18-Mar-2014 10:30 AM
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कांग्रेस ने जब व्यापमं के घोटाले पर प्रदेश व्यापी आंदोलन छेड़ा था उस वक्त उम्मीद जगी थी कि व्यापमं का सच सामने आ जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। व्यापमं में बड़े लोगों को बचाने के लिए अब लीपापोती का खेल शुरू हो गया

है। कांगे्रस भी अपने अंतर्विरोधों में उलझ कर रह गई है। सुनने में आया है कि स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने तीन वर्ष पहले तक के प्री मेडिकल टेस्ट को भी जांच के दायरे में लिया है इससे प्रदेश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों मेंं पढ़ रहे करीब साढ़े चार हजार विद्यार्थी जांच के दायरे मेंं आ गयेे हैं लेकिन ये घोटाला जहां से शुरू हुुआ है वहां तक पहुंचने में एसटीएफ फिलहाल नाकामयाब है कई बड़े नाम हैं जो गिरफ्त से बाहर है और लगातार बचने मेंं कामयाब हैं। बात अकेले परीक्षाओं की नहीं है जिन 1 लाख 46 हजार भर्तियों में गड़बड़ी हुई है उनमें शामिल लोगों को बचाने की कोशिश क्यों की जा रही है।
एसटीएफ का कहना है कि पीएमटी की गड़बडिय़ों की जांच का दायरा 2009,2010 व 2011 तक बढ़ाने का कारण कुछ सबूत हैं जो इस ओर इशारा कर रहे हैं, क्योंकि व्यापमं के त्तकालीन प्रिंसिपल सिस्टम एनालिस्ट नितिन महेन्द्रा, अजय सेन व चंद्रकांत मिश्रा इन परीक्षाओं के दौरान भी मंडल में पदस्थ रहे हैं। इसके अतिरिक्त ड्रग इंस्पेक्टर, वन रक्षक और पीडब्ल्यूडी की विभागीय परीक्षाओं को भी जांच के दायरे में लाया गया है। पीएमटी 2012 और प्रीपीजी 2012 में आरोपियों से जप्त हुए 2 करोड़ 76 लाख रुपये एसटीएफ ने अदालत में जमा करवाये हैं इससे पता चलता है कि इस घोटाले में कितनी गहरी साजिश है। इस बीच पीएमटी 2012 में गड़बड़ी करके सरकारी और प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन लेने वाले 164 संदिग्ध विद्यार्थियों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी शुरू हो गई है। मुख्य सचिव एंटोनी डी सा ने व्यावसायिक परीक्षा मंडल व्यापमं को इन विद्यार्थियों की पात्रता निरस्त करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही कार्रवाई से पहले लॉ डिपार्टमेंंट से राय लेने की बात भी कही है, जिससे कार्रवाई के बाद कोई कोर्ट से राहत न पा सके। इन संदिग्ध विद्यार्थियों में से चालीस राजधानी के गांधी मेडिकल कॉलेज सहित चिरायु एवं एलएन मेडिकल कॉलेज में पढ़ रहे हैं पीएमटी में गड़बड़ी सामने आने के बाद एसटीएफ ने जनवरी के अंतिम सप्ताह में व्यापमं सहित चिकित्सा शिक्षा विभाग को संदिग्ध विद्यार्थियों की लिस्ट सौंप दी थी। लेकिन इन पर कार्रवाई का मामला व्यापमं तथा विभाग के बीच अटका हुआ था। सूत्रों के अनुसार व्यापमं पीएमटी 12 से जुड़े कुछ मामलों के हाईकोर्ट में होने की वजह से कानूनी उलझन के डर से कार्रवाई से हिचक रहा था। जबकि चिकित्सा शिक्षा विभाग ने कार्रवाई का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेज दिया था।
निलंबित डीआजी आरके शिवहरे पर स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने तीन हजार रुपये का इनाम घोषित कर दिया है। शिवहरे पर प्रीपीजी-2012 और सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा 2012 में पास कराने के लिए लेन-देन का आरोप है।
उधर एसटीएफ छोटी मछलियों को जाल में फंसाने में लगी हुई है व्यापमं के जरिए वर्ष 2012 व 2013 में हुई पुलिस सिपाही भर्ती परीक्षा में पैसे देकर भर्ती हुए चार आरोपियों को एसटीएफ ने गिरफ्तार किया है। चारों आरोपी (म.प्र.)पुलिस की अलग-अलग ईकाइयों में पदस्थ थे। एआईजी कमल मौर्य के मुताबिक पुलिस सिपाही भर्ती परीक्षा में पैसे देकर भर्ती हुए कुछ पुलिसकर्मियों के बारे में शिकायत मिली थी। जांच के दौरान नौ सिपाहियों द्वारा की गई गड़बड़ी सामने आ गई। एसटीएफ ने अलग-अलग प्रकरण दर्ज कर सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। वर्ष 2012 की परीक्षा में भिंड निवासी राधेश्याम यादव व मुरैना निवासी भूरा सिंह को आरोपी बनाया है। वहीं, 2013 में हुई गड़बड़ी के मामले में मुरैना निवासी वासुदेव त्यागी व आशीष शर्मा को गिरफ्तार किया गया है।
एक वक्त था जब मध्यप्रदेश पुलिस की टीमें प्रदेश के बाहर कैंप कर आरक्षकों की भर्ती करती थीं। नतीजा यह रहा कि बाहरी राज्यों के आरक्षकों का प्रतिशत प्रदेश पुलिस में ज्यादा बढ़ गया। जब प्रदेश में शिक्षा का प्रचार-प्रसार बढ़ा तो यहां के युवाओं को पुलिस भर्ती में प्राथमिकता देने के लिए 80 के दशक में प्रदेश के रोजगार कार्यालय में पंजीयन आवश्यक होने का नियम जोड़ा गया और फिर 1998 में दिग्विजय सिंह के शासनकाल में यह नियम जोड़ा गया कि पुलिस आरक्षक में भर्ती के लिए मध्यप्रदेश से 10वीं-12वीं पास होना जरूरी है। जब जुलाई 2012 से लगभग 15 हजार आरक्षकों की भर्ती का जिम्मा व्यावसायिक परीक्षा मंडल भोपाल के पास पहुंचा तो गैंग के दलालों के सामने यह समस्या खड़ी हो गई कि प्रदेश के बाहर के लोगों को कैसे नौकरी दिलवाई जाए। बाहरी राज्यों से पैसा भी ज्यादा मिलता था और किसी विवाद की स्थिति में मीडिया की नजरों में आने और पोल खुलने का डर भी कम था। इस समस्या का समाधान गैंग ऑफ व्यापमंपुर ने यह निकाला कि उपरोक्त दोनों नियम हटा दिए। नतीजा यह हुआ कि दलालों को एक की भर्ती के लिए 2-3 लाख के बजाए 6 से 10 लाख रुपए तक मिलने लगे। मतलब गैंग ऑफ व्यापमंपुर का भी हिस्सा बढ़ गया। गैंग ऑफ व्यापमंपुर ने रोजगार कार्यालय में पंजीयन आवश्यक होने का नियम हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के 17 साल पुराने उस फैसले की आड़ ली जो यूपीएससी की परीक्षाओं के संबंध में था और मध्यप्रदेश से 10वीं, 12वीं पास होने के नियम को हटाने के लिए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के 7 साल पुराने उस फैसले की आड़ ली जो संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं से संबंधित था। इतने से भी जी नहीं भरा तो तथाकथित कारणों (जाहिर है कुपोषण नहीं) का हवाला देकर फिजिकल टेस्ट के मानक शिथिल कर दिए गए। जैसे पहले 800 मीटर दौड़ दो मिनट 30 सेकेंड में पूरी करनी पड़ती थी अब 2 मिनट 50 सेकेंड में। दूसरे कुछ टेस्ट हटा ही दिए गए।
