गठबंधन में राज ठाकरे का ग्रहण
18-Mar-2014 11:09 AM 1234823

महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना के गठबंधन को स्पष्ट बढ़त तो दिखाई दे रही है लेकिन राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना इस गठबंधन को खासा नुकसान पहुंचा सकती है। खास बात यह है कि राज ठाकरे तो साथ आने के लिए तैयार बैठे हैं किंतु उद्धव ठाकरे राज को जरा सा भी स्पेस देने को तैयार नहीं हैं। उद्धव ने नासिक सीट देने से भी मना कर दिया है जबकि नासिक सीट पर शिवसेना तीसरे नम्बर पर रही थी। राज ठाकरे की मांग है कि उनकी पार्टी को तीन लोकसभा सीटें दी जाएं। सूत्र बताते हैं कि नितिन गडकरी ने राज ठाकरे को एक सीट पर मना लिया था लेकिन उद्धव राजी नहीं हुए, बाद में उद्धव ने कुछ और भी तल्खियां दिखाईं। बात जब नियंत्रण से बाहर होने लगी तो दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व की नींद खुली और राजीव प्रसाद रूड़ी को डैमेज कंट्रोल के लिए मुंबई भेजा गया। उन्होंने उद्धव ठाकरे से मिलकर उन्हें मनाने की कोशिश की और गलत फहमियां दूर की गईं। भाजपा ने इसका खंडन किया है। हालांकि उद्धव ठाकरे ने भाजपा पर हमला करना बंद नहीं किया है। सामना में उन्होंने लिखा कि यदि मोदी प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं तो उन्हें गठबंधन धर्म निभाना सीखना चाहिए।
यह सच है कि महाराष्ट्र में एमएनएस को एक भी सीट नहीं मिलेगी, लेकिन उद्धव और राज की तुलना करें तो राज ठाकरे बाल ठाकरे के ज्यादा नजदीक दिखाई देते हैं। यही कारण है कि भाजपा राज को महाराष्ट्र में अपने भविष्य के सहयोगी के रूप में देख रही है। जनता भी उद्धव ठाकरे से ज्यादा काबिल और आक्रामक राज ठाकरे को मानती है। बाला साहब ठाकरे जिस तरह की राजनीति करते थे वैसी ही राजनीति राज ठाकरे करते आए हैं और शिवसेना का चरित्र जिस तरह का है उसमें राज ज्यादा फिट बैठते हैं। उद्धव उतने करिश्माई नहीं हैं। दरअसल उद्धव ठाकरे के लिए राज ठाकरे को कोई भी स्पेस देना अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने के समान है। राज राजनीति में आक्रमाकता से आगे बढ़े हैं और उनकी ताकत भी लगातार बढ़ रही है। यदि लोकसभा चुनाव में कोई गठबंधन हुआ तो आने वाले समय में इसका फायदा राज को ही मिलेगा जबकि गठबंधन से बाहर रहने पर थोड़ा बहुत नुकसान पहुंचाकर राज ठाकरे शांत बैठ जाएंगे। फिर उनसे विधानसभा चुनाव में मन माफिक सौदेबाजी की जा सकती है इसलिए शिवसेना नासिक और दक्षिण मुंबई जैसी सीटें भी नही छोडऩा चाहती। शिवसेना के इस कदम के बाद अब राज ठाकरे ने महाराष्ट्र की 15 सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए हैं। हालांकि नितिन गडकरी लगातार कोशिश कर रहे हैं कि किसी भी तरह राज ठाकरे गठबंधन नहीं तो कम से कम भाजपा के समर्थन में ही चुनाव से हट जाएं। बीजेपी नेता गोपीनाथ मुंडे भी शुरुआत में राज ठाकरे को महायुति में प्रवेश देने के लिए तैयार थे। उद्धव ठाकरे से मुलाकात में उनका कड़ा रुख देखने के बाद उन्होंने यह योजना ही ठंडे बस्ते में डाल दी। महाराष्ट्र बीजेपी की अंदरूनी राजनीति में मुंडे के प्रतिस्पर्धी माना जाते हैं गडकरी। वह मानने को कतई तैयार नहीं हुए। पिछले महीने नासिक में राज ठाकरे की महत्वाकांक्षी गोदा-पार्क परियोजना का उद्घाटन हुआ तो गडकरी वहां मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंच गए। गडकरी और राज ठाकरे ने वहां एक-दूसरे की तारीफों के पुल बांधे। बताया जाता है यह बात उद्धव को बिल्कुल रास नहीं आई है। इससे पहले भी गडकरी एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार को अपना सच्चा मित्र और पॉलिटिकल गुरु बता चुके हैं। इस तरह की पृष्ठभूमि के बीच गडकरी से राज की मुलाकात पर उद्धव का बिफरना स्वाभाविक है।
गडकरी ने सफाई दी है कि उन्होंने राज ठाकरे से यह आग्रह किया है कि उनकी पार्टी एमएनएस लोकसभा में अपने उम्मीदवार खड़े न करे। आगे विधानसभा में राज की पार्टी को महायुति में शामिल करने की गारंटी भी दी है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि गडकरी शायद लोकसभी चुनाव-बाद की खिचड़ी राजनीति की तैयारी कर रहे हैं। बीजेपी में अटल बिहारी वाजपेयी के सक्रिय राजनीति से हटने के बाद सर्वमान्य राष्ट्रीय नेता का स्लॉट खाली पड़ा है। गडकरी शायद इसमें फिट होने के प्रयास में हैं। राष्ट्रीय स्तर के अलावा, महाराष्ट्र में भी कभी बीजेपी को बाहरी समर्थन की जरूरत पड़ी तो पवार की एनसीपी और राज की एमएनएस काम आ सकती हैं। राज्य में विधानसभा की मियाद इसी साल अक्टूबर में खत्म हो रही है। राजनाथ सिंह से शिकायत की सूत्रों के अनुसार, उद्धव ठाकरे ने गडकरी की शिकायत बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह से की है। मोदी ने मुंबई रैली के दौरान दिवंगत शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे का नाम तक नहीं लिया था। राजनाथ ने बाकायदा पांच मिनट तक बालासाहेब को याद किया था। मोदी से राज ठाकरे की पुरानी दोस्ती रही है, यह बात भी शिवसेना को खटकती रही है। मोदी ने बालासाहेब के मुद्दे पर आज तक किसी तरह की सफाई देना तक जरूरी नहीं समझा है। एक काल था जब प्रमोद महाजन शिवसेना-बीजेपी के रिश्तों को संभाला करते थे। आजकल महाजन के बहनोई गोपीनाथ मुंडे इन पार्टियों के बीच फेविकाल के जोड़ का काम कर रहे हैं।

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