चुनाव में हमले की साजिश
02-Apr-2014 09:06 AM 1234771

भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी पर पाकिस्तान समर्थित इंडियन मुजाहिदीन संगठन आत्मघाती हमले की योजना बना रहा है। यह किसी बड़ी साजि़श की शुरुआत है अब इसमें संदेह नहीं रह गया है। हाल ही में  राजस्थान से यासीन भटकल के निकट सहयोगी वकास समेत चार आतंकियों और उनके एक सहयोगी की गिरफ्तारी ने बहुत कुछ ऐसा उजागर किया, जो यदि अमल में लाया जाता तो भारत में आतंरिक हालात बुरी तरह बिगड़ सकते थे।
बमबारी की अनेक घटनाओं के सिलसिले में वांछित शीर्ष इंडियन मुजाहिदीन आतंकवादी एवं पाकिस्तानी नागरिक जिया उर रहमान उर्फ वकास और उसके तीन सहयोगियों  मोहम्मद महरूफ (21), मोहम्मद वकार अजहर उर्फ हनीफ (21) और साकिब अंसारी उर्फ खालिद (25) को जब दिल्ली पुलिस ने अजमेर, जोधपुर और जयपुर से गिरफ्तार किया तो चुनाव के दौरान किसी बड़ी साजि़श का भंडाफोड़ हो गया। पाकिस्तान आधारित आईएसआई की ओर से भेजा गया खूंखार आतंकवादी रहमान भारत भर में बमबारियों की श्रंखला के लिए वांछित है। रहमान उर्फ वकास को  अजमेर रेलवे स्टेशन से उस वक्त गिरफ्तार किया गया, जब वह बांद्रा, मुंबई से आई एक ट्रेन से उतरा था। महरूफ और अजहर जयपुर के निवासी हैं जबकि अंसारी जोधपुर का रहने वाला है। दिल्ली के  जामिया नगर के शाहीन बाग इलाके से एक युवक को भी पूछताछ के लिए ले जाया गया है, क्योंकि वह जयपुर और जोधपुर से गिरफ्तार तीनों के संपर्क में था। पुलिस ने उसकी शिनाख्त सार्वजनिक नहीं की है। 1 जयपुर और जोधपुर से इन तीन लोगों के निवास से भारी मात्रा में विस्फोटक पदार्थ, डेटोनेटर, इलेक्ट्रानिक सॉर्ट-टाइमर बरामद किए गए। पुलिसका कहना है कि आतंकवादी लोकसभा चुनाव समेत किसी अहम कार्यक्रम को निशाना बना सकते थे।
रहमान ने पुलिस को बताया है कि उसके अजमेर दौरे का उद्देश्य तीनों आतंकवादियों की तरफ से किसी जबरदस्त हमले की तैयारियों को समन्वय करना और उसकी देखरेख करना था। रहमान देशी और अन्य विस्फोटकों का विशेषज्ञ है। उधर आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीनÓ के मोस्ट वांटेड आतंकी समस्तीपुर का रहने वाला तहसीन अख्तर उर्फ मोनू जल्द ही एनआइए की गिरफ्त में आ सकता है। पटना व बोधगया ब्लास्ट का आरोपित व औरंगाबाद निवासी हैदर भी जल्द ही एनआइए की पकड़ में होगा।  खुफिया एजेंसी आइबी और एनआइए को तहसीन व हैदर बारे में पुख्ता सूचनाएं हासिल हो चुकी हैं। पाकिस्तानी आतंकी जिया उर रहमान उर्फ वकास के साथ-साथ तहसीन की हर गतिविधि खुफिया एजेंसी रिकॉर्ड कर रही थी।
वकास की गिरफ्तारी के लिए एनआइए की टीम ने पिछले दिनों कई बार दरभंगा, मधुबनी और मुजफ्फरपुर में छापेमारी की थी लेकिन हर बार वह छापेमारी से पहले मौके से फरार होने में कामयाब रहा। सूत्र बताते हैं कि वह मुजफ्फरपुर के बिंदेश्वरी कंपाउंड मोहल्ले में स्थित अहमद लॉज में करीब एक माह तक छात्र के वेश में रहा। वह जिस कमरे में रहता था उस कमरे में मोतिहारी का एक छात्र उसका रूम पार्टनर था। एनआइए को जब इसकी भनक लगी तो उसने अहमद लॉज में छापेमारी की लेकिन इससे तीन दिन पहले ही मौके से भागने में सफल हो गया। बतौर छात्र वकास