18-Feb-2013 10:42 AM
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हालिया विधानसभा चुनाव में जब नरेंद्र मोदी ने मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में विजय का परचम लहराया था तो कुछ लोगों ने इसे मतों के विभाजन से लेकर एक संयोग तक करार दिया था। लेकिन जब स्थानीय निकाय के चुनाव में नरेंद्र मोदी ने मुस्लिम बहुल क्षेत्र में बड़ी जीत दर्ज की तो यह साफ हो गया कि गुजरात के मुसलमानों ने न केवल मोदी को माफ कर दिया है बल्कि वे एक कदम आगे बढ़कर नरेंद्र मोदी के साथ हैं। हाल ही में घोषित नतीजों में 75 निकायों में से 47 में भाजपा विजयी रही है जबकि कांग्रेस को मात्र 19 में जीत हासिल हुई है। बाकी जगह निर्दलीयों ने विजय पताका फहराई है। नरेंद्र मोदी की जीत अप्रत्याशित नहीं है। विधानसभा चुनाव के बाद उनकी जीतने की संभावना व्यक्त की जा रही थी और नतीजे भी उसी संभावनाओं के अनुरूप रहे। किंतु सबसे ज्यादा चौकाने वाला नतीजा आया। मुस्लिम बहुल सलाया नगर पालिका से। यहां पर भाजपा द्वारा उतारे गए सभी 24 मुस्लिम उम्मीदवारों ने बड़ी जीत दर्ज की। यहां तक कि 27 में से 4 सीटों पर भाजपा के प्रत्याशित बिना किसी विरोध के जीत गए और तीन सीटों पर भी अनुसूचित जाति के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की जो भाजपा के ही थे। जिन 24 सीटों पर भाजपा के मुस्लिम प्रत्याशी जीते हैं वहां 90 से 95 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है। जाम नगर जिले में पडऩे वाले सलाया की सम्पूर्ण आबादी में मुसलमान 90 प्रतिशत हैं। इस जीत से यह साफ हो गया है कि भारतीय जनता पार्टी ने गुजरात में मुसलमानों के बीच मोदी की अगुवाई में अपनी अलग पहचान स्थापित कर ली है और कांग्रेस को लगातार यहां पराजय झेलनी पड़ रही है। सलाया में भी कांग्रेस का सूपड़ा साफ होने के साथ-साथ उसके तीन प्रत्याशियों की जमानत भी जब्त हो गई। आजादी के बाद से लगातार इस नगर पालिका में जीतने वाली कांग्रेस को पहली बार बहुत करारी पराजय मिली है। मोदी इस जीत से उत्साहित हैं। क्योंकि यह जीत उन्हें प्रधानमंत्री प्रोजेक्ट करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकती है। लेकिन कुछ मसले ऐसे हैं जो अभी भी मोदी को तंग कर सकते हैं। हाल ही में चुनाव आयोग ने गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान पैड न्यूज के 400 से ज्यादा मामलों का पता लगाया है और इनकी पुष्टि भी हो चुकी है। पैड न्यूज का मामला मोदी के लिए थोड़ा परेशान करने वाला हो सकता है। हालांकि भाजपा का कहना है कि इन मामलों में उसके प्रत्याशी शामिल नहीं है।

चुनाव आयोग के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि आयोग ने पेड न्यूजÓ के कम से कम 414 मामले पाए हैं और आरोपी उम्मीदवारों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की जाने वाली है। आरोपी उम्मीदवारों के चुनावी खर्च में वह खर्च भी शामिल किया जाएगा जो उन्होंने पैसे देकर अपने पक्ष में खबरें छपवाने के लिए किया। अधिकारी ने बताया कि विभिन्न मीडिया प्रमाणन एवं निगरानी समितियों (एमसीएमसी) की जांच में पता चला कि पिछले साल गुजरात में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान पेड न्यूज के कुल 414 पुष्ट मामले पाए गए। चुनाव आयोग ने जिला एवं राज्य स्तर पर ऐसे मामलों का पता लगाने के लिए मीडिया प्रमाणन एवं निगरानी समितियों का गठन किया था। राज्य के चुनाव अधिकारियों ने इन मामलों पर क्या कार्रवाई की है उसकी रिपोर्ट का इंतजार है। आयोग की ओर से गुजरात में गठित विभिन्न मीडिया प्रमाणन एवं निगरानी समितियों ने पेड न्यूजÓ के रूप में चिह्नित करीब 500 मामलों में नोटिस जारी किया था। सूत्रों ने कहा कि बड़ी तादाद में उम्मीदवारों ने पहले ही यह कबूल कर लिया है कि इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया में खबरें छपवाने के लिए उन्होंने पैसे दिए और ऐसे उम्मीदवारों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की जा चुकी है। विज्ञापन बताए बिना पेड न्यूजÓ प्रकाशित या प्रसारित करने वाले मीडिया संगठनों के खिलाफ जरूरी कार्रवाई के लिए चुनाव आयोग भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) को पत्र लिखेगा। पेड न्यूजÓ के खिलाफ अपनी तरह की पहली कार्रवाई में आयोग ने 20 अक्तूबर 2011 को उत्तर प्रदेश के बिसौली विधानसभा क्षेत्र से विधायक अमलेश यादव को अयोग्य करार दे दिया था। अमलेश पर आरोप था कि उन्होंने साल 2007 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के दौरान मीडिया संगठनों को मोटी रकम देकर अपने पक्ष में खबरें छपवायीं। उधर साबरमती जेल में 18 फुट लंबी सुरंग मिलने से गुजरात में आतंकवाद की याद एक बार फिर ताजा हो गई है। समझा जाता है कि इस सुरंग के माध्यम से कुछ खूंखार आतंकवादी जेल से फरार होने की योजना बना रहे थे। इस जेल में अहमदाबाद बम धमाकों के आरोपी बंद हैं जो इंडियन मुजाहिदीन से संबंध रखते हैं। माना जाता है कि इन आतंकवादियों को छुड़ाने के लिए इंडियन मुजाहिदीन भरसक प्रयास कर रहा है। लेकिन आश्चर्य इस बात का भी है कि 18 फुट लंबी सुरंग खोदे जाने के बावजूद जेल प्रशासन को इस बात की खबर तक नहीं लगी। आतंकवादियों ने कुल 42 फुट लंबी सुरंग खोदने का लक्ष्य रखा था जिससे सभी आतंकवादी फरार हो सके। सुरंग खोदने के लिए लकड़ी का इस्तेमाल किया जा रहा था। इस बीच नरोढ़ा नरसंहार मामले में महत्वपूर्ण गवाह आशीष खेतान की पलटबयानी का समाचार छपने से पत्रकारिता जगत में खासी खलबली मच गई। हालांकि बाद में जब तस्दीक की गई तो पता चला कि किसी अखबार ने कथित रूप से खेतान के खिलाफ साजिश करते हुए यह गलत खबर प्रकाशित की थी। नरोढ़ा नरसंहार में बाबू बजरंगी और माया कोडनानी सहित कई आरोपियों को अदालत द्वारा सजा सुनाई जा चुकी है। इस मामले में तहलका के आशीष खेतान ने ही आगे बढ़कर स्टिंग आपरेशन किया था जिसकी बदौलत अभियुक्त अपने अंजाम तक पहुंच सके।
अहमदाबाद से सतिन देसाई