15-Jul-2014 11:02 AM
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अमेरिकी साइंस फिक्शन फिल्म सीरीज ट्रांसफॉर्मर्सÓ का ये चौथा पार्ट है। फिल्म का मुख्य नायक यूं तो केड येगर (मार्क वॉलबर्ग) है, पर इस सीरीज़ के फैन्स जानते हैं कि मुख्य नायक असल में

ऑप्टिमस प्राइम है। ऑप्टिमस प्राइम और उसके साथी ट्रांसफॉर्मर्स (बम्बलबी, हाउंड, क्रॉसहेयर्स, ड्रिफ्ट, रैशेट और ब्रेन्स आदि) अब एक गुमनाम जिंदगी जी रहे हैं। कौन कहां है, किसी को एक-दूसरे के बारे में पता नहीं। बावजूद इसके एक सीआईए एजेंट हैरल्ड एटिंगर (केल्सी ग्रामर) धरती के हरेक ट्रांसफॉर्मर को खत्म कर देना चाहता है। उधर, एक सिरफिरे अडिय़ल वैज्ञानिक एवं बिजनेसमैन जोशुआ जॉयस (स्टैनली टूसी) जो केएसआई प्रमुख भी है, ने अपनी प्रयोगशाला में कुछ खतरनाक किस्म के ट्रांसफॉर्मर्स बना डाले हैं। एक तरफ हैरल्ड सभी ट्रांसफॉर्मर्स को खत्म कर देना चाहता है तो दूसरी तरफ वह जोशुआ के साथ मिल कर नए ट्रांसफॉर्मर्स बना रहा है। इसी बीच हैरल्ड को खबर मिलती है कि एक बेहद पुराने ट्रक को टेक्सास ले जाते देखा गया है। उसे अंदेशा है कि ये एक ट्रांसफॉर्मर है। दरअसल, इस ट्रक को एक रोबोट बनाने वाले व्यक्ति केड ने खरीदा है, जिसकी माली हालत ठीक नहीं है। केड इस ट्रक की मरम्मत कर ही रहा होता है कि उसे पता चल जाता है कि ये एक ट्रांसफॉर्मर है। उसकी बेटी टेस्सा येगर (निकोला पेल्ट्ज) और उसका एक दोस्त उसे सलाह देते हैं कि वह इसके बारे में पुलिस को बता दे, लेकिन वह नहीं मानता। इसी दौरान हैरल्ड के गुर्गे केड के घर पर हमला बोल देते हैं और टेस्सा का बॉयफ्रेंड शेन डायसन (जैक रेनॉर) इन तीनों को लेकर वहां से भाग जाता है। तब तक पुराने ट्रक का रूप धारण किये बैठा ऑप्टिमस प्राइम अपने अस्तित्व में आ चुका होता है और वो हैरल्ड के गुर्गों के लिए आफत बन जाता है, लेकिन हैरल्ड और जोशुआ प्राइम के सामने एक बेहद ताकतवर ट्रांसफॉर्मर गैल्वाट्रॉन को उतार देते हैं, जो अपने साथी ट्रांसफॉर्मर्स की मदद से प्राइम और उसके साथियों के सामने मुश्किलें खड़ी कर देते हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि इस चौथी किस्त में माइकल बे ने पहले से कहीं अधिक प्रभावशाली और उन्नत सी-आईजी तकनीक, 3डी प्रभाव और प्रभावी बैकग्राउंड संगीत का इस्तेमाल कर फिल्म को आश्चर्यजनक रूप से रोचक बना डाला है। फिल्म अपने पहले भाग में बांधे भी रखती है। लगता है कि गैल्वाट्रान नामक नया और शैतानी दिमाग रखने वाला ट्रांसफॉर्मर प्राइम पर भारी पड़ेगा। वो भारी पड़ता भी है, लेकिन अचानक कहानी एक बिजनेसमैन और एक सनकी सीआईए एजेंट की साजिशों के बीच उलझ कर रह जाती है। प्राइम के सामने केड और टेस्सा की कहानी बौनी नजर आती है, जिससे इस मशीनी कहानी में मानवीय पहलू खोते से नजर आने लगते हैं। दूसरी मार फिल्म की लंबाई है, जो इस चौथी किस्त में भी खलती है। ढाई घंटे से ज्यादा की इस फिल्म में अंत के चालीस मिनट काटने मुश्किल हो जाते हैं। क्लाईमैक्स के दौरान एक्शन सीन्स में दोहराव नजर आते हैं।
मार्क खुद एक बेहतरीन एक्शन स्टार हैं। उनकी इस छवि को फिल्म में ठीक से भुनाया नहीं गया है। ऐसा लगता है कि पिता का किरदार उन पर थोपा गया है। पहले और दूसरे ट्रांसफॉर्मर्स के मुकाबले इस चौथे पार्ट की कहानी कमजोर है। हालांकि फिल्म के मेकर्स इस चौथे भाग को एक ट्रायोलॉजी के रूप में पेश कर रहे हैं, जिसके बाकी दो भाग क्रमश: 2016 और 2019 में आएंगे और मार्क उसमें मुख्य भूमिका में होंगे, लेकिन फिल्म की हालत देख लगता है कि कहीं उनका हाल भी शिया लाबिऑफ की तरह ही न हो जाए।