16-Feb-2013 11:35 AM
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असम की चुनावी हिंसा भयावह हो उठी है। लगभग 19 लोग मारे जा चुके हैं और मौतों का यह सिलसिला बदस्तूर जारी है। पुलिस ने विरोध कर रहे जनजातीय समुदाय पर फायरिंग कर दी थी जिसके बाद वहां 13 लोगों की मृत्यु हो गई। जनजातीय समुदाय चुनावों का विरोध कर रहा है। इसके बाद हिंसा भड़क उठी और समुदायों के बीच खूनी संघर्ष में छह लोगों की जानें ले ली। अभी भी कफ्र्यू के बावजूद रात में गोली चलने की घटनाएं सुनाई दे रही है। सेना बुला ली गई है पर हालात भीतर ही भीतर सुलग रहे हैं। हिंसा का क्षेत्र गोपाल पाड़ा जिला है जहां विभिन्न समुदाय आपस में लड़ाई कर रहे हैं। दरअसल स्थानीय जनजातीय समुदाय से संबद्ध कुछ लीडरों ने स्थानीय पंचायत चुनाव का विरोध किया था। वे वोटरों को भी बूथ तक जाने से रोक रहे थे। इसी दौरान झड़पों में हिंसा भड़क उठी और लगभग 400 पुरुषों और महिलाओं की भीड़ ने धूपधौरा थाने के अंतर्गत कहीबारी नामक ग्रामीण क्षेत्र में मतदान के दौरान एक स्कूल पर हमला कर दिया। यह लोग हाथ में छड़े, कुल्हाड़ी, लाठियां लिए
हुए थे। पुलिस ने पहले तो लाठी चार्ज किया लेकिन हालात संभले नहीं तो गोली चलानी पड़ी जिसमें दो पुरुष और एक महिला की मौके पर ही मृत्यु हो गई। इस फायरिंग की खबर ने आसपास के क्षेत्रों के लोगों को भी उत्तेजित कर दिया और पालसर, कचुअला, सिलोपाथर जैसे क्षेत्रों में लोग घर से बाहर निकलकर हिंसा पर उतारू हो गए। फलस्वरूप यहां भी पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी। जिसके चलते लगभग 10 जानें गई। गोलापाड़ा में चुनावी हिंसा आम बात है। यहां पर राभा हासंग स्वायत्त जिला परिषद क्षेत्रों में पंचायत चुनाव का सदैव विरोध किया जाता है और मतदान कर्मियों पर हमले होना आम बात है। इसी कारण सरकार चाहकर भी यहां हिंसा नहीं रोक पाती।
उधर हिंसा पर उतारू समुदाय को मनाने के लिए पुलिस और प्रशासन कई बार बैठके भी कर चुका है पर उसका कोई नतीजा नहीं निकला है। कामरू जिले के ग्रामीण क्षेत्र में भी यही हाल है। वहां भी हिंसा तथा आगजनी की घटनाएं सुनाई पड़ रही हैं। असम में हिंसा का यह दूसरा दौर है इससे पहले अगस्त माह में स्थानीय जनजातीय निवासियों और मुसलमानों के बीच छिड़ी हिंसा के कारण कई लोग मारे गए थे तथा लगभग 5 लाख लोगों को अपना घर छोडऩा पड़ा था। यह हिंसा भी कोकराझार, चिरांग और धुबरी जिले में भड़की थी, लेकिन इस बार इसने कामरूप जिले को भी अपनी चपेट में ले लिया है। विपक्ष का कहना है कि सरकार विभिन्न समुदायों के बीच आपसी तालमेल स्थापित करने में नाकाम रही है इसी कारण हर समय हिंसा भड़कती रहती है। इस घटना को लेकर विपक्ष ने मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग भी की है। वहीं सरकार ने हिंसा भड़काने के लिए राजनीतिक दलों को जिम्मेदार ठहराया है। असम में उग्रवाद भी चरमसीमा पर है। वोडो उग्रवादी राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों में हिंसा का तांडव मचाते रहते हैं। चाय बागानों में चाय मालिकों की हत्या से लेकर फिरौती वसूलने और आगजनी की घटनाएं आम हैं।