कश्मीरी छात्रों पर विवाद
18-Mar-2014 10:57 AM 1234767

एशिया कप में जब रोमांचक मैच में पाकिस्तान ने भारत को हरा दिया तो भारतीय समर्थकों के चहेरे पर मायूसी छा गई लेकिन उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर की स्वामी विवेकानंद यूनिवर्सिटी में कुछ कश्मीरी छात्रों ने पाकिस्तान की जीत पर जश्न मनाया यह जश्न मनाना दूसरे छात्रों को नागवार गुजरा और उन्होंने विरोध कर दिया। छात्रों के दोनों समूह के बीच झगड़े कि नौबत भी आ गई। बताया जाता है कश्मीरी छात्र पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे। हालांकि उन्होंने बाद में ऐसी किसी भी घटना से इनकार किया लेकिन वाईस चांसलर ने सभी 67 कश्मीरी छात्रों को सस्पेंड करते हुए उन्हें होस्टल खाली करने और जम्मू कश्मीर वापस अपने घर जाने के लिए कह दिया। इस घटना के बाद मीडिया में कई तरह की खबरें आईं। बताया जाता है कि छात्रों को पुलिस सुरक्षा में गाजियाबाद और दिल्ली रेल्वे स्टेशन पर छोड़ा गया बाद में मेरठ पुलिस ने अज्ञात छात्रों के खिलाफ धारा 124(ए)  देशद्रोह का मामला दर्ज कर लिया।
उधर जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पीपुल्स डेमोके्रटिक पार्टी ने हंगामा मचाया और सरकार से जबाब मांगा। भाजपा, जम्मू स्टेट मोर्चा व पैन्थर्स पार्टी ने विरोध किया उनका कहना था कि अपराधियों का सरंक्षण नहीं होना चाहिए। दरअसल 124 (ए)धारा देशद्रोह के लिए लगाई जाती है जिसमें तीन वर्ष से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है, लेकिन चुनावी माहौल को देखते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इन छात्रों पर से देशद्रोह का मामला हटवा दिया है। कश्मीर में इस मसले पर राजनीति हो रही है लेकिन सबसे बड़ी ङ्क्षचंता की बात तो यह है कि पाकिस्तान के आतंकवादी हाफिज सईद ने इन छात्रों से हमदर्दी जताते हुए उन्हें स्कॉलरशिप की पेशकश भी कर दी है। सवाल यह है कि यदि यह घटनाक्रम सच है तो उन छात्रों को बचाने की कोशिश क्यों की जा रही है। भले ही उन पर देशद्रोह का मामला दर्ज न हो किन्तु कम से कम उन्हें उचित दंड अवश्य दिया जाना चाहिए पर ऐसे नाजुक मुददे पर भी इस देश में राजनीति की जाती है। कुछ लोगों का कहना है कि देशद्रोह संबंधी कानून अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर चोट करता है, लेकिन अभिव्यक्ति का अर्थ किसी देश के अधिकांश लोगों की भावना को आहत करना तो नहीं हो सकता। बहरहाल इन बच्चों का भविष्य तय नहीं है। उन्हें उचित मार्गदर्शन दिया जाना भी जरूरी है। देशप्रेम किसी को धमका कर नहीं सिखाया जा सकता है, किन्तु किसी भी नागरिक को उचित कार्य व्यवहार की जानकारी होनी चाहिए खासकर भारत जैसे देश में जहां माहौल ज्यादा ही संबेदनशील है वहां अपनी भावनाएं व्यक्त करने से पहले माहौल भांपना जरूरी है। इन कश्मीरी छात्रों ने भले ही बड़ा अपराध न किया हो लेकिन भारत के चुनावी माहौल ने नए विवाद को जन्म दिया है। अखिलेश सरकार ने विवाद टालने की कोशिश की है। लेकिन जम्मू कश्मीर विधानसभा में जिस तरह इन छात्रों की कुछ राजनीतिक दलों द्वारा पैरवी की गई वह भयानक है।

भारत के खिलाफ युद्ध करने के और क्या हैं कानून
-  आईपीसी की धारा 121 में देश के खिलाफ युद्ध छेडऩे वालों (आतंकवादी गतिविधियों में शामिल) को सजा दिए जाने का प्रावधान है। अगर कोई शख्स भारत के खिलाफ युद्ध करता है या ऐसी कोशिश करता है या ऐसे लोगों को बढ़ावा देता है तो उम्रकैद से लेकर फांसी तक की सजा हो सकती है।
- भारत के खिलाफ किसी अपराध के लिए साजिश रचने पर धारा 121 (ए) के तहत सजा दी जाती है, जो 10 साल या अधिकतम उम्रकैद हो सकती है।
- आईपीसी की धारा 122 में प्रावधान है कि अगर भारत के खिलाफ युद्ध करने की नीयत से हथियार जमा करने, बनाने या छुपाने की कोई कोशिश करता है तो आरोपी के खिलाफ दोष साबित होने पर 10 साल तक कैद या उम्रकैद की सजा हो सकती है।
-     इन लोगों का साथ देने वालों के लिए धारा 123 में 10 साल तक की कैद का प्रावधान है। वहीं आईपीसी की धारा 124 में राष्ट्रपति या राज्यपाल पर हमला करने वालों को सजा दी जाती है।

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