राज के आंदोलन का राज क्या?
15-Feb-2014 11:08 AM 1235015

महाराष्ट्र में राज ठाकरे ने अचानक अपना आंदोलन वापस ले लिया। वजह बताई गई कि सरकार ने आश्वासन दिया है कि वह बातचीत करेगी। राज ठाकरे गिरफ्तार होकर रिहा भी हो गए। उनके कार्यकर्ताओं ने महाराष्ट्र के कई शहरों में जीवन रोक दिया। महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई की गतिविधियां ठप सी पड़ गईं, लेकिन पुलिस ने कोई विशेष कार्रवाई नहीं की। सब कुछ सुनियोजित तरीके से हुआ। पटकथा पहले ही लिखी जा चुकी थी। कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव की दृष्टि से राज्य में नई कूटनीतिक चालें चल रही हैं। दोनों को पता है कि महाराष्ट्र की 48 में से 20 सीटें भी मिल जाएं तो बहुत बड़ी बात होगी। इसीलिए राज ठाकरे के आंदोलन से जानबूझकर मुंह मोड़ा गया। पुलिस राज ठाकरे की गिरफ्तारी से बचती रही। 12 फरवरी को कुछ देर के लिए राज ठाकरे को गिरफ्तार किया गया और तुरंत ही रिहा कर दिया गया। शिवसेना इस नौटंकी को नजदीक से देख रही थी बाद में शिवसेना के मुखपत्र सामना में राज ठाकरे पर हमला बोलते हुए लिखा गया कि चुनाव से पहले राजनीतिक जमीन मजबूत करने के लिए एमएनएस ने यह नाटक रचा। महाराष्ट्र में टोल टैक्स एक ऐसा मुद्दा है जिस पर उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे दोनों की पार्टियां राजनीति करना चाहती हैं, लेकिन राज ठाकरे ज्यादा आक्रामक हैं और कांग्रेस तथा राकांपा के लिए यह फायदे का सौदा भी है। क्योंकि आगामी चुनाव में शिवसेना, एमएनएस और भाजपा की संयुक्त ताकत राकांपा तथा कांग्रेस गठबंधन के लिए भारी भी पड़ सकती है।  महाराष्ट्र में शिवसेना का जबर्दस्त प्रभाव है और हाल ही के दिनों में कांग्रेस द्वारा चलाई जा रही गठबंधन सरकार के प्रति जनता के मन में जो रोष है उसका फायदा मिलने की पूरी उम्मीद है, लेकिन यह फायदा तभी मिल सकता है जब भाजपा, एमएनएस और शिवसेना एक ही बैनर के तले चुनाव लड़ें। शिवसेना और भाजपा का गठबंधन बहुत पुराना है, लेकिन राज ठाकरे द्वारा अलग दल गठित कर लेने से यह गठबंधन कमजोर हुआ है।
राज ठाकरे बाल ठाकरे की तरह आक्रामक राजनीतिज्ञ हैं, उद्धव ठाकरे में वह बात नहीं है। राज ठाकरे की आक्रामकता का फायदा चुनाव के समय मिल सकता है, लेकिन राज के साथ किसी भी प्रकार का गठबंधन संभव नहीं है क्योंकि वे मोदी की भी आलोचना करते रहे हैं। इस बीच शिवसेना ने साफ किया है कि राजठाकरे की सुर्खियों में आने की किसी भी कोशिश का वह समर्थन नहीं करेगी। महाराष्ट्र में टोल टैक्स सदैव ही एक बड़ा विवाद खड़ा करते रहे हैं। सरकार टोल टैक्स पर लगाम लगाने में असमर्थ है। एमएनएस का कहना है कि टोल टैक्स में पारदर्शिता आनी चाहिए। ताकि कम बजट के लोगों के साथ कोई धोखाधड़ी न हो। महाराष्ट्र में चार पहिया धारकों की संख्या अन्य राज्यों की अपेक्षा अधिक है। इसी कारण जब यह आंदोलन प्रारंभ हुआ तो राज ठाकरे के साथ बहुत सारे लोग जुड़ गए। हालत इतनी खराब थी कि पुलिस को 7 फरवरी से 21 फरवरी के बीच निषेधाग्ज्ञा जारी करनी पड़ी। हालांकि राज इस बात को बेबुनियाद बताते हैं कि उन्होंने टोल वसूलने के विरोध में किए जा रहे आंदोलन पर सरकार से कोई सौदेबाजी की है। राज का कहना है कि प्रदेश में लोग परेशान हैं और इसलिए वे बड़ी संख्या में इस आंदोलन से जुड़ रहे है।

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