मोदी को लेकर मंथन और विरोध
02-Mar-2013 08:45 AM 1234799

भारतीय जनता पार्टी में आगामी प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी के नाम पर मंथन चल रहा है। लेकिन पार्टी के बाहर उनका समर्थन करने वालों को विरोध भी झेलना पड़ रहा है। यह तो तय है कि अब मोदी को एक बड़ी भूमिका दी जाने वाली है लेकिन उस भूमिका का स्वरूप क्या होगा यह अभी तक पता नहीं चल पाया है।
मोदी की नई भूमिका को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से भी सहमति मिल गई है। बीजेपी को लगता है कि मोदी की छवि सकारात्मक शासन देने वाले नेता की है, जिसे पार्टी वोटरों के सामने मुख्य मुद्दे के तौर पर पेश करने की तैयारी में है। बीजेपी नरेंद्र मोदी की बढ़ती शोहरत को स्वीकार करते हुए यह मान चुकी है कि गुजरात के मुख्यमंत्री पार्टी के सबसे लोकप्रिय नेता हैं। मोदी की नई भूमिका पर मार्च की शुरुआत में होने वाली राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद की बैठक में मुहर लगेगी। मोदी को चुनाव प्रचार अभियान का प्रमुख नियुक्त करने का फैसला कई हफ्ते पुराना है और जनवरी में नितिन गडकरी की जगह राजनाथ सिंह के अध्यक्ष बनने से इसमें कोई फर्क नहीं आया है। 
संघ के बारे में बताया जा रहा है कि उसने बीजेपी को बता दिया है कि मोदी के नेता के तौर पर उभरने पर उसे कोई आपत्ति नहीं है। मोदी की हमेशा कोशिश रही है कि वे खुद को ऐसे नेता के तौर पर सामने ला सकें जो सरकार चलाने का मॉडल देता हो और जो सिर्फ कांग्रेस की खामियों की बात न करता हो। पिछले साल अगस्त में बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में मोदी ने सुझाव दिया था कि कांग्रेस की खामियों की तुलना में बीजेपी को सकारात्मक एजेंडे सामने लाने चाहिए। इस बीच, पार्टी ने अगले चुनावों की तैयारियां तेज कर दी हैं। बीजेपी के अध्यक्ष राजनाथ सिंह पार्टी के भीतर ऐसे समूहों को तैयार कर रहे हैं जो राज्यों के चुनाव से पहले सकारात्मक एजेंडे को तैयार करने का काम करेंगे। अर्थव्यवस्था, खासकर औद्योगिक उत्पादन बढ़ाने, पारदर्शिता, आंतरिक और बाहरी सुरक्षा को लेकर विशेष उपाय बताना पार्टी का लक्ष्य है।  सूत्रों का कहना है कि इन उपायों से साफ है कि बीजेपी सरकार को गिराने के उपायों पर काम करने की बजाय 2014 के आम चुनावों को लेकर दीर्घकालीन रणनीति पर काम कर रही है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के बाद हुई कई बैठकों में पार्टी के नेताओं को यह एहसास हुआ कि भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर उन्होंने कई असरदार अभियान किए हैं, लेकिन बावजूद ये मुद्दे नकारात्मक थे। इन बैठकों में यह बात महसूस की गई कि यह बताना जरूरी है कि पार्टी तमाम मुद्दों पर क्या वैकल्पिक उपाय दे सकती है। सूत्रों के मुताबिक पार्टी की ताज़ा रणनीति के तहत ही शीर्ष नेतृत्व इस बात पर भी विचार कर रहा है कि संसद की कार्यवाही में गतिरोध पैदा करने वाली छवि से पार्टी को दूर होना चाहिए। ऐसे में इस बात के पुख्ता संकेत हैं कि अगर केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे आरएसएस और बीजेपी पर आतंकवादी शिविर चलाने से जुड़े बयान को वापस ले लें तो संसद की कार्यवाही सामान्य तरीके से चल सकती है। कुछ दिनों पहले लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने शिंदे के उस बयान को खारिज कर दिया था, जिसमें गृह मंत्री ने कहा था कि आतंक का कोई रंग नहीं होता है।
मोदी को लेकर बदल रही है मुसलमानों की सोच: गुजरात में हाल ही में हुए नगरपालिका चुनावों में बीजेपी के टिकट पर कई मुस्लिम उम्मीदवारों के जीतने और 90 फीसदी मुस्लिम वोटरों वाली एक नगरपालिका सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार की जीत पर प्रतिक्रिया देते हुए जमीयत उलेमा ए हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने मोदी को लेकर मुसलमानों के खास तबके की सोच में बदलाव की बात मानी है। मदनी ने एक निजी टीवी चैनल से बातचीत में अप्रत्यक्ष तौर पर माना है कि गुजरात के मुख्यमंत्री को लेकर मुसलमानों के एक तबके की सोच में बदलाव आया है। मदनी का यह बयान इसलिए भी अहम है क्योंकि दारूल उलूम देवबंद के पूर्व वाइस चांसलर वस्तानवी ने जब मोदी के विकास मॉडल की तारीफ की थी तो मदनी और उनके भाइयों ने वस्तानवी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था और वस्तानवी को अपना पद छोडऩा पड़ा था। उन्होंने कांग्रेस का नाम लिए बगैर कहा कि विधानसभा चुनाव के दौरान गुजरात में लोगों के सामने दो मेहरबान थेÓ। वो मेहरबानÓ भी इसी तरह के हैं तो लोगों ने इसी मेहरबान को चुन लिया। कोई दूध का धुला नहीं है। इस कार्यक्रम के बाद मदनी ने एक समचार एजेंसी के साथ बातचीत में कहा कि उनके बयान को अलग संदर्भ में  पेश किया जा रहा है। उन्होंने सिर्फ गुजरात को लेकर मोदी के संबंध में मुसलमानों के रूख में बदलाव आने की बात कही थी। राष्ट्रीय स्तर पर मुसलमानों के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है। यह कभी नहीं हो सकता। इस बीच एक अहम फैसले में गुजरात हाईकोर्ट ने नरेंद्र मोदी सरकार को जोर का झटका दिया है। हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों को केंद्र की प्री मैट्रिकुलेशन स्कॉलरशिप दिए जाने का आदेश  दिया है।
अहमदाबाद से सतिन देसाई

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