05-Jul-2014 08:55 AM
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सांई बाबा को भगवान मानें या न मानें इस बहस में उमाभारती भी शामिल हो गईं हैं। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने सांई बाबा को मांसाहारी और मुस्लिम बताते हुए हिन्दुओं को सलाह दी

थी कि वे उनकी पूजा न करें और न ही मंदिरों में सांई बाबा की मूर्ति हिन्दू देवी-देवताओं के साथ स्थापित करें। शंकराचार्य ने ये भी कहा था कि सांई बाबा हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रतीक नहीं हैं यदि ऐसा होता तो मुस्लिम भी उनकी पूजा करते। स्वरूपानंद के इस बयान के बाद सारे देश में सांई भक्तों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी और स्वरूपानंद का विरोध शुरू हो गया। उनके विरूद्ध कानूनी कार्यवाही करने की धमकी भी दी गई। स्वरूपानंद का कहना था कि जो भक्त सांई बाबा को भगवान मानते हैं वे न तो गंगा नहाने जाएं और न ही मंदिर-तीर्थ जाया करें।
केन्द्रीय मंत्री साध्वी उमा भारती ने स्वामी स्वरूपानंद का विरोध करते हुए कहा कि सांई बाबा ने ऐसा कभी नहीं कहा कि उन्हें भगवान माना जाए, भक्तों ने भी कभी नहीं कहा कि उन्हें 25वां अवतार घोषित करो। उमा भारती ने कहा कि आस्था होने पर हम अपने माता-पिता, अतिथि और गुरु को भी भगवान मानते हैं। उमा भारती के इस कथन के बाद स्वरूपानंद ने उन पर हमला बोलते हुए कहा कि उमा भारती इस मुद्दे पर राजनीति नहीं करें और धार्मिक भावनाओं में दखल नहीं दें। स्वरूपानंद सरस्वती ने हरिद्वार स्थित अपने आश्रम में संतों की बैठक भी बुलाई और इस बैठक में उमा भारती की निंंदा करते हुए उनसे इस्तीफे की मांग की गई।
शंकराचार्य ने कहा, उमा भारती साईं की पूजा का समर्थन कर दबाब की राजनीति कर रही हैं। उमा मंत्री हैं, भगवान नहीं। उन्हें जनता ने शासन करने के लिए चुना है और वो धार्मिक व्यवस्थाओं में दखल नहीं दें। शंकराचार्य ने उमा भारती की गुरु भक्ति को भी सवालों के घेरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा, उमा ने जिन गुरु स्वामी विश्वेश तीर्थ से संन्यास की दीक्षा ली है, उन्होंने हमारी बात का सर्मथन किया है। सनातन पंरपरा में संन्यासी गुरु भक्त होता है तो उमा कैसी संन्यासिनी हैं जो अपने गुरु के खिलाफ जा रही हैं। शंकराचार्य ने कहा कि सनातन धर्म में आचार्य धार्मिक व्यवस्थाओं को देखते हैं और उमा बताएं कि कौन सा आचार्य कह रहा है कि साईं की पूजा करना उचित है।
साईं पूजा के विरोध में स्वरूपानंद ने दो दलीलें दी थीं। उन्होंने कहा था- कहा जाता है कि पूजा अवतार या गुरु की जाती है। सनातन धर्म में भगवान विष्णु के 24 अवतार माने जाते हैं। कलयुग में बुद्ध और कल्कि के अलावा किसी अवतार की चर्चा नहीं है। इसलिए, साईं अवतार नहीं हो सकते। शंकराचार्य की दूसरी दलील यह थी- जहां तक गुरु मानने की बात है तो गुरु वह होता है जो सदाचार से भरा हो, लेकिन साईं मांसाहारी था, लोगों के खतना करवाता था, पंडारक समाज की औलाद था जो लुटेरा समाज था। ऐसे में वह हमारा आदर्श भी नहीं हो सकता।
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के बयान के बाद कई संतों ने उनका समर्थन किया था। संतों का मानना है कि साईं बाबा का हिंदू देवताओं के समकक्ष रखकर पूजा करना सही नहीं है। वहीं, कुछ संतों का कहना है कि पहले शंकराचार्य हिंदू धर्म में व्याप्त पाखंड को समाप्त करें। इसके बाद ही इस तरह के पाखंड को समाप्त किए जाने की बात सार्थक होगी।
साईं बाबा को हिंदू देवी-देवताओं के समकक्ष रख उनकी पूजा करना सरासर गलत है। हिंदू धर्म में अवतार की पूजा की जाती है, सनातन धर्म में साईं बाबा की कोई जगह नहीं। हिंदू सनातन धर्म के किसी ग्रंथ में भी उनका कोई उल्लेख नहीं है। ऐसे में हिंदू धर्म में मंदिर बनाकर उनकी पूजा करना ठीक नहीं। शंकराचार्य सही कह रहे हैं। हम उनका समर्थन करते हैं।
- स्वामी रामानंदचार्य हंसदेवाचार्य
इस देश में शंकराचार्य जो कुछ भी बोलते हैं वह विवेक पूर्वक बोलते हैं। उन्होंने जो कुछ भी कहा होगा वह शास्त्र सम्मत कहा होगा, तर्क सम्मत और धर्म सम्मत कहा होगा। उनकी बात को हल्के में नहीं लेना चाहिए, इस पर गहन विचार-विमर्श होना चाहिए। सनातन हिंदू धर्म से जुड़े सभी संत-महात्माओं, सभी शंकरचार्यो आदि को एक मंच पर आकर इस मुद्दे पर चर्चा करना जरुरी है।
-महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद महाराज।
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने साईं बाबा को लेकर जो बयान दिया है कि हम उसका पूरा समर्थन करते हैं। उन्होंने जो कहा सही कहा। साईं बाबा को हिंदू देवी- देवताओं के समकक्ष रख उनकी पूजा करना सरासर गलत है। हिंदू धर्म के किसी ग्रंथ में उनका कोई उल्लेख नहीं है न ही उनकी पूजा विधि का। जो बात शास्त्र सम्मत सही नहीं तो फिर उसकी पूजा कैसी। साईं बाबा का मंदिर बना उनकी पूजा करना ठीक नहीं।
- महामंडलेश्वर कैलाशानंद ब्रह्मचारी, परमाध्यक्ष दक्षिण काली मंदिर सिद्धपीठ
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने साईं बाबा को लेकर जो बयान दिया है, वह बिलकुल सही है। पूरा संत जगत उनके साथ है। सनातन धर्म की रक्षा को हम हर कदम उठाएंगे। हमारा उन्हें पूरा समर्थन है। हिंदू शास्त्रों और धर्मग्रंथों में साईं बाबा का कोई उल्लेख नहीं।
- स्वामी ऋषिश्वरानंद परमाध्यक्ष, चेतन ज्योति आश्रम।