16-Apr-2014 08:51 AM
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चुनावी सर्वेक्षण अब भारतीय जनता पार्टी को 226 सीटें मिलने की बात कर रहे हैं। यह परिवर्तन अचानक क्यों आया। पिछले एक दशक में जिस व्यक्ति को सबसे बड़ा खलनायक सिद्ध किया गया वह अचानक सारे देश का नायक कैसे बन

गया। हर टीवी चैनल देश का चप्पा-चप्पा छान रहा है और वहां लोगों की राय मोदी के पक्ष में हैं। यह अतिश्योक्ति हो सकती है लेकिन इसके बावजूद इस तथ्य को नहीं नकारा जा सकता कि मोदी को प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित करके भाजपा ने घाटे का सौदा नहीं किया। मोदी अंतत: सबसे आगे बढ़ते चले गए और उन्होंने अपनी कमियों को भी लोकप्रियता के चलते ढक लिया। यह बात अलग है कि 2004 की तरह मोदी की हवा भी कहीं तूफान में बदलने से पहले शांत न हो जाए। फिलहाल कांग्रेस सत्ता में हैं इस कारण अपने गुण-दोष उसे नहीं दिख रहे हैं, लेकिन चुनावी सर्वे भाजपा में गलत फहमी भी पैदा कर सकते हैं। देखना है मोदी इस गलत फहमी के भंवर से निकल पाते हैं या नहीं।
लगभग एक वर्ष पूर्व जब नरेंद्र मोदी को नेतृत्व सौंपकर भाजपा को 2014 के चुनाव में उतरने की चर्चा उभरी तो चौतरफा यह कहा जाने लगा कि न तो उन्हें भाजपा में समर्थन मिलेगा और न संघ परिवार में। उनकी सांप्रदायिकÓ छवि के कारण तटस्थ मतदाता और कोई भी अन्य राजनीतिक दल भाजपा से नहीं जुड़ेगा। इस आकलन को सच मानकर बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने भाजपा से गठबंधन तोड़ दिया। उनका अनुमान था कि इससे प्रभावित होकर मुस्लिम मतदाता उनके साथ खड़ हो जायेगा। लेकिन मुस्लिम मतदाताओं को हमवार करने के लिए राजनीतिक दलों में लगी होड़ का- जैसा उपन्यासकार और लेखकर चेतन भगत ने कहा है- दो परिणाम हुए। एक हिन्दू मतदाता जो 80 प्रतिशत हैं, कि नई सोच का प्रभाव और दूसरे मुस्लिम मतदाताओं में वोट बैंक में बने रहने की मानसिकता के स्थान पर मोदी के प्रति उत्सुकता की पैठ। जो यह कहते थे कि भाजपा और संघ परिवार में मोदी को स्वीकृति नहीं मिलेगी वे अब कहने लगे हैं कि मोदी ने इन सबको हाईजैकÓ कर लिया है। जो यह कह रहे थे कि मोदी का नाम आगे आने से भाजपा को कोई साथ देने वाला नहीं मिलेगा, उनके नामी गिरामी लोग नित्य भाजपा में शामिल हो रहे हैं। तमिलनाडू में मुख्य विपक्षी दल डीएमडीके के साथ भाजपा को पांच दलीय मोर्चा बनाने में भाजपा को सफलता मिली है। नवगठित तेलांगना राज्य के जिस तेलंगना राष्ट्र समिति के कांग्रेस में विलय की उम्मीद थी, वह भाजपा से हाथ मिला रही है। चंद्रबाबू नायडू, जगनमोहन रेड्डी नरेंद्र मोदी को सबसे विश्वसनीय बता रहे हैं। करूणानिधि के बड़े पुत्र अलगिरी ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए जनसहयोग का आह्वान किया है। रामविलास पासवान जो कभी ओसामा बिन लादेनÓ को साथ लेकर चुनाव प्रचार करते थे, अब नमो नमो बोल रहे हैं। ओडिशा के नवीन पटनायक और जयललिता ने तीसरे मोर्चे को पटखनी दे दी है। शिवसेना भाजपा में समझौते के बावजूद राज ठाकरे मोदी मोदी कर रहे हैं। शरद पवार संभावनाओं को बनाए रखने के लिए दो नावों पर सवार रहने की आदत के मुताबिक ही कभी नरेंद्र मोदी की