से का सहारा नहीं होता तो विकास कार्यों में अड़चन आ सकती है। इसके अलावा नॉन प्लान खर्चों को कम करने में भी सरकार पूर्णत: सफल होती नहीं दिख रही है। चालू वित्तीय वर्ष में राज्य सरकार लगभग 62,750 करोड़ रुपए नॉन प्लान (जिसमें कर्मचारियों के वेतन-भत्ते, पेंशन, कर्ज पर ब्याज भुगतान प्रमुख है) के अंतर्गत खर्च करेगी। जबकि 54,290 करोड़ रुपए प्लान खर्चों के तहत व्यय किया जाएगा।
34 उपकरण कर मुक्त
वित्त मंत्री ने किसानों को सौगातें दीं। कृषि उपकरण कर मुक्त करने के अलावा किसानों के बिजली बिल पर लगा सरचार्ज भी माफ कर दिया। बाकी बिल का आधा भी सरकार ही चुकाएगी। इतना ही नहीं, मक्के के समर्थन मूल्य पर 150 रुपए प्रति क्विंटल की दर से बोनस भी देगी। इस वित्तीय वर्ष में 34 लाख किसानों को 15 हजार करोड़ रुपए का ब्याज मुक्त कर्ज दिया जाएगा। प्राकृतिक आपदा के चलते बर्बाद हुई फसल पर अब 900 करोड़ रुपए की बीमा राशि दी जाएगी। यानी फायदा बर्बादी पर अच्छा मुआवजा मिलेगा।
कृषि यंत्र होंगे सस्ते
थ्रेशर, लेवलर, स्क्रेपर, कल्टीवेटर, प्लाऊ, मेज शेलर, पोटेटो प्लांटर, मेज प्लांटर, पोटेटो डिगर, ग्राउंडनट डिगर, सीड ड्रिल, सीड करटर, फर्टीलाइजर कस्टर, रीपर, शुगर केन कटर, शुगर केन प्लांटर, पोस्ट होल डिगर, हैरो, बंड फार्मर, रिजर, केज व्हील मशीन, हार्वेस्टर, शैफ कटर, पॉवर टिलर, सीड ग्रेडर एवं सीड ग्रेडर मशीन, हार्वेस्टर, पैडी टांसप्लांटर, स्प्रेयर, डस्टर, सीड ब्रॉडकास्टर, फर्टीलाइजर ब्रॉडकास्टर, विनोवर, पू्रर्निंग इक्विपमेंट, बेलर आदि सस्ते हो सकते हैं।