16-Apr-2014 08:13 AM
1234805
देश के इतिहास में पहली बार कोई बलात्कार पीडि़ता दरिंदों की फांसी की गवाह बनेगी। क्योंकि मुम्बई की शक्ति मिल में फोटो जर्नलिस्ट से दुष्कर्म करने वाले सलीम अंसारी, विजय जाधव और कासिम बंगाली को अदालत ने फांसी की

सजा सुनायी है। तीनों ने इससे पहले शक्ति मिल में ही टेलीफोन ऑपरेटर से भी दुष्कर्म किया था। जिसके लिए उन्हें उम्रकैद की सजा पहले ही सुनायी जा चुकी है। अब इसी आधार पर सेशन कोर्ट ने तीनों को मौत की सजा सुनाई। ऐसा पहली बार हुआ है कि सामूहिक दुष्कर्म मामले में पीडि़त के जिंदा रहते दुष्कर्मियों को फांसी की सजा दी गई हो। कोर्ट ने यह फैसला दिल्ली दुष्कर्म की घटना के बाद बने नए कानून की धारा 376(ई) के तहत दिया। इसमें व्यवस्था है कि कोई व्यक्ति दुष्कर्म की वारदात को दोहराता है तो उसे मौत की सजा तक दी जा सकती है। आईपीसी में यह धारा 16 दिसंबर 2012 की दिल्ली दुष्कर्म की घटना के बाद जोड़ी गई थी। इसके साथ ही कोर्ट ने चौथे दुष्कर्मी सिराज रहमान को उम्रकैद की सजा दी है। मामले का पांचवां आरोपी नाबालिग है। उसका मामला जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में चल रहा है।
दिल्ली में निर्भया हत्याकांड के बाद मुम्बई के शक्ति मिल हादसे ने एक बार फिर देश को दहला दिया था और मांग की जा रही थी कि देश में कड़े कानून लगाये जाने चाहिए। 22 अगस्त को एक फोटो जर्नलिस्ट अपने मित्र के साथ सुनसान शक्ति मिल इलाके में गई थी उसी दौरान 7 अपराधियों ने उसके साथ गैंगरेप किया और उसके मित्र को बांधकर बुरी तरह घायल कर दिया। साहसी लड़की ने किसी तरह पुलिस में रिपोर्ट कराई। बाद में मेडिकल में पुष्टि होने के बाद पुलिस ने सभी आरोपियों को धर दबोचा। आरोपियों से पूछताछ में पता चला कि उन्होंने उस इलाके में ऐसी कई वारदातें की थी, लेकिन महिलाएं बदनामी के डर से चुप रहीं और उन्होंने मुंह नहीं खोला। इस घटना ने सारी मुंबई को झकझोर दिया था। बाद में एक और महिला ने पुलिस को सूचना दी कि उसके साथ भी ऐसा ही हादसा हुआ था। इसके बाद दोनों हादसों पर जांच पड़ताल शुरु हुई और कोर्ट ने पाया कि तीन अभियुक्त मोहम्मद कासिम शेख, विजय जाधव और अलीम अंसारी दोनों मामलों में शामिल हैं, जबकि चौथा व्यक्ति शिराज रहमान खान फोटो जर्नलिस्ट के साथ बलात्कार का दोषी था। एक अन्य व्यक्ति मोहम्मद शेख को पहले मामले में दोषी पाया गया। जो अपराधी एक से अधिक मामले में शामिल थे उन्हें कोर्ट ने फांसी की सजा दी है। इस प्रकरण में जिस महिला ने फोटो जर्नलिस्ट के साथ बलात्कार के बाद रिपोर्ट दर्ज कराई थी वह एक टेलीफोन आपरेटर है। दो आरोपी अवयस्क है और उनका मामला जुवेनाइल कोर्ट में विचाराधीन है। कहा जाता है कि लोअर परेल के इलाके में बेकार पड़ी इस इमारत के आसपास घना जंगल उग आया है। वहां कोई जाना पसंद नहीं करता। यह डरावना इलाका बदमाशों की आरामगाह है। यदि कोई व्यक्ति भूले-भटके यहां आ जाता है तो उसे लूट लिया जाता है और कई बार महिलाओं को अपनी इज्जत से भी हाथ धोना पड़ता है। यह सभी अभियुक्त उस इलाके के पास बनी झुग्गी झोपड़ी में रहते थे और वहां छोटी-मोटी वारदातें करते रहते थे। इस जघन्य मामले में शामिल दो नाबालिग आरोपियों के मामलों की सुनवाई किशोरवय न्याय बोर्ड कर रहा है। एक नाबालिग फोटो पत्रकार और दूसरा नाबालिग टेलीफोन ऑपरेटर के मामले में आरोपी है। अदालत ने 5 लोगों को सामूहिक बलात्कार, षड्यंत्र रचने, सांझी मंशा, अप्राकृतिक यौन संबंध के अलावा सूचना प्रौद्योगिकी कानून के उल्लंघन का दोषी करार दिया। महिला पत्रकार के बलात्कार के मामले में 44 और टेलीफोन ऑपरेटर के बलात्कार के मामले में 31 गवाहों की गवाही हुई है।
