आर्थिक आधार पर आरक्षण क्यों न हो
15-Feb-2014 11:03 AM 1234863

आरक्षण का मुद्दा फिर सामने है इस बार यह कांग्रेस के नेता जनार्दन रेड्डी के मार्फत चर्चा में आया है। जनार्दन रेड्डी ने उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मांग की थी कि जातिगत आरक्षण बंद होना चाहिए और आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लिए आरक्षण लाने की व्यवस्था की जानी चाहिए। इस संबंध में उन्होंने कुछ तर्क भी प्रस्तुत किए। उनका कहना था कि जो जातियों की बेड़ी तोड़ेगा वही भविष्य का नेता होगा। देखा जाए तो दिल्ली के चुनाव में आम आदमी पार्टी की जीत के बाद से ही जाति और समुदाय की राजनीति के खिलाफ राजनीतिक दलों की लामबंदी शुरू हो गई है। उन्हें लग रहा है कि जनता अब जातिगत राजनीति से ऊपर उठना चाहती है, लेकिन जनार्दन द्विवेदी यह भूल गए कि जिस आम आदमी पार्टी ने जाति से ऊपर उठकर योग्य प्रत्याशियों के चयन की बात सामने रखी थी वही आम आदमी पार्टी दिल्ली में खाप पंचायतों की तरफदारी कर चुकी है। लिहाजा जनार्दन द्विवेदी का यह शिगूफा कांगे्रस में बिल्कुल पसंद नहीं किया गया। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने खुद सफाई दी कि अनुसूचित जाति-जनजाति और ओबीसी वर्ग को आरक्षण देना जारी रहेगा। मौजूदा आरक्षण व्यवस्था में किसी तरह के बदलाव की कोई संभावना नहीं है। सोनिया के इस कथन के साथ ही एक महत्वपूर्ण और अनिवार्य विचार वहीं पर दफन हो गया जहां से यह पैदा हुआ था।
जातिगत आरक्षण को लेकर राजनीतिक दलों के आग्रह बड़े पक्के हैं। कोई भी राजनीतिक दल इतना हिम्मतवाला नहीं है कि बिल्ली के गले में घंटी बांध सके। देखा जाए तो मौजूदा आरक्षण नीति अपने उद्देश्य में विफल रही है। आरक्षण का मकसद सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से पिछड़े समुदायों को देश की मुख्यधारा में लाते हुए विकसित करना था, लेकिन इसका उल्टा हुआ, जिन परिवारों ने पहले-पहल आरक्षण का लाभ उठा लिया वे पीढ़ी दर पीढ़ी आरक्षण का फायदा उठाते रहे और उन्हीं समुदायों के गरीब, लाचार लोग बेरोजगारी तथा गरीबी को अपना दुर्भाग्य समझकर आज तक ढो रहे हैं। ये लोग अभी भी आरक्षण के लाभों से वंचित हैं। मौजूदा परिस्थिति में शायद राजनीतिक दलों के लिए आरक्षण की वर्तमान व्यवस्था समाप्त करना संभव न हो, किंतु इतना तो किया ही जा सकता है कि जिन परिवारों ने आरक्षण का लाभ लेते हुए सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से ताकत प्राप्त कर ली है उन्हें आरक्षण से अलग कर अब आरक्षण का लाभ उन लोगों को दिया जाए जिन्हें पीढ़ी दर पीढ़ी वही गरीबी और घुटन तथा अपमान की जिंदगी जीना पड़ रही है। मौजूदा परिवेश में आरक्षण को युक्ति संगत बनाने की आवश्यकता है, लेकिन बर्र के छत्ते में कोई हाथ नहीं डालना चाहता। इसीलिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने  सफाई कि अनुसूचित जाति, जनजाति और ओबीसी वर्ग को आरक्षण देने की व्यवस्था अवश्य जारी रहनी चाहिए। सदियों से चले आ रहे दमन और जुल्म की वजह से इन वर्गों के साथ हो रहे भेदभाव को खत्म करने के लिए यह व्यवस्था बेहद जरूरी है।
वहीं सरकार ने भी राज्यसभा में कहा है कि आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था जारी रहेगी। इसके खत्म होने का सवाल नहीं है। सोनिया के अलावा पार्टी के अंदर भी द्विवेदी के बयानों का विरोध शुरू हो गया। अजित जोगी और पी एल पुनिया जैसे आदिवासी दलित नेताओं ने द्विवेदी के बयान का खुलकर विरोध किया। जाति आधारित आरक्षण को खत्म करने के द्विवेदी के बयान को लेकर कांग्रेस अलग-थलग पड़ी दिखी। समूचे विपक्ष ने द्विवेदी के इस बयान को कांग्रेस की सोच बताया। कई पार्टियों ने कांग्रेस को दलित विरोधी बताया। ऐसे में पार्टी और सरकार दोनों को सफाई देने की जरूरत पड़ गई। खुद सोनिया ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने ही 1950 में सरकारी नौकरियों और शैक्षिक संस्थानों में आरक्षण की प्रणाली को लागू किया था। साथ ही अन्य पिछड़े वर्ग के लिए भी आरक्षण के दरवाजे कांग्रेस ने ही खोले थे। पार्