18-Mar-2014 09:51 AM
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तमिलनाडू में राजनीतिक तस्वीर थोड़ी उलझ सी गई है भारतीय जनता पार्टी को कुछ छोटे दलों का साथ मिला है लेकिन डी.एम.के. और अन्नाद्रमुक के बीच ही मुख्य मुकाबला है और इसमें जयललिता के नेतृत्व वाली अन्नाद्रमुक आगे

निकलते दिखाई दे रही है। करूणानिधि के बड़े पुत्र अलागिरि का टिकिट उनके पिता ने काट दिया है। अलागिरि पार्टी की कमान अपने छोटे भाई स्टालिन को दिये जाने के खिलाफ थे इसीलिए उन्होंने स्टालिन के खिलाफ अभियान भी चला रखा था। अब बतौर सजा अलागिरि को उनके संसदीय क्षेत्र के टिकिट से वंचित कर दिया है।
अलागिरि के पूछने पर करूणानिधि जबाब देते हैं कि पुत्र के बारे में बातचीत से उनका दिल दुखता है वहरहाल डीएमके ने जिस तरह अपने टिकिट वितरित किए हैं उसके चलते डीएमके से तालमेल भाजपा के लिए परेशानी भरा हो सकता है जैसे टू.जी.घोटले में शामिल ए राजा औरा दयानिधि मारन दोनों को टिकिट दिया गया डीएमके ने अपने घोषणा पत्र में कुछ ऐसे मुद्दे भी रखे हैं जो अन्य दलों को परेशानी में डाल सकते हैं इन्हीें में से एक है सेतु समुद्रम परियोजना का मुद्दा जिसे लेकर भाजपा आन्दोलन भी कर चुकी है। वहीं श्रीलंका के तमिलों का मुद्दा कांग्रेस के लिए परेशानी भरा हो सकता है। शायद इसी वजह से कांग्रेस से डीएम के का तालमेल नाकाम रहा है। डीएमके ने वित्तमंत्री पी.चिदम्बरम के संसदीय क्षेत्र सिवगंगा से प्रत्याशी खड़ा करके आरपार की लड़ाई का संकेत दिया है। बहरहाल करूणानिधि संभवत: अपने जीते जी पार्टी में चल रही उथल पुथल को संभाल नहीं पाएंगे। 89 वर्षीय करूणानिधि सक्रिय राजनीति से दूर होना चाह रहे थे लेकिन उनके परिवार में सत्ता को लेकर जारी संघर्ष के कारण अब ऐसा लग रहा है कि करूणानिधि को राजनीति करते ही रहना पड़ेगा। उनके बड़े सुपुत्र अलागिरि ने चुनाव बाद अलग पार्टी बनाने की घोषणा कर दी है। अपने चुनावी क्षेत्र मदुरै से वे निर्दलीय खडे हो सकते हैं लेकिन अभी कोई पक्का संकेत नहीं मिला है यदि मधुरय से आलागिरि चुनावी मैदान में आयेंगे तो आसपास की 6-7 संसदीय सीटों पर डीएमके की हालत खराब हो सकती है डीएमके के खेमे में चल रही उठापटक ने जयललिता को खुश होने का मौका दिया है मदुरै सहित आसपास के जिलों में अन्नाद्रमुक को कड़ी चुनौति मिला करती थी लेकिन वह चुनौति समाप्त हो गई है।