18-Mar-2014 09:48 AM
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तमिलनाडू की मुख्यमंत्री जे जयललिता और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की नजदीकियां सियासी माहौल में भूचाल पैदा कर दिया है। तीवसे मोर्चे का सपना देख रहे स्वप्नदर्शकों को इन दोनों स्त्री शक्तियों की निकटत ने बेहाल

कर दिया है। तीसरे मोर्चे की इमारत को मजबूत आधार देने में सक्षम ये दोनों ताकतवर महिलायें यदि एक हो जाएं तो दोनों अगला प्रधानमंत्री तय करने का दमखम रखती हैं यह बात भला कौन नहीं जानता और यदि इसमें मायावती का तालमेल हो जाए तो फिर कहना ही क्या है। लेकिन मायावती फिलहाल इतनी उत्साहित नहीं हैं, तो भी यह कहा जा सकता है कि भविष्य की राजनीति में माया,ममता और जया का तालमेल राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक छोड़ेगा। लेकिन यह तभी संभव है जब तीसरे मोर्चे में दरारें पडें़ और इन दरारों में से नई संभावनाओं के अंकुर फूटें। इसलिए जब हाल ही में 11 क्षेत्रिय दलों के एकत्रीकरण के समय वामदलों द्वारा यह कहा गया कि तीसरे मोर्चे को जया ललिता का आशीर्वाद प्राप्त है तो सहसा किसी को विश्वास नहीं हुआ बाद में जया ललिता और वामदलों के बीच सीटों के तालमेल को लेकर भी वाद विवाद हुआ यह वादविवाद इतना बढ़ा कि जो गठबंधन कुछ समय पूर्व हुआ था वह टूटने लगा इस बीच ममता बनर्जी ने कहा कि वे जयाललिता को प्रधानमंत्री देखकर खुश होंगी इसके बाद जयाललिता ने ममता बनर्जी को फोन भी किया ममता की सूची में मायावती का नाम भी प्रधानमंत्री के रूप में सर्वोपरि है इसीलिए ममता,माया और जया की त्रिमूर्ति चुनाव बाद काफी ताकतवर बनकर उभर सकती है। चुुनाव से पहले तीसरे मोर्चे में दरारें अंतत: भाजपा और कांग्रेस को ही फायदा पहुंचाएगीं इसी कारण जया और ममता की नजदीकी से भाजपा को एक तरह से फायदा ही हुआ है वैसे भी जयललिता वामपंथियों से खुश नहीं हैं और मोदी उनकी पहली पसंद बनते जा रहे हैं ऐसे में चुनाव पूर्व कुछ अहम त्रिकोण देखने को मिल सकते हैं।
खिलाडिय़ों, सितारों के सहारे ममता
आगामी लोकसभा चुनावों के बाद केन्द्र में सरकार के गठन में अहम भूमिका निभाने के मंसूबे पाल रहीं मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख- ममता बनर्जी को अबकी खिलाडिय़ों और सितारों के सहारे अपनी किस्मत चमकने की उम्मीद है। यही वजह है कि उम्मीदवारों की सूची में उन्होंने इन दोनों तबके के लोगों को प्राथमिकता दी है। पिछली बार चुनाव जीते ज्यादातर लोगों को टिकट दिये गये हैं। पिछले आम चुनाव (2009) में कांग्रेस के साथ तालमेल की वजह से पार्टी ने 27 उम्मीदवार खड़े किये थे। लेकिन इस बार उसने सभी 42 सीटों पर उम्मीदवारों के नामों का एलान कर दिया है। अपने गठन के बाद से तृणमूल कांग्रेस पहली बार बिना किसी दूसरे राजनीतिक दल के साथ गठबंधन के अकेले अपने बूते मैदान में उतरी है।
एक राष्ट्रीय पार्टी के तौर पर अपनी छवि बनाने की कवायद के तहत ममता ने पड़ोसी झारखंड की दो सीटों-रांटी और लोहरदगा के अलावा पूर्वोत्तर राज्यों मणिपुर और त्रिपुरा की सभी दो-दो सीटों पर भी अपने उम्मीदवार उतारे हैं। सूची जारी करते हुये तृणमूल प्रमुख ने दावा किया कि उन्होंने महिलाओं, अनुसूचित जाति व जनजाति और अल्पसंख्यकों समेत सभी तबके के लोगों को प्रतिनिधित्व दिया है। उनकी सूची में 11 महिलाएं हैं। गुजरे जमाने की अभिनेत्री मुनमुन सेन, बांकुड़ा संसदीय सीट से अपनी किस्मत आजमाएगी जबकि कभी भारतीय फुटबाल टीम की कमान संभालने वाले बाइचुंग भूटिया, दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र में मोर्चा संभालेंगे। वाममोर्चा की सहयोगी आरएसपी से नाता तोड़ कर तृणमूल में आने वाले पूर्व मंत्री दशरथ तिर्के को उत्तर बंगाल के आदिवासी बहुल अलीपुरदुआर सीट पर टिकिट मिला है। पार्टी ने कई नए चेहरों को भी मैदान में उतारा है इनमें ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी भी शामिल हैं।
अन्ना ने दिया झटका
ममता बनर्जी को दिल्ली में तगड़ा झटका उस वक्त लगा जब रामलीला मैदान में आयोजित एक सभा के दौरान भीड़ कम देखकर अन्ना हजारे ने आने से इनकार कर दिया और ममता बनर्जी को अकेले ही लगभग 500 लोगों की सभा को सम्बोधित करना पड़ा दिल्ली से बाहर इतनी दयनीय स्थिति में ममता इससे पहले कभी नहीं देखी गईं। उनके चेहरे से लग रहा था कि अन्ना हजारे द्वारा धोखा दिये जाने से वे बेहद व्यथित हैं। ममता ने अन्ना के इस रूख पर कोई टिप्पणी तो नहीं कि लेकिन इससे साफ जाहिर हो गया कि देश में अन्ना हजारे का करिश्मा खत्म हो चुका है और ममता हजारे के बदौलत देश की राजनीति में अपना मुकाम बनाने का जो सपना देख रहीं थी वह सपना ध्वस्त हो चुका है। ममता को इस रैली ने आईना दिखा दिया। पश्चिम बंगाल में तो छोटी मोटी रैली में लाखों लोग आ जाते हैं लेकिन दिल्ली की तासीर थोड़ी अलग है। बहरहाल दिल्ली में जब ममता बनर्जी ने यह घोषणा की कि त्रणमूल कांग्रेस भाजपा और कांग्रेस के बाद तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है तो कुछ लोगों थोड़ी हंसी भी आई।