05-Jul-2014 08:27 AM
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मध्यप्रदेश में फिल्म अभिनेत्री माधुरी दीक्षित और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ममता अभियान का श्री गणेश किया है। माताओं, शिशुओं का जीवन बचाने के लिए इसका दूसरा

चरण प्रारंभ किया गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि यह अभियान जनता का अभियान बनना चाहिए। माधुरी दीक्षित इस अभियान की दो वर्ष के लिए ब्रांड अम्बेसेडर बनी हैं। मध्यप्रदेश में संस्थागत प्रसव कभी 22 प्रतिशत हो रहा था जो बढ़कर अब 86 प्रतिशत हो गया है। सरकार ने जननी सुरक्षा योजना भी प्रारंभ की थी जिसका व्यापक असर हुआ लेकिन इसके बाद भी सहस्त्राब्दि लक्ष्य से हम दूर हैं। सहस्त्राब्दि लक्ष्य वर्ष 2020 तक प्रति लाख माताओं पर मृत्यु दर को 105 तक घटाना है अभी भारत में प्रति लाख प्रसव पर 212 महिलाएं काल के गाल में समा जाती हैं। यह दर्दनाक स्थिति है।
खून की कमी से लेकर प्रसव के दौरान की जाने वाली असावधानियाँ इसका कारण बनती हैं। इसीलिए मध्यप्रदेश सरकार विशेष रूप से प्रयासरत है और केवल ममता अभियान भी नहीं बल्कि और भी बहुत से प्रयास इस दिशा में किए जा रहे हैं जैसे मातृ-शिशु मृत्यु दर कम करने के लिए प्रदेश भर में आईएफए अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत प्रत्येक कर्मचारी को प्रत्येक गर्भवती महिलाओं को 200 टेबलेट खिलाना अनिवार्य किया गया है। प्रदेश में 60 फीसदी महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान एनीमिया की शिकायत हो जाती है। ममता अभियान के तहत लक्ष्य को अनिवार्य रूप से पूर्ण करने के निर्देश दिए गए हैं। जो कर्मचारी लक्ष्य की पूर्ति नहीं करेगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी ।
राज्य सरकार बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की मजबूती के लिए राज्य स्तर पर तीन कॉल सेंटर खोलने जा रही है। जिस पर 24 घंटे मरीजों के लिए परिवहन सेवा,चिकित्सकीय उपचार एवं अस्पतालों में बेहतर व्यवस्थाओं के संबंध में सुझाव मिला करेंगे। स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव प्रवीर कृष्ण कहते हैं कि स्वास्थ्य सुविधाओंंं में आने वाली दिक्कतों को दूर करने के लिए यह कॉल सेंटर स्थापित किए जा रहे हैं। अलग-अलग कॉल सेंटरों पर अलग -अलग जानकारी दी जा सकती है। मरीजों को यदि चिकित्सक या अन्य स्वास्थ्य कर्मी इलाज मुहैया नहीं करा रहा है, तो इस कॉल सेंटर पर वह फोन कर अपनी समस्या का निराकरण करा सकता है। इसके लिए 108,104 एवं 102 नंबरों पर डायल कर जानकारी देना होगी। इसका जिम्मा संभाल रहे कर्मचारी-अधिकारी की जिम्मेदारी होगी कि वह संबंधित व्यक्ति की समस्या का निराकरण तत्काल कराएगा। यह कॉल सेंटर तीन माह के भीतर स्थापित हो जाएंगे।
18 सेवाओं की गारंटी
राज्य सरकार गांव स्तर पर 18 सेवाओं की गारंटी 1 जुलाई से देने की तैयारी कर रही है। जिसमें प्रसव, टीकाकरण, मलेरिया, डायरिया, टीबी,लेप्रोसी, मातृ-शिशु, कुपोषण, सुपोषण आदि बीमारियां शामिल हैं। जिनका उपचार एवं समस्या का निदान ग्राम स्तर पर करना होगा। इसके अंतर्गत गारंटी सेवा का उल्लंघन करने पर अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप कार्रवाई की जाएगी। राज्य सरकार ने इन बीमारियों के इलाज के लिए दवा,उपचार आदि की सभी व्यवस्थाएं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर पहले से ही कर दी हैं। इसकी जिम्मेदारी चिकित्सक सहित एएनएम, एमपीडब्ल्यु, आशा कार्यकर्ताओं की होगी। इसके लिए इन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा।
अस्पतालों की जिम्मेदारी सुनिश्चित
प्रदेश के सभी अस्पतालों में दवाएं, उपकरण एवं अन्य संसाधन मुहैया करा दिए गए हैं। इसलिए राज्य सरकार की पहली प्राथमिकता अब आम एवं गरीब आदमी को ईलाज मुहैया कराने की है। जिसके लिए सभी सीएमएचओ एवं संभागीय अधिकारियों की जिम्मेदारी सुनिश्चित कर दी गई है। अब इलाज से इंकार करने एवं इसके अभाव में किसी की मृत्यु होने पर संबंधित अधिकारी-कर्मचारी की जिम्मेदारी सुनिश्चित की जाएगी। इसलिए ग्राम प्रहरी दलों को भी सचेत कर दिया गया है। प्रदेश के पांच हजार गांवों का डेटा बेस तैयार कराया गया है। मुख्यालय पर अनुपस्थित रहने वाले चिकित्सकों एवं कर्मचारियों की जानकारी मिलने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।