15-Feb-2014 11:06 AM
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यह एक संयोग ही है कि अगस्ता वेस्टलैंड रिश्वत कांड में कथित रूप से भारत के एक प्रतिष्ठित राजनीतिक परिवार की ओर इशारा किया गया तो अचानक कारवां नामक पत्रिका ने हरियाणा की जेल में बंद असीमानंद से साक्षात्कार के बाद

दावा किया कि समझौता एक्सप्रेस से लेकर मक्का मस्जिद विस्फोट तक तमाम धमाकों के लिए कथित रूप से संघ परिवार के वर्तमान प्रमुख मोहन भागवत ने हरी झंडी दिखाई थी।
जनवरी माह में भारत ने 36 सौ करोड़ रुपए के अगस्ता वेस्टलैंड के सौदे को रद्द कर दिया। जिसके तहत भारतीय वायुसेना को 12 वीवीआईपी हेलीकाप्टर सप्लाई किए जाने थे। आरोप लगाया गया कि इस सौदे में कथित रूप से 362 करोड़ रुपए की दलाली दी गई। जिसके लाभान्वितों में भारत का एक राजनीतिक परिवार भी शामिल था। अगस्ता वेस्टलैंड की मूल फर्म फिनमेकेनिका इतालवी मूल की है इसीलिए आमतौर पर यह कहा जाता है कि इस सौदे से लाभान्वित परिवार गांधी परिवार है पर क्या वास्तव में ऐसा है? अभी तक कोई भी सबूत गांधी परिवार के खिलाफ नहीं मिला है इसलिए जानकार इसे चुनावी शिगूफा भी मान रहे हैं। भाजपा ने जब अगस्ता सौदे में लाभान्वित परिवार की जांच करने की बात कही तभी से इस विवाद को केंद्र में रखकर राजनीति की जा रही है। राज्यसभा में भी यह सवाल उठा था और तब बोफोर्स का जिक्र भी आया था। लेकिन उसके बाद अचानक कुछ समय के लिए यह तूफान थम गया क्योंकि चुनावी माहौल के कारण इस तरह की बातों पर ज्यादा गौर नहीं किया जाता। ऐसे विवाद एकाध सप्ताह तक चलकर सुर्खियों से गायब हो जाते हैं। अब भारत में समझौता एक्सप्रेस सहित मुस्लिम समुदाय के विरुद्ध किए गए तमाम धमाकों की बात उभरकर सामने आई है तो भाजपा ने अगस्ता वेस्टलैंड का मुद्दा फिर जीवित करने की कोशिश की है। भाजपा के प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि असीमानंद के इस कथित इंंटरव्यू की बात उस समय सामने आई है जब अगस्ता वेस्टलैंड रिश्वतकांड में एक परिवार को रिश्वत दिए जाने और राहुल गांधी द्वारा मुजफ्फरनगर के दंगा पीडि़त युवकों से आईएसआई के संपर्क साधने संबंधी झूठे बयान का पर्दाफाश हो गया। क्या सचमुच ऐसा है।
जेल में आमतौर पर किसी भी पत्रिका या न्यूज चैनल के लिए कैदियों का इंटरव्यू नहीं मिल सकता। विशेष परिस्थितियों में ही ऐसा संभव है और इसके लिए लंबी कानूनी प्रक्रिया तथा जेल मेन्युअल का पालन करना पड़ता है। जिसमें कोई टेप रिकार्डर या कैमरा साथ न ले जाने का नियम भी शामिल है। कारवां पत्रिका ने दो साल में असीमानंद से चार बार साक्षात्कार किया। क्या यह साक्षात्कार जेल के नियमों के अनुरूप किया गया। यह बड़ा प्रश्न है क्योंकि असीमानंद का इंटरव्यू उस समय सामने आया है जब लोकसभा चुनाव सामने हैं और उधर अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकाप्टर सौदे में भी नए-नए खुलासे हो रहे हैं। दिल्ली प्रेस की राजनीतिक पत्रिका कारवां का पुनप्र्रकाशन 2010 में शुरू हुआ। उससे पहले यह लगभग 22 वर्षों तक प्रकाशित नहीं हुई। इसीलिए दिल्ली प्रेस की यह पत्रिका अपना आधार बनाने की कोशिश कर रही है और असीमानंद का कथित साक्षात्कार इसमें मददगार भी साबित हो सकता है। क्या मुस्लिमों को निशाना बनाकर किए गए मालेगांव और समझौता ब्लास्ट के बारे में संघ प्रमुख मोहन भागवत को मालूम था? मैगजीन ने इस मामले में आरोपी असीमानंद के इंटरव्यू का हवाला देते हुए दावा किया है कि मोहन भागवत को धमाकों की जानकारी थी और उसे बाकायदा उनका आशीर्वाद हासिल था। उधर, मैगजीन के इन आरोपों पर असीमानंद के वकील ने कहा कि ऐसा कोई इंटरव्यू नहीं लिया गया है। संघ ने भी असीमानंद से बातचीत के टेप्स को फर्जी करार दिया है। मैगजीन ने अपनी कवर स्टोरी में दावा किया है कि उसने दो साल के दौरान असीमानंद से चार बार बातचीत की।
मैगजीन ने असीमानंद से बातचीत के टेप्स भी जारी किए हैं। इस बातचीत के आधार पर मैगजीन ने दावा किया है कि जुलाई 2005 में असीमानंद और सुनील जोशी सूरत में संघ नेताओं मोहन भागवत और इंद्रेश कुमार से मिले थे। तब मोहन भागवत संघ प्रमुख नहीं थे। मैगजीन के मुताबिक जोशी ने भागवत को देशभर में मुस्लिमों को निशाना बनाकर ब्लास्ट का प्लान बताया था। असीमानंद के मुताबिक दोनों संघ नेताओं ने इसकी मंजूरी दी। भागवत ने कहा था, तुम यह कर सकते हो। हम इसमें शामिल नहीं होंगे। लेकिन अगर तुम यह कर रहे हो तो हमें अपने साथ ही समझो। मैगजीन ने प्रेस रिलीज के साथ दो टेप भी जारी किए। एक टेप को 10 जनवरी 2014 को हरियाणा की अंबाला सेंट्रल जेल में रेकॉर्ड किया गया असीमानंद का इंटरव्यू बताया गया है। इसमें असीमानंद और मैगजीन की पत्रकार लीना गीता रघुनाथन की बातचीत है। यह बातचीत इस तरह से है... असीमानंद, मोहन भागवत, इंद्रेश और सुनील, वे सभी मुझसे मिलने शाबरी धाम (गुजरात) आए थे। सुनील ने भागवतजी से कहा: थोड़ा हिंदू का आक्रमण होना है। संघ से जुड़े हुए लोग हैं जो ये विचार रखते हैं। जो भी होगा हम तक ही रहेगा। संघ से इनको जोड़ेंगे भी नहीं। आप से कोई मदद नहीं लेंगे। आप अधिकारी हैं इसलिए आपको बता रहे हैं कि हम लोग सोच रहे हैं।
तब मोहनजी और इंद्रेश दोनों ने कहा: यह बहुत अच्छा है। जरूरी है। संघ से नहीं जोडऩा। संघ नहीं करेंगे... हिंदुत्व के लिए भी ऐसा कोई है। संघ का यह विचार नहीं है। तब मुझसे कहा: स्वामीजी आप ये करेंगे तो हम निश्चिंत होंगे। कोई गलत नहीं होगा। अपराध नहीं होगा। आप करेंगे तो क्राइम करने के लिए कर रहे हैं ऐसा नहीं लगेगा। विचारधारा के साथ जुड़ा लगेगा। बहुत जरूरी है यह हिंदू के लिए। आप लोग करो। आशीर्वाद है। इससे आगे कुछ भी नहीं। गौरतलब है कि साल 2007 में हरियाणा के पानीपत के पास समझौता ट्रेन में ब्लास्ट हुआ था।। ब्लास्ट में कुल 68 लोगों की मौत हुई थी। नेशनल इन्वेस्टिगेटिव एजेंसी ने समझौता ब्लास्ट के मामले में असीमानंद, लोकेश शर्मा, राजेंद्र पहलवान, कमल चौहान को आरोपी बनाया था। असीमानंद पर ब्लास्ट करवाने में मदद देने का आरोप है जबकि राजेंद्र पहलवान, लोकेश शर्मा और कमल चौहान पर रेल में बम लगाने का आरोप था। इससे पहले एनआईए ने 20 जून 2011 को स्वामी असीमानंद समेत अन्य के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी।