15-Jul-2014 10:49 AM
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बीते दिनों देश ने दो महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की। भारत ने एक ही दिन में चार देशों के पांच उपग्रहों को अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित किया और उधर वैष्णोदेवी जाने वाले तीर्थयात्रियों के लिए
रेल्वे ने कटरा तक पहुंचने का मार्ग प्रशस्त किया है। इन दोनों उपलब्धियों की खास बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वयं दोनों अवसर पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
इसरो द्वारा सैटेलाइट लॉन्च किए जाने से भारत को विश्व स्तर पर कई फायदे होने की उम्मीद है। ऐसा पहली बार नहीं है जब इसरो ने विदेशी सैटेलाइट्स को लॉन्च किया। 1999 से लेकर अब तक इसरो 35 विदेशी सैटेलाइट्स लॉन्च कर चुका है। इनमें से ज्यादातर सैटेलाइट्स विकसित देशों के रहे हैं। इसरो ने क्कस्रुङ्क ष्ट-23 के जरिए जो पांच सैटेलाइट्स भेजे हैं, उनमें से एक 714 किलोग्राम का है और बाकी सभी सैटेलाइट्स कम वजन के हैं। इससे पहले 2012 में इसरो 712 किलोग्राम का एक सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेज चुका है। इसरो की तरफ से अभी छोड़े गए उपग्रहों को मिलाकर कुल आंकड़ा 40 का हो गया है। जिन चार देशों के पांच उपग्रहों को छोड़ा गया है वे सभी विकसित देश हैं। भारत एक विकासशील देश है और उसने इस काम को अंजाम देकर यह साबित कर दिया है कि वह दुनिया में बेहतर लॉन्च सेवा प्रदाता देश बन सकता है। भारत दुनिया के उन 5-6 प्रमुख देशों की लिस्ट में शामिल हो गया है जो अंतरिक्ष तकनीक में माहिर हैं। इस कामयाब लॉन्च से भारत की छवि को और मजबूती मिली है। भारत ने अभी तक जो 35 विदेशी उपग्रह छोड़े थे, उनमें से 18 का वजन 10 किलो से भी कम था। ऐसा दूसरा मौका है जब उसे 700 किलो से ज्यादा वजन का उपग्रह छोडऩे का मौका मिला है।
2012 में इसरो ने स्क्कह्रञ्ज-6 को छोड़ा था जिसका वजन 712 किलो था। बड़े वजन का उपग्रह छोडऩे का एक और सफल अनुभव हासिल हुआ। इस कामयाब लॉन्च के बाद दुनिया के बाकी देश भी अपने उपग्रह को अंतरिक्ष में छोडऩे के लिए इसरो की मदद ले सकते हैं। इससे इसरो के पास ज्यादा पैसा आएगा और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को मजबूती मिलेगी। दरअसल, मोदी ने कुछ दिनों पहले ही यह घोषणा कर दी थी कि वह लॉन्च कार्यक्रम के दौरान सतीश धवन स्पेस सेंटर में मौजूद रहेंगे। वह लॉन्च से एक दिन पहले ही श्रीहरिकोटा पहुंच गए थे। उधर प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने कटरा-उधमपुर रेल लाइन का उद्घाटन करते हुए कटरा से चलने वाली पहली सवारी गाड़ी को उधमपुर के लिए हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। मोदी ने कटरा से ट्रेन को हरी झंडी दिखाने के बाद कहा कि केंद्र विकास के जरिए जम्मू कश्मीर के लोगों का दिल जीतना चाहता है। उन्होंने सुझाव दिया कि इस ट्रेन का नाम श्रीशक्ति एक्सप्रेस रखा जाना चाहिए। श्री शक्ति देवी दुर्गा के नामों में से एक है। जम्मू-कश्मीर के रियासी जिला स्थित त्रिकूट की पहाडिय़ों में बनाए गए स्टेशन से चलने वाली इस पहली ट्रेन को हरी झंडी दिखाए जाने के बाद माता वैष्णो देवी के मंदिर जाने वाले तीर्थयात्री ट्रेन से सीधे कटरा पहुंच सकेंगे। मोदी ने कहा, मैं माता वैष्णो देवी के करोड़ों भक्तों को बधाई देता हूं, जो देश भर से यहां तीर्थयात्रा के लिए आना चाहते हैं। नया रेल लिंक राज्य में विकास की गति तेज करेगा।
उन्होंने कहा, अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा शुरू की गई यात्रा जारी रहेगी। हमारी प्राथमिकता विकास के जरिए इस राज्य के हर नागरिक का दिल जीतने की है। ट्रेन न सिर्फ जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए, बल्कि समूचे भारत के लोगों के लिए उपहार है। राज्य ने कई समस्याओं और मुश्किलों का सामना किया है और देश इसे समृद्ध व शांतिपूर्ण देखना चाहता है।Ó
25 किलोमीटर लंबी यह उधमपुर-कटरा लाइन लंबे इंतजार के बाद शुरू हुई है। त्रिकूट की पहाडिय़ों पर स्थित माता वैष्णो देवी जाने वाले तीर्थयात्रियों के लिए कटरा बेस कैंप है। कटरा तक ट्रेन संपर्क महत्वाकांक्षी कश्मीर रेल लिंक परियोजना का हिस्सा है, जो घाटी को शेष देश से जोड़ेगी। कटरा और बनिहाल दर्रे के बीच अंतिम लिंक के वर्ष 2018 तक पूरा हो जाने की उम्मीद है। कुल 25 किलोमीटर लंबी उधमपुर-कटरा लाइन लंबे इंतजार के बाद शुरू हुई है, जिसके निर्माण पर 1,132.75 करोड रुपये की अनुमानित लागत आई है। यह ट्रेन 7 सुरंगों और 30 से अधिक छोटे-बड़े पुलों से गुजरेगी। उधमपुर और कटरा के बीच एक छोटा स्टेशन चक्रख्वाल होगा।