दरभंगा के भी कई मोहल्लों में रह चुका है और वहां रहते हुए उसने उत्तर बिहार के 40 युवकों को आतंक की ट्रेनिंग भी दी है। अब एनआइए की टीम उन 40 युवकों की टोह में है, जिसे उसने आतंक का पाठ पढ़ाया था। वकास को नेपाल के रास्ते भारत लाने वाला मोनू ही था। वकास पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से वर्ष 2010 के सितंबर में काठमांडु पहुंचा था। वहां से वे दोनों ने मधुबनी के रास्ते बिहार व भारतीय सीमा में प्रवेश किया। वकास लश्कर ए तैयबा के उन आतंकियों में शामिल है, जिन्हें पाकिस्तान के वजीरिस्तान में आतंकी प्रशिक्षण शिविर में हाइड्रोजन पैरा ऑक्साइड, पोटेशियम क्लोराइड और अमोनियम नाइट्रेड की मदद से आइइडी (इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) बनाने में महारथ हासिल है।  बताया जाता है कि वकास पाकिस्तान में बैठे रियाज भटकल व इकबाल भटकल से भारत में आतंकी गतिविधियों के लिए आर्थिक मदद पहुंचाने का स्रोत भी है। वकास ने इस संबंध में और बातें बतायी हैं कि कैसे पाकिस्तान के आतंकवादी शिविरों में 15 वर्ष आयु तक के किशोरों को भी जिहादÓ की ट्रेनिंग दी जा रही है। पूछताछ से जुड़े एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार, अखबार के विज्ञापन के माध्यम से 2009 में वकास किसी ताज मोहम्मद नामक व्यक्ति के संपर्क में आया। वह लश्कर-ए-तैयबा के मुख्य संगठन जमात-उद-दावा के लिए दान एकत्र किया करता था। अधिकारी ने बताया, उसने मोहम्मद से कहा कि वह कश्मीर जाकर लडऩा चाहता है। उसकी दिलचस्पी को जांचने के लिए मोहम्मद ने दो बार उसका अनुरोध ठुकराया, लेकिन उसके जोर देने पर, मोहम्मद ने नौशेरा शिविर में वकास के प्रशिक्षण की व्यवस्था की।Ó वहां 15 से 20 वर्ष आयु वर्ग के 20-25 युवाओं के साथ वकास ने दौरा-ए-आमÓÓ नामक 21 दिन का प्रशिक्षण शुरू किया। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान अबू बाकर, अब्दुल्ला, अजहर, नईम नामक लोग उसके ट्रेनर थे जबकि उनके प्रमुख का नाम अबू मंजूर था। वकास का कहना है कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम बहुत मुश्किल था। यह सुबह साढ़े पांच बजे से शुरू होकर शाम पांच बजे तक चलता था। यह सुबह में प्रार्थना और प्रशिक्षण व्यायाम के साथ शुरू होता था। नाश्ता सुबह आठ बजे दिया जाता था जिसके बाद धार्मिक कक्षाएं होती थीं। उसके बाद हथियारों का प्रशिक्षण होता था जिसमें एके-47, इनसास, जी-2 बंदूकें और पिस्तौल चलाना सिखाया जाता था। दोपहर 12 बजे से दो बजे तक भोजनावकाश होता था जिसके बाद गोली चलाना सिखाया जाता था। इसे पूरा करने के बाद वकास और प्रशिक्षण चाहता था जिसके लिए जैश-ए-मोहम्मद के अब्दुर रहमान ने वजीरिस्तान स्थित शिविर में उसे भेजने का इंतजाम किया। यहां उसे जुहैबÓ नामक 25 दिन का प्रशिक्षण दिया गया जिसमें उसने हथियार चलाना सीखा। उसके बाद वह कुछ चुनिंदा लोगों के साथ अगले स्तर के प्रशिक्षण में गया जहां उसे बम संबंधी बातें सिखायी गयीं। सभी प्रशिक्षण पूरे होने के बाद वकास को कराची जाकर एक होटल में ठहरने को कहा गया। बाद में रियाज भटकल उससे जावेद बनकर मिला जहां से उसे काठमांडो जाना था।
