02-Apr-2014 09:08 AM
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बिहार के कद्दावर भाजपा नेता और भाजपा प्रवक्ता मुख्तार अब्बास नकवी नाराज हैं। उनकी नाराजगी की वजह है भाजपा में जनता दल युनाईटेड से नये-नये पधारे साबिर अली की सदस्यता से इतने नाराज हो गए कि अंतत: साबिर अली को

निकाल ही दिया गया। साबिर अली वह शख्स है जिन पर आतंकवादी भटकल से रिश्ते का आरोप भाजपा ने ही लगाया था। हालांकि मुख्तार अब्बास नकवी ने अपनी नाराजगी भरी ट्वीट में अली का नाम तो नहीं लिया लेकिन कहा कि आज भटकल का दोस्त भाजपा में आया जल्दी ही दाउद इब्राहीम भी आयेगा। पिछले वर्ष पटना में नरेंद्र मोदी की चुनावी रैली में धमाके हुये थे उसके बाद नरेंद्र मोदी लगातार बिहार सरकार पर हमले करते रहे। तभी भटकल का नाम इंडियन मुजाहिद्दीन के सहसंस्थापक के रूप में सामने आया और उसके कथित रूप से भारतीय संपर्कों का भी खुलासा हुआ। नकवी की नाराजगी के बाद संघ ने भी आंखें तरेरी और साबिर अली रुख्सत हो गए। बिहार की राजनीति में भाजपा के भीतर भारी उथल-पुथल मची हुई है। विभिन्न दलों से आ रहे नेताओं के कारण भाजपा में वर्षों से काम कर रहे नेताओं को बेचैनी हुई है। ये नेता बाहरी नेताओं को महत्व देने से खफा हैं। कुछ समय पूर्व रामपाल यादव राष्ट्रीय जनता दल से भाजपा में आये थे उस वक्त भी भारी असंतोष देखने में आया था। लेकिन रामपाल यादव के प्रकरण को भाजपा ने किसी तरह शांत किया। नकवी कहते हैं कि अली की पृष्ठभूमि सभी को पता है इसलिये पार्टी ने अपनी भूल सुधार ली।। उधर भाजपा के राज्य प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा है कि अली को राज्य इकाई के कहने पर पार्टी में लाया गया था और उनकी पृष्ठभूमि की जांच-पड़ताल के बाद उन्हें निकाल दिया। अली ने हाल ही में नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की थी। अली उन 3 अन्य सांसदों में से हैं जिन्हें राज्यसभा के लिये फिर से नामांकित नहीं किया गया। अली का कार्यकाल अगले माह समाप्त हो रहा है और उन्हें भाजपा में फायदा दिख रहा था।
चुनाव में हर हाल में जीत हासिल करने के लिये भाजपा जी जोड़ कोशिश कर रही है। कुछ समय पहले श्रीराम सेना के प्रमुख भी भाजपा में शामिल हो गये थे। बाद में जब मीडिया में भाजपा के प्रति नकारात्मक संकेत गया तो श्रीराम सेना के प्रमुख को पार्टी से पुन: निकाल दिया गया। इस घटना से आहत होकर उन्होंने घोषणा की कि वे भाजपा के खिलाफ प्रत्याशी खड़ा करेंगे। लेकिन साबिर अली अपने ऊपर लगे आरोपों को सिरे से नकारते हैं। अली का तो यह भी कहना है कि यदि आरोप साबित हुये तो वे राजनीति से संन्यास ले लेंगे। अन्यथा आरोप लगाने वाले को भी नैतिक जिम्मेदारी लेनी चाहिये। लेकिन साबिर की मुश्किल यह है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उनके साथ नहीं था। इसलिए साबिर को बाहर का रास्ता दिखाया गया। लेकिन इस प्रकरण ने जनता दल यूनाइटेड को बहुत नुकसान पहुंचाया है। नरेंद्र मोदी का विरोध