19-Feb-2013 10:49 AM
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राज्यसभा के उपसभापति पीजी कुरियन पर सूर्यनेल्ली बलात्कार कांड में आरोप गहराते जा रहे हैं। कुरियन के खिलाफ यह आरोप है कि वे उन 35 लोगों में शामिल हैं जिन्होंने वर्ष 1996 में एक 16 वर्षीय बालिका के साथ लगातार 45 दिनों तक बलात्कार किया। यद्यपि इस मामले में केरल हाईकोर्ट ने कुरियन सहित 34 लोगों को दोष मुक्त कर दिया था, लेकिन यह मामला अब पुन: चर्चा में आ गया है। क्योंकि इस प्रकरण के एक मात्र सजा प्राप्त अपराधी ने आरोप लगाया है कि कुरियन भी इस सामूहिक बलात्कार के मामले में शामिल थे। जिस व्यक्ति ने यह आरोप लगाया है उसका नाम धर्मराजन है। धर्मराजन को इस मामले में पांच वर्ष की सजा दी गई थी। बाद में उसे जमानत मिल गई और वह लंबे समय से भूमिगत है। इस बहुचर्चित प्रकरण में सजा पाने वाला वह अकेला व्यक्ति है। धर्मराजन का कहना है कि 1996 में वह कुरियन को उस गेस्ट हाउस में अपनी गाड़ी में लेकर गया था जहां कुरियन ने कथित रूप से पीडि़ता का यौन शोषण किया था। धर्मराजन ने यह भी आरोप लगाया कि उस वक्त केरल पुलिस ने उस पर इस बात के लिए दबाव बनाया था कि वह अपना बयान बदलते हुए कुरियन का नाम न ले।
उधर इस घिनौने बलात्कार कांड की पीडि़ता ने भी एक बार फिर कुरियन पर आरोप लगाते हुए कहा है कि कुरियन के बचने का कारण उनका राजनीतिक रूप से ताकतवर होना है। इस लड़की का यह भी कहना है कि किसी ने भी उस पर यह दबाव नहीं बनाया कि वह कुरियन का नाम न ले। यह पीडि़ता 1996 से न्याय के लिए लड़ रही है और इस दौरान उसने कई बार न्यायालय से लेकर पुलिस तथा प्रेस के सामने अपने साथ हुई ज्यादती की कहानी दोहराई है किंतु उसे न्याया नहीं मिला। यह मामला अभी भी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट का 2005 का वह फैसला अमान्य कर दिया है जिसमें 35 में से 34 आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि इस मामले की सुनवाई पुन: की जानी चाहिए और छह माह के भीतर निर्णय दे देना चाहिए। यह माना जा रहा है कि कोर्ट की तरफ से कुरियन को राहत मिल सकती है। क्योंकि उनका नाम पहले भी इस मामले में शामिल नहीं था। पर कुरियन के खिलाफ आवाजें उठने

लगी हैं। भारतीय जनता पार्टी सहित तमाम विपक्षी दल इस मामले में कांग्रेस को घेर सकते हैं। उधर केरल में भी कुरियन के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। हाल ही में केरल विधानसभा के समक्ष लगभग 50 प्रदर्शनकारियों ने विधानसभा का घेराव करते हुए मांग की कि कुरियन को इस्तीफा देते हुए राज्यसभा के उपसभापति पद त्याग देना चाहिए। इस मामले में केरल पुलिस भी संदेह के घेरे में आ गई है। कहा जा रहा है कि मूल रूप से 42 आरोपी थे जिनमें से 7 को ऊंची राजनीतिक पहुंच के चलते पुलिस ने बचा लिया और 35 लोगों के विरुद्ध एक ढुलमुल सा केस बनाया। बलात्कार पीडि़ता का कहना है कि वह लगातार पुलिस को कहती रही है कि इस मामले में कुरियन शामिल हैं, लेकिन पुलिस ने उसकी एक नहीं सुनी। एक टेलीविजन चैनल से बात करते हुए पीडि़ता ने कहा कि 1996 में इस घटना के वक्त वह कुरियन को पहचानती नहीं थी, लेकिन जैसे ही एक मलयालम समाचार पत्र में उसने कुरियन का बड़ा सा फोटो देखा तो उसे तुरंत याद आ गया कि