18-Mar-2014 09:53 AM
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राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव अपनी पार्टी में मची भगदड़ को थामने में नाकामयाब रहे हैं। रामकृपाल यादव बीजेपी में शामिल हो गये और उन्हें बीजेपी ने पाटलीपुत्र से टिकिट भी दे दिया है ऐसे हालात में नीतिश भी सतर्क हो

गये हैं क्योंकि उनकी पार्टी की रेणु कुशवाह सहित कई नेताओं ने भाजपा की शरण लेना उचित समझा है। दरअसल कांग्रेस के साथ रहते-रहते लालू यादव भी वंशवाद नामक संक्रामक बीमारी के शिकार हो गए हैं। लालूृ चाहते है कि उनकी बेटी निशा भारती विहार के पाटलीपुत्र से चुनाव लड़े पाटलीपुत्र से रामकृपाल यादव चुनाव लडऩा चाहते हैं और उन्होंने धमकी दी है कि निशा भारती मैदान ए जंग में आएंगी तो वे पार्टी छोड़ देगें। राम कृपाल यादव की यह धमकी महज धमकी नहीं है बल्कि वे इतने ताकतवर है कि बिहार में लालू के वोट बैंक में सेंध लगाने की हिम्मत रखते हैं। लालू यादव की राजनीति खत्म हो चुकी है लेकिन मीसा भारती को राजनीति शुरु करनी है और अपने पिता के राजनीतिक कुनवे को आगे ले जाना है। लालू यादव बेहतर जानते हैं कि यदि उनके परिवार का एक भी सदस्य चुनावी राजनीति में नहीं होगा तो उनका वर्चस्व खत्म हो जाएगा। लालू किसी भी सूरत में अपना कुनबा बिखरने नहीं देना चाहते। उनके पुत्र अभी इतने परिपक्व नहीं हैं कि चुनावी राजनीति में अपनी ताकत दिखा सके इसलिए मीसा भारती को लालू ने मैदान में उतारा है नए कानून के चलते लालू खुद चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। लेकिन वंशवाद को बढ़ावा देने की लालू की रणनीति कामयाब नहीं हो सकती। उनकी पार्टी में भगदड़ मची हुई है अभी कुछ दिन पहले ही 13 विधायकों ने पार्टी छोड़ दी थी बाद में 9 विधायक वापस लौट आये लेकिन रामकृपाल यादव जैसे महारथी सांसदों को बाहर बिठा कर लालू कैसे चुनाव जीतेंगे। जहां तक बिहार का नीतिश का प्रश्न है नीतिश बेहतर स्थिति में पहुंचते जा रहे हैं। वे भले ही भाजपा का नुकसान न करें लेकिन लालू कि पार्टी में चल रही भागमभाग के कारण नीतिश को फायदा हुआ है। रामकृपाल यादव भी नीतिश के साथ जा सकते है हालांकि जानकारों का कहना है कि यादव को भाजपा ज्यादा रास आ रही है लेकिन यादव के आने से भाजपा में भी असंतोष उभरेगा क्योंकि वे (यादव)अपने साथ चुनावी महत्वाकांक्षाएं भी लेकर आएंगे जिससे भाजपा के स्थानीय नेताओं को अपनी दावेदारी जताने में परेशानी होगी। बहरहाल लालू को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता वे साफ कह चुके हैं कि बीच रेस में घोड़ा नहीं बदला जाता इसका अर्थ यह है कि मीसा भारती लोकसभा चुनाव पाटलीपुत्र से ही लड़ेगीं भले ही पार्टी में बगावत हो जाए। उधर सुरेश पासवान, शिवचंद्र राम, रामानुज व गुलाम गौस जैसे नेता पार्टी छोडऩे को तैयार बैठै हैं। पाटलीपुत्र से जनता दल यूनाईटेड के रंजन यादव वर्तमान में सांसद हैं। इसीलिए जनता दल यूनाईटेड रामकृपाल यादव को लेकर ज्यादा उत्साहित नहीं हैं उधर भाजपा में यादव को शायद ही रिस्पांस मिले क्योंकि यादव के दल बदलने से मुस्लिमों के बीच उनकी छवि खराब हो जाएगी यादव शायद ही यह जोखिम उठाना चाहें। कांग्रेस डूबता हुआ जहाज है और लालू की पार्टी से उनका तालमेल भी हो सकता है ऐसे में एक ही सूरत है कि रामकृपाल यादव बतौर निर्दलीय चुनाव लड़े और जीतकर बता दें। उधर रामगोपाल का कहना है कि यदि लालू यादव खुद घोषणा करें तो पाटलिपुत्र से चुनाव लडऩे को तैयार हो सकते हंै। इसका अर्थ यही हुआ कि यादव अपने विकल्प खुले रखना चाहते हैं।