करके जनता दल युनाइटेड बिहार में मुसलमानों के बीच अपनी लोकप्रियता को वोट बैंक में तब्दील करने में अब तक कामयाब थी पर जनता दल यूनाइटेड के कई मुस्लिम नेता चुनाव से पहले साथ छोड़ चुके हैं। लालू यादव ने साबिर अली को राष्ट्रीय जनता दल में लाने की कोशिश की थी मगर उनकी कोशिश कामयाब नहीं हो पाई। गौरतलब है कि हिंदू संगठन श्रीराम सेना के प्रमुख प्रमोद मुतालिक को चंद रोज पहले ही बीजेपी में शामिल किया गया था। पार्टी के इस कदम पर अंदर और बाहर जबर्दस्त विवाद मचा था और इस वजह से शामिल किए जाने के पांच से छह घंटे के भीतर ही उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। मुतालिक का नाम मंगलोर के एक पब पर हुए हमला और महिलाओं से गलत बर्ताव में सामने आया था और इसी विवाद से उनकी सदस्यता गई। अब जबकि खुद नकवी कह रहे हैं कि साबिर आतंकवादी यासीन भटकल का दोस्त है और उसके तार अंडरवल्र्ड डॉन दाउद इब्राहिम से जुड़े हैं तो ऐसे में मामला ज्यादा गंभीर है। मुख्तार अब्बास नकवी द्वारा खुद को भटकल का दोस्त बताए जाने पर साबिर अली ने कहा, इतना बड़ा देश है। लोग बोलते रहते हैं। अब किस-किस को जवाब दें। दूसरी तरफ, मोदी की जमकर तारीफ करते हुए साबिर ने कहा, इस समय सिर्फ नरेंद्र मोदी में ही देश को एकजुट रखने और नई दिशा दिखाने की क्षमता है। मैं देश के मुसलमानों को नमो के पक्ष में एकजुट करूंगा। पिछले कुछ दिन गुजरात में बिताने के बाद मुझे यह विश्वास हो गया कि नमो के बारे में तथाकथित धर्मनिरपेक्ष नेताओं की बयानबाजी जनता की आंखों में धूल झोंकने का प्रयास है।Ó हाल के दिनो में जेडीयू के कई नेता बीजेपी में शामिल हुए हैं। इनमें एन के सिंह भी शामिल हैं। दरअसल, साबिर, एन के सिंह और शिवानंद तिवारी को जेडीयू ने इस बार राज्यसभा का टिकट देने से इनकार कर दिया था जिसके बाद पार्टी में इनके लिए कुछ खास नहीं बचा था।
शिवानंद तिवारी के बाद अब नरेंद्र सिंह
हाल में जद(यू) को राष्ट्रीय स्तर के दो बड़े कद्दावर नेताओं से हाथ धोना पड़ा है। अभी पार्टी में और भी बागी हैं। इस कड़ी में अगला बड़ा नाम जदयू के वरिष्ठ नेता और बिहार सरकार में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह का है। नरेंद्र खुले आम बागी तेवर दिखा चुके हैं। वह भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने। चंद रोज पहले उन्होंने खैरा में मंच से खुलेआम जदयू प्रत्याशी और विधानसभा के स्पीकर उदय नारायण चौधरी की तुलना नक्सलियों से कर दी। यह भी कहा- नीतीश जी जान लें कि जिस दिन मैं विरोध कर दूंगा उस दिन आपके प्रत्याशी की जमानत जब्त हो जाएगी। अगर हार गए तो हमारे माथे पर बेल नहीं फोडि़एगा। नीतीश उदय नारायण चौधरी के समर्थन में ही चुनावी सभा को संबोधित कर रहे थे। चौधरी भी मंच पर मौजूद थे। उन्होंने चौधरी को भी खुली चुनौती दे डाली। कहा- लोग उदय नारायण चौधरी को नक्सली कह रहे हैं। चौधरी जैसे एक सौ नक्सली जमुई की धरती पर पैदा हो जाएं तो भी जमुई का कुछ बिगड़ नहीं सकता है।