19-Jun-2014 02:53 PM
1234791
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले छह माह में छह देशों का दौरा करेंगे। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी दक्षिण अफ्रीका की यात्रा करके निवेशकों को आमंत्रित कर आये हैं। उधर चीन ने भारत के साथ रणनीतिक संबंधों को मजबूती देने के लिये अपने विदेश मंत्री वांग यी को राष्ट्रपति के विशेष दूत के रूप में भारत भेजा था जिन्होंने सुषमा स्वराज से मुलाकात करके उन्हें चीन आने का आमंत्रण दिया है। वांग ने नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की।
यह साफ हो चला है कि भारत एक आक्रामक विदेश नीति और सुस्पष्ट विदेश संबंधों के पक्ष में है। शपथ समारोह में सार्क देशों के प्रमुखों को न्यौता देने के साथ ही नरेंद्र मोदी ने साफ कर दिया था कि उनकी पहली प्राथमिकता पड़ोसी देशों से संबंधों को बेहतर करना है। भूटान, नेपाल, म्यांमार जैसे देशों में मोदी की यात्रा का मकसद यह भी है कि इन देशों में चीन के बढ़ते प्रभाव को कम करने का प्रयास किया जाये। नेपाल में पिछले 13 सालों से कोई भी भारतीय प्रधानमंत्री नेपाल नहीं गया है। नवंबर 2014 में काठमांडू में होने वाले शिखर सम्मेलन में नरेंद्र मोदी के भाग लेने से नेपाल तथा भारत के संबंधों में एक नई गर्माहट देखने को मिलेगी।
जापान का पूंजीवादी मॉडल नरेंद्र मोदी को सदैव प्रेरित करता रहा है। दूसरी खासियत यह भी है कि जापान दुनिया के उन देशों में है जहां बौद्ध और शिंतो समुदाय दूध-चीनी की तरह घुल-मिलकर रहते हैं। जापान के सांप्रदायिक सद्भाव से भारत बहुत कुछ सीख सकता है। जब जापान के प्रधानमंंत्री शिंजो अबे ने 20 मई को नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनने की बधाई दी थी तो उस समय उन्हें जापान का आमंत्रण भी दिया था। मोदी ने इस आमंत्रण को स्वीकार कर लिया और वे जुलाई में जापान जायेंगे। सितंबर माह में अंतिम सप्ताह में नरेंद्र मोदी अमेरिका भी जा सकते हैं। यह वही अमेरिका है जिसने गुजरात दंगों का हवाला देते हुये एक प्रदेश के चुने हुये मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को वीजा देने से इंकार कर दिया था। लेकिन हालात ने कुछ ऐसी करवट बदली कि स्वयं बराक ओबामा को नरेंद्र मोदी के लिये आमंत्रण प्रस्तुत करना पड़ा। अमेरिका में मोदी की स्टाइल के कई मुरीद हैं। वहां मोदी को विश्व के सर्वाधिक संभावनाशील नेताओं में शुमार किया जाता है, जो भारत को विकास के नये सोपान देने में सक्षम हैं। मोदी सरकार रक्षा जैसे क्षेत्रों में सौ प्रतिशत विदेशी निवेश की पक्षधर है इसी कारण ये यात्रायें बहुत महत्वपूर्ण हो जाती हैं। उम्मीद है कि इन यात्राओं के बाद भारत में विदेशी निवेश तेजी से बढ़ेगा। वैसे भी भारत के शेयर बाजार में मोदी के सत्तासीन होने के बाद लगभग 2 लाख करोड़ रुपये विदेशी संस्थागत निवेशकों ने लगाये हैं। इसीलिये मोदी की अमेरिका यात्रा के समय भारतीय खेमा संयुक्त राष्ट्र महासभा से अलग द्विपक्षीय यात्रा कार्यक्रम भी रखना चाहता है।
ब्राजील में ब्रिक्स देशों भारत, रूस, चीन, दक्षिण अफ्रीका के शिखर सम्मेलन में मोदी की मौजूदगी कई दृष्टि से महत्वपूर्ण है। मोदी वहां भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका को मिलाकर बने इब्सा समूह की बैठक में भी शामिल होंगे।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में भारत की विदेश नीति अंतिम समय में थोड़ी लडख़ड़ाती नजर आई। कई देशों से भारत के संबंध उतने गर्मजोशी भरे नहीं रहे। रूस जैसे देशों ने तो पाकिस्तान के साथ अच्छा खासा रक्षा सौदा ही कर डाला। जो भारत के लिये चिंता का विषय है। काला धन वापसी के लिये भी मोदी की यात्रायें महत्वपूर्ण हो सकती हैं। कई ऐसे देश हैं जो टैक्स हैवन अर्थात जमाखोरों के स्वर्ग हैं। मोदी विदेश यात्राओं के दौरान अमेरिका जैसे देशों से काले धन की वापसी पर चर्चा कर सकते हैं। राष्ट्रपति के अभिभाषण में भी सरकार ने काला धन वापस लाने के लिये प्रतिबद्धता का जिक्र किया था। मोदी ने अपने कार्यकाल के पहले दिन ही काले धन के मामलों का पता लगाने के लिये विशेष जांच दल का गठन कर दिया था। इससे साफ जाहिर होता है कि काले धन की वापसी मोदी की विदेश नीति का विशेष हिस्सा है।
पाकिस्तान के साथ भारत के संबंध हमेशा नाजुक स्थिति में बने रहते हैं। यह अब पूरी तरह जग जाहिर है कि पाकिस्तान भारत में आतंकवादी गतिविधियां फैला रहा है। इसी कारण भारत को विश्व का माहौल अपने पक्ष में करने की आवश्यकता है ताकि पाकिस्तान जैसे देश विश्व मत के दबाव में आकर आतंकवाद को प्रश्रय देना कम करें या बंद कर दें।

विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिये मप्र मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हरसंभव प्रयास कर रहे हैं और लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद उनके इन प्रयासों में गति आई है। हाल ही में दक्षिण अफ्रीका यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री ने खनिज, ऊर्जा और अधोसंरचना के क्षेत्र में निवेशकों के साथ बैठक करके उनके साथ मध्यप्रदेश में निवेश करने के लिये आमंत्रण दिया। मुख्यमंत्री ने खनन, पर्यटन, ईकोटूरिज्म जैसे क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा निवेशकों को आमंत्रित करने के उद्देश्य से ये यात्रा की है।