यह वही व्यक्ति है जिसने उसके साथ बलात्कार किया था। बलात्कार पीडि़ता का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने कुरियन को जो छूट दी है वह पुलिस द्वारा की गई लीपा-पोती का परिणाम है। इस मामले में सीपीआईएम की नेता बृंदा करात ने राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति डॉ. हामिद अंसारी को एक पत्र लिखकर कुरियन के खिलाफ लगे आरोपों की जांच करवाने की मांग की है। बृंदा ने अपने पत्र में लिखा है कि वह स्वयं बलात्कार पीडि़ता से मिली हैं और बलात्कार पीडि़ता ने उन्हें बताया है कि उसने केरल सरकार से कुरियन के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग की है। इस मामले में दो पृथक रिपोर्ट दर्ज की गई थी। क्योंकि पुलिस ने कुरियन का नाम शामिल करने से इनकार कर दिया था। इसीलिए पीडि़ता ने एक अलग रिपोर्ट सीधे कोर्ट में दर्ज कराई थी जिसके बाद निचली अदालत ने माना था कि प्राथमिक साक्ष्य से यह सिद्ध होता है कि कुरियन के खिलाफ मामला बन सकता है। कुरियन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की जहां से उन्हें कोई राहत नहीं मिली और हाईकोर्ट ने उन्हें वापस निचली अदालत में जाने को कहा। 2006 में अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने कुरियन की अपील ठुकराते हुए कहा कि जो भी आरोप लगाए गए हैं वह स्पष्ट हैं, तथ्य परक हैं और किसी प्रकार के दबाव में नहीं लगाए जा रहे हैं इसलिए पीडि़ता को एक मौका दिया जाना चाहिए कि वह अपना पक्ष रखे। देखा जाए तो अदालत ने तीन बार कुरियन की अपील ठुकराई है। इस बीच मुख्य याचिका में वर्ष 2005 में सभी दोषियों को मुक्त कर दिया गया और यह कहा गया कि इस 17 वर्षीय लड़की ने अपनी मर्जी से सभी से यौन संबंध बनाए थे। बाद में इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की। किंतु इसी फैसले के आधार पर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने पीजे कुरियन के खिलाफ मामला दर्ज करने से इनकार कर दिया। उधर कुरियन ने अपने ऊपर लगे आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया है। कुरियन का कहना है कि न्यायालय ने उन्हें दोषमुक्त किया है और उनका नाम इस मामले में जबरन घसीटा जा रहा है।
लेकिन कुरियन की साफगोई से सरकार को राहत मिलने वाली नहीं है बजट सत्र में ही बलात्कार संबंधी कड़े कानून बनाने के लिए राज्यसभा में चर्चा की जाने वाली है। इस दौरान उपसभापति की हैसियत से बलात्कार के आरोप झेल रहे कुरियन की मौजूदगी सरकार को परेशानी में डाल सकती है। हालांकि अभी तक कांग्रेस कुरियन का बचाव करते आई है लेकिन अब जिस तरह का माहौल दिल्ली बलात्कार कांड के बाद बदलता जा रहा है। उसके चलते कांग्रेस को इस मामले में कोई ठोस कदम उठाना ही होगा। अन्यथा राज्य में हंगामा हो सकता है।
इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जल्द सुनवाई के आदेश दिए हैं। इससे पहले कोर्ट ने उस निर्णय को भी गलत बताया था जिसमें कहा गया था कि पीडि़ता ने सहमति से 40 लोगों के साथ यौन संंबंध बनाए थे। यदि इस प्रकरण की सुनवाई नए कानूनों के तहत हुई तो निश्चित रूप से कुछ और लोगों को भी सजा होगी। उधर कुरियन की भी मुश्किलें बढ़ सकती है। कांगेस आलाकमान ने भी ऐसे प्रकरणों पर सख्त रुख अपनाया है।