पूरे प्रदेश में कुल पौने दो लाख भर्तियां व्यापमं घोटाले के कारण संदिग्ध हो गईं हैं। जांच में हर दिन नया खुलासा हो रहा है, लेकिन सवाल वही है कि क्या जिन भर्तियों में रिश्वतखोरी हुई है उन्हें निरस्त करते हुए नए लोगों को मौका दिया जाएगा। अभी तक कम्प्यूटर से प्राप्त जानकारी के आधार पर जांच आगे बढ़ी हैं। कुछ बातें पूछताछ में भी पता चली हैं।
एसटीएफ ने प्रमुख अपराधियों का क्रास एग्जिामिनेशन किया है, लेकिन इस भ्रष्ट प्रक्रिया से लाभान्वित होने वाले विद्यार्थी और वे हजारों सर्विस करने वाले कब गिरफ्त में आएंगे जिन्होंने गलत रास्ता चुना। दूसरी तरफ सवाल यह भी है कि इस घोटाले की वजह से अपना हक पाने से वंचित रह गए व्यापमं पीडि़तोंÓ को सरकार क्या राहत देने वाली है। जब प्राकृतिक आपदाओं और दंगों से पीडि़त लोग राहत तथा आरक्षण पा सकते हैं तो व्यापमं घोटाले के चलते अपना हक गंवाने वाले लोग किसी विशेष प्रावधान के हकदार क्यों नहीं हो सकते।
संजीव सक्सेना को किसने बचाया
व्यावसायिक परीक्षा मंडल की दुग्ध संघ भर्ती परीक्षा में कांग्रेस नेता संजीव सक्सेना का एसटीएफ द्वारा कथित बचाव कई सवाल खड़े कर रहा है। एसटीएफ द्वारा प्रस्तुत चालान में सजीव सक्सेना का आरोपियों की सूची में कोई जिक्र ही नहीं है, जबकि सक्सेना पर एसटीएफ ने तीन हजार रूपये का इनाम भी घोषित किया है। उधर खनन कारोबारी सुधीर शर्मा से भी पूछताछ ही की गई है। ये सारी खानापूर्ति मामले की लीपापोती की तरफ इशारा कर रही है अदालत में जिन 14 आरोपियों के खिलाफ 295 पेज का चालान प्रस्तुत किया गया है उसमें पंकज त्रिवेदी, नितिन महेन्द्र, अजय सेन, चंद्रकांत मिश्रा, तरंग शर्मा, अखिलेश चतुर्वेदी, विवेक गोस्वामी, नरेन्द्र पटेल, हितेश शर्मा, रामहित उपाध्याय, राजेश रघुवंशी व शिल्पा गुप्ता को आरोपी बनाया गया है। ध्यान देने योग्य बात यह है कि एसटीएफ ने 22 नवम्बर 2013 को 19 लोगों को नामजद आरोपी बनाया था। अब चालान में यह लिखा गया है कि इस मामले में कोई फरार नहीं है। लेकिन संजीव सक्सेना दुग्धसंघ मामले में नामजद होने के बाद जमानत की अर्जी खारिज होने पर अभी तक एसटीएफ की गिरफ्त से बाहर हैं ऐसे में सही न्याय संभव ही नहीं है।
खनन कारोबारी शर्मा पर नजर
व्यापमं से जुड़े महाघोटाले में खनन करोबारी सुधीर शर्मा की भूमिका अब धीरे धीरे स्पष्ट होने लगी है। सुधीर ने जनवरी से अक्टूबर 2013 के बीच 24 बार संजीव सक्सेना और 52 बार पंकज त्रिवेदी से बातचीत की त्रिवेदी से उसकी बातचीत अक्टूबर 2012 से जुलाई 2013 के बीच हुई। इससे साफ है कि व्यापमं घोटाले से सुधीर शर्मा भी जुड़ा हुआ था सुधीर ने भी एस.टी.एफ को ये बताया है कि उसकी बातचीत होती थी अब जांच एजेन्सी वैज्ञानिक तरीके से सबूत एकत्रित कर रही है। उधर कांग्रेस नेता संजीव सक्सेना की संपत्ति की भी तलाश जारी है एस.टी.एफ संकेत दिया है लक्ष्मीकांत शर्मा से भी पूछताछ की जायेगी लेकिन सवाल वही है कि जिन वैज्ञानिक सबूतों के आधार पर संजीव शर्मा के खिलाफ कार्यवाही करने की कोशिश की जारी है उन्हीं सबूतों के आधार पर बड़े लोगों की वैज्ञानिक जांच क्यों नहीं हो सकती।