वकास वहां से असदुल्ला अख्तर उर्फ हैदी (यासीन भटकल के साथ गिरफ्तार) के साथ सितंबर 2010 में काठमांडो पहुंचा। जहां तहसीन अख्तर उर्फ मोनू उनसे मिला। भटकल की गिरफ्तारी के बाद तहसीन इंडियन मुजाहिदीन का प्रमुख है। नेपाल से वकास बिहार के
दरभंगा जिला पहुंचा जहां उसकी भेंट यासीन भटकल और संगठन की बिहार इकाई के अन्य सदस्यों से हुई।
चिंतनीय तथ्य तो यह है कि लोकसभा चुनाव के दौरान आतंकी हमले की साजिश के आरोप में गिरफ्तार तीन आतंकी  मोहम्मद मारूफ उर्फ इब्राहिम, वकार अजहर और मोहम्मद मेहराजुद्दीन इंजीनियरिंग के छात्र थे। प्रारंभिक पूछताछ में पता चला है कि उन्होंने जयपुर में धमाके करने के लिए वर्ल्ड ट्रेड पार्क, मोती डूंगरी गणेश मंदिर, बिड़ला मंदिर, गोविंद देवजी मंदिर, छोटी व बड़ी चौपड़ और जौहरी बाजार की रैकी की थी। इंजीनियरिंग छात्र मोहम्मद मारूफ का आतंकी मामलों में गिरफ्तार होना परिजनों के साथ झोटवाड़ा के लोगों के लिए भी आश्चर्यजनक रहा। वहीं कॉलेज प्रशासन से जुड़े लोगों की मानें तो पांचवें सेमेस्टर तक उसकी अच्छी स्थिति थी, लेकिन 2013 से उसने कॉलेज आना कम कर दिया। पढ़ाई भी पहले की तरह नहीं करता था। छठे सेमेस्टर में दो पेपर बैक होने और सातवें सेमेस्टर में बहुत कम उपस्थिति के कारण ही उसको परीक्षा में शामिल नहीं होने दिया गया। मारूफ अपने कुछ साथियों को कॉलेज खत्म होने के बाद रोजाना कॉलेज भवन के अंदर ही एकांत जगह में ले जाकर नमाज अदा करता था।
आतंकी गतिविधियों में लिप्त तीनों इंजीनियरिंग छात्रों ने 2010 में आरपीईटी के जरिए जयपुर के दो इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश लिया था। मेहराजुद्दीन और वकार अजहर सीतापुरा के जीआईटी कॉलेज में फाइनल ईयर के छात्र थे। उनके दसवीं और बारहवीं कक्षा में 75 फीसदी से अधिक अंक थे। आरपीईटी में मेहराजुद्दीन की रैंक 8 हजार और वकार की 7 हजार थी। वहीं वीआईटी कॉलेज में पढऩे वाले मोहम्मद मारूफ के 10 वीं में 93 और 12 वीं में 80 फीसदी से ज्यादा अंक थे। कॉलेज प्रशासन के अनुसार मोहम्मद मारूफ का एक बड़ी आईटी कंपनी के लिए सलेक्शन भी हो गया था।
मेहराजुद्दीन के पिता नियाजुद्दीन रेलवे में ड्राइवर हैं। मेहराज की गिरफ्तारी के वक्त वे गंगापुर सिटी से जनशताब्दी लेकर गए थे।   पड़ोसियों ने बताया- बचपन से ही मेहराज खुद में मस्त रहता था। किसी से ज्यादा बोलना नहीं था। मेहराज की मां मेहरुन्निसा ने बेटे को निर्दोष बताया। कहा- फंसाया गया है। वह पढ़ाई में शुरू से अव्वल रहा। 2007 में 10वीं गणित, विज्ञान और अंग्रेजी में विशेष योग्यता के साथ पास की।  गणित में 100 में से 93 और विज्ञान में 90 नंबर है। 12वीं फिजिक्स, कैमेस्ट्री व मैथ्स विशेष योग्यता के साथ पास की और 81.5 प्रतिशत अंक हासिल किए। मारूफ के पिता मोहम्मद फारुक भी बेटे की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली चले गए। वे बिजली कंपनी में चीफ इंजीनियर हैं।संभ्रांत परिवारों के इन बच्चों का आतंक से यूँ जुडऩा सारे समाज की चिंता का विषय है। आतंकवाद का यह नया रूप भयानक है। इससे निपटने के लिए हथियारों की नहीं सुधार की जरूरत पड़ेगी।

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