शर्मनाक प्रदर्शन
16-Apr-2014 08:41 AM 1234752

6 अप्रैल को भारत का दिन नहीं था। विश्व के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों से सुसज्जित टीम 7 विकेट हाथ में रहते हुए श्रीलंका जैसी टीम के विरुद्ध 20 ओवर में मात्र 130 रन बना पाई।  देखा जाए तो पराजय की ए,बी,सी,डी तो इस लक्ष्य ने ही लिख दी थी। बाकी खेल महज औपचारिकता था। जब लक्ष्य सम्मानजनक न हो तो गेंदबाजों से चमत्कार करने की उम्मीद करना बेमानी है। वैसे भी भारत की गेंदबाजी उतनी चमत्कारी नहीं समझी जाती। बहरहाल 6 अप्रैल को एक जीती हुई बाजी 20-20 विश्वकप में हम हार गए। मीडिया में यह प्रचार किया गया कि जीत के खलनायक युवराज सिंह हैं। लेकिन शुरु से ही कुछ गल्तियां हार की बुनियाद रख चुकी थीं। युवराज सिंह को जिस क्रम में भेजा गया वह गलत सिद्ध हुआ उनकी जगह रैना को भेजा जाता तो लेफ्ट-राइट का काम्बिनेशन भी बना रहता और रैना कम से कम एक रन प्रति बॉल के औसत से रन बना ही लेते। युवराज सिंह दुनिया के सबसे अच्छे हिटर हैं इसमें कोई शक नहीं है, लेकिन फाइनल जैसे मैच में कम से कम स्ट्राइक रोटेट करते रहना चाहिए। क्योंकि दूसरे छोर पर जमें बल्लेबाज को बड़े शॉट खेलने की स्वतंत्रता मिलती है। युवराज यदि स्ट्राइक ही देते रहते तो विराट कोहली अपना शतक भी पूरा कर सकते थे और वे भारत को बड़े स्कोर तक पहुंचाने में सक्षम थे, लेकिन कई बार जब खेल सही दिशा में न जा रहा हो तो बल्लेबाज भी क्रीज पर भ्रम में पड़ जाता है।
युवराज सिंह को रोककर एक तरह से श्रीलंका अपनी रणनीति में कामयाब हो गया। रहाणे भी ठीक नहीं खेल पाए।  फाइनल में शिखर धवन रहते तो शायद मैच में कुछ रन और जुड़ते, लेकिन रहाणे रिदम बनाने में असफल रहे। वे स्ट्राइक भी सही तरीके से रोटेट नहीं कर पाए। इस मैच में भारत ने जितनी डाट बॉल खेली उससे पहले किसी मैच में नहीं खेली। श्रृंखला में पहली बार भारत शुरू से ही लडख़ड़ाता नजर आया और यही उसकी पराजय का कारण बना। बहरहाल इस हार के लिए पूरी तरह युवराज सिंह को जिम्मेदार ठहराया गया। जो कि गलत है। किसी दिन विशेष में बल्लेबाजी नहीं चल पाती है। इसके लिए किसी खिलाड़ी पर सारी जिम्मेदारी डाल देना ठीक नहीं है। जहां तक धोनी का प्रश्न है तो उन्होंने आस्ट्रेलिया के खिलाफ युवराज की पारी देखते हुए उन्हें मौका दिया था। धोनी के पास करने को कुछ था नहीं। वे महज सात बॉल खेल पाए। एकाध दो बाउंड्री लगा देते तो शायद मैच अंतिम ओवर तक खिंचता, लेकिन जीतना श्रीलंका को ही था। जिस तरह संगाकारा ने खेला उसे देखते हुए उस पिच पर 160 से कम का स्कोर सुरक्षित नहीं था। बहरहाल अब आईपीएल का इंतजार है जो पहले ही विवादों में घिरा हुआ है। भारतीय टीम को फाइनल तक पहुंचने के लिए धन्यवाद अवश्य कहना चाहिए।

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