फांसी ठीक नहीं : मुलायम
समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव ने एक तरह से बलात्कारियों की पैरवी करते हुए कहा है कि बलात्कार की सजा फांसी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने तर्क दिया, लड़के हैं, गलती हो जाती है। एक चुनावी जनसभा में मुलायम सिंह यादव ने वादा किया कि वह सत्ता में आए तो ऐसा कानून हटाएंगे जो बलात्कारियों को फांसी की सजा देता है। मुलायम के ही नक्श ए कदमों पर चलते हुए उम्हें की पार्टी के नेता अबु आजमी ने कहा की विवाह इतर सम्बन्ध बनाने वाली महिलाओं को भी फांसी होनी चाहिए। अबू आजमी ने कहा, इस्लाम के अनुसार बलात्कार के दोषी को फांसी की सजा दी जानी चाहिए लेकिन इसके लिए महिलाओं को कुछ नहीं होता, सिर्फ पुरुषों को सजा दी जाती है। महिलाएं भी दोषी हैं। इन बयानों से साफ झलकता है कि बलात्कार को अभी भी हमारा समाज सामान्य अपराध मानता है बल्कि कई जगह तो बलात्कार को पुरुष का हक़ मान लिया जाता है। विवाह के बाद अनगिनत महिलाएं बलात्कार का सामना करती हैं। ऐसी घिनौने हरकतों को रोकने के लिए बलात्कारियों को फांसी देना हीं एक मात्र उपाय है। देश में बढ़ते बलात्कार की घटना का अंदाजा आप दिल्ली मे दर्ज की गई बलात्कार मामले से लगा सकतें हैं जो गत वर्ष 572 थी और इस साल अब तक 635 बलात्कार के मामले दर्ज किए जा चुके है। भारत की सभी अदालत मे लम्बित बलात्कार के मामले को एक महीने के अंदर जांच करके दोषी को फांसी की सजा दी जाए. नए कानून बनाए जाएँ की अगर ऐसी घटना पुन: हो तो दोषी को 7 दिनों मे फांसी दिए जाएं। इससे बालात्कार को रोका जा सकता है।
क्या है मामला
मुंबई की सुनसान पड़ी शक्ति मिल में पिछले साल 22 अगस्त 2013 को पांच लोगों ने फोटो जर्नलिस्ट से दुष्कर्म किया। उस वक्त लड़की के साथ उसका दोस्त भी था। दोनों रिपोर्टिंग के लिए मिल में गए थे। दो दिन के भीतर पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। घटना की खबर आने के बाद एक और लड़की सामने आई। वह पेशे से टेलीफोन ऑपरेटर है। उसने पुलिस को बताया कि 31 जुलाई 2013 को उसके साथ भी शक्ति मिल में कुछ लोगों ने दुष्कर्म किया था। गिरफ्तार पांच लोगों में से तीन को उसने पहचान भी लिया। इसके बाद दोनों मामले में केस चले। टेलीफोन ऑपरेटर मामले में चार को उम्रकैद की सजा पहले ही हो चुकी है।
ये है फैसला
* दुष्कर्म की वारदात बार-बार करने के दोषी विजय जाधव (19), कासिम शेख (21) और सलीम अंसारी (28) को मौत की सजा।
* अप्राकृतिक यौनाचार के लिए विजय जाधव, कासिम शेख और सलीम अंसारी को उम्रकैद की भी सजा।
* पहली बार दुष्कर्म करने के दोषी सिराज रहमान को उम्रकैद की सजा।
दरिंदे नहीं बदले : जज
ये ऐसे दरिंदे हैं जो मोहलत देने के बाद भी नहीं बदले। दुष्कर्म अचानक हुई वारदात नहीं, बल्कि पूर्व नियोजित था। इनका अपराध रेयरेस्ट ऑफ रेयर की श्रेणी में आता है। अगर इन्हें कम सजा दी गई तो समाज में गलत संदेश जाएगा। इनकी सजा पूरे समाज के लिए सबक होनी चाहिए।
-शालिनी फणसलकर जोशी, फैसला सुनाने वाली जज