18-Feb-2013 10:46 AM
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सामुद्रिक शास्त्र समुद्र के समान अथाह सागर है। इसमें जो जितना पारंगत होता है, वो उतना ही जान पाता है। हाथ की रेखाएं सदैव एक समान नहीं रहतीं। यह रेखाएं बनती-बिगड़ती रहती हैं, अत: भविष्य कथन में परिवर्तन आता रहता है। स्वच्छ सीधी रेखाएं जहां उत्तम स्वास्थ्य को दर्शाती हैं, वहीं प्रगति में भी सहायक मानी जाती हैं। अस्त-व्यस्त, कटी-टूटी हो तो वह अस्वस्थ व प्रगति में बाधक रहती हैं।

बुध रेखा हथेली में किसी भी स्थान से निकल सकती है। बुध रेखा की स्थिति भाग्य रेखा और जीवन रेखा से जितनी अधिक दूर हो उतनी ही शुभ फलदायक होती है। बुध रेखा कहीं से भी जाए इसका अंत कनिष्ठिका अंगुली पर ही होता है। यदि किसी भी हथेली में यह रेखा है परंतु जीवन रेखा से पर्याप्त दूर है, साथ ही मणिबंध विघ्नरहित है तो वह व्यक्ति निश्चित रूप से दीर्घायु होगा।
अशुभ चिन्हों से मुक्त निर्दोष बुध रेखा वाला व्यक्ति पाचन शक्ति का धनी और स्वस्थ, सबल गुर्दों का स्वामी होता है। निर्दोष बुध रेखा के साथ-साथ यदि हथेली में हृदय, मस्तिष्क और भाग्य रेखाएं निर्दोष रूप में विद्यमान हों, तो ऐसी हथेली वाली बुध रेखा व्यक्ति की शारीरिक क्षमता, आरोग्य और जीवन शक्ति की वृद्धि करती है। यदि बुध रेखा टूटी, छिन्न-भिन्न टेढ़ी-मेढ़ी और मार्ग से हटी हुई हो तो समझना चाहिए कि ऐसा व्यक्ति उदर विकारों से ग्रस्त होगा। पाचन शक्ति की कमी स्नायु तंत्र में अतिक्रम जोड़ों का दर्द अन्य प्रकार के वात-विकार, मानसिक व्याधियों की आशंका और दुर्बलता क्षीणता जैसे रोग होते हैं। बुध रेखा अशुभ मानी जाती है। जन्म लग्न में भी बुध नीच का या शत्रु मैत्री होगा। बुध रेखा का लहरदार होना यह संकेत देता है कि जातक को लीवर संबंधित रोग होगा। लहरदार या जंजीरदार रेखा टूटी, अस्त-व्यस्त हो तो वह मंदबुद्धि, आलसी, निकम्मे, दुविधाग्रस्त तथा कार्य क्षेत्र में पिछड़े हुए होते हैं। अपने दैनिक जीवन के कार्यकलाप, व्यवसाय, आगामी योजना और अन्य व्यावहारिक क्षेत्रों में भी ऐसे लोग प्राय: अस्थिर मन, अनिश्चित और आत्मविश्वास से रहित होते हैं। ये कोई भी कार्य करें सफलता की उम्मीद बहुत कम कर पाते हैं। ऐसे जातक आशंका में रहते हैं। यदि बुध रेखा ऊपर अंगुलियों की ओर, बुध पर्वत की ओर अग्रसर है और उसके मार्ग में कोई बिंदु दिख रहा है, साथ ही किसी पर्वत पर विभिन्न रेखाओं का चक्रव्यूह जैसा दिखाई दे रहा है तो यह निश्चित है कि वह अवश्य ही अस्वस्थता के दौर से गुजर रहा है अथवा कोई रोग-विकार इसे शीघ्र होगा। बुध रेखा पर कहीं भी द्वीप का चिन्ह होना यह तथ्य प्रकट करता है कि इस जातक को आयु रेखा से निर्दिष्ट व्यय-क्रम में स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं पीडि़त करेंगी। बुध पर्वत तक पहुंचने वाली निर्दोष बुध रेखा व्यक्ति की लंबी आयु का वरदान होती है। यदि यह रेखा चंद्र पर्वत से प्रारंभ हो तो व्यक्ति अपने जीवन में अनेक यात्राएं करता है।
कैसे जानें विद्या रेखा
हमारे हाथ में कुछ ऐसी रेखाएं होती हैं, जो मुख्य रेखाएं तो नहीं होतीं परंतु वे महत्वपूर्ण रेखाएं होती हैं। यह रेखाएं हस्त में स्वतंत्र रूप से किसी भी रेखा की सहायक बनकर अपना प्रभाव बनाए रखती हैं। यह रेखाएं प्राय: कुछ के हाथों में नहीं होतीं। जैसे कि -
* विद्या रेखा मध्यमा तथा अनामिका अंगुलियों के बीच में पाई जाती है, जो सूर्य पर्वत क्षेत्र की ओर झुकती हुई खड़ी होती है।
* जिन व्यक्तियों के हाथ में ऐसी रेखा होती है, वे निर्धन (साधारण) घर में जन्म लेकर भी श्रेष्ठ विद्या उपार्जित करने में सफल होते हैं।
* ऐसे व्यक्ति ज्ञानवान और बुद्धिमान रहते हैं।
* सभ्य समाज में उनका आदर होता है तथा अपनी बुद्धि के बल पर पूर्ण सफलता प्राप्त करने में सक्षम होते हैं।