तारीफ और कभी आलोचना कर रहे हैं। जनता दल के शरद यादव को मौका मिले तो नीतीश को धता बता सकते हैं। देश के जाने माने प्रशासनिक अधिकारी, समाजसेवी आदि मोदी के समर्थन में खड़े होते जा रहे हैं। सांप्रदायिकता के अलावा जातीयता की विष बेल को पनपाने का फिर से प्रयास राहुल गांधी को पंडितÓ का संबोधन प्रदान कर किया जा रहा है। इन सबके बावजूद नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और स्वीकार्यता का ग्राफ ऊपर ही चढ़ता जा रहा है। विश्वभर के देश यहां तक कि पाकिस्तान और उसके हस्तक बने कतिपय कश्मीरी संगठन मोदी में आशाÓ देख रहे हैं। जम्मू कश्मीर का मुख्य विपक्षी दल भी नमो नमो कर रहा है। यूरोपीय देश तथा जापान एवं एशिया के उद्यमी देश तो पहले से ही गांधीनगर में उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं अब अमेरिका ने भी हाजिरी लगा दी है। यहां तक कि उनका मानवाधिकार संगठनÓ भी मोदी पर लगाए गए आरोपों की स्याही को पोंछ चुका है। मोदी के प्रति इस अनुकूलता का कारण क्या केवल संप्रग सरकार का कुशासन, दस वर्षों में हुए घोटाले, लूट भ्रष्टाचार से मुक्ति मात्र ही है या और भी कुछ। इसे समझने के लिए नरेंद्र मोदी को समझना होगा। नरेंद्र मोदी झंझावातों के बीच दृढ़ रहने और आलोचनाओं, आक्षेप के उत्तर देने में उलझने के बजाय अपने संकल्प की दिशा में आगे बढ़ते जा रहे हैं। जिन कारणों से गुजरात की जनता ने उन्हें तीसरी बार लगातार मुख्यमंत्री बनाया, वही कारण है मोदी के आगे बढऩे का। पिछले विधानसभा चुनाव के पूर्व एक टीवी चैनल के संवाददाता ने जब उनसे पूछा कि उन्होंने अल्पसंख्यकों के लिए क्या किया तो उनका नि:संकोच उत्तर था कुछ भी नहीं। फिर उन्होंने कहा कि न तो मैंने बहुसंख्यकों के लिए कुछ किया न अल्पसंख्यकों के लिए, मैंने जो कुछ किया वह छह करोड़ गुजरातियों के लिए। गुजरात न केवल पिछले एक दशक से दंगामुक्त है बल्कि सामाजिक सौहार्द और सम्यक संतुलित विकास का अनूठा उदाहरण बन गया है। भले ही विकीलीक्स गुजरात कांग्रेस नेता मोडालिया के इस कथन को प्रसारित करने से इंकार करे कि मोदी की लोकप्रियता का कारण है उनको भ्रष्ट करने के किसी भी प्रयास के सफल न होने की स्थिति, यह बात किसी से भी नहीं छिपी है कि विकास के सोपान पर गुजरात को ऊपर चढ़ाते हुए, देश विदेश के उद्यमी धनपतियों की अनुकूलता के बावजूद मोदी पर भ्रष्टाचार का एक भी आरोप कोई लगाने का साहस नहीं कर सका। मोदी की विकासोन्मुख, दागरहित जीवन तथा विपरीतता खड़ी करने वाले हमलों की परवाह किए बिना स्वर्णिम भाजपा की संभावना के लिए देश को आशान्वित करने की क्षमता में लोगों का विश्वास उनके प्रति अनुकूलता में निरंतर वृद्धि का कारण बना है। देशव्यापी इस प्रकार की छवि वाला दूसरा राजनीतिक व्यक्ति नहीं है।
यह सच है कि मोदी के आसपास कोई नहीं है, लेकिन कई बार जो सबसे आगे होता है वह पिछड़ भी जाता है। कछुए और खरगोश की दौड़ सबको याद है। राहुल गांधी भले ही धीमी गति से चल रहे हैं, लेकिन कांग्रेस उतनी कमजोर नहीं हुई है। कांग्रेस का संगठन अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में पुख्ता है, लेकिन उनमें उत्साह की कमी है। क्या राहुल वह उत्साह लौटा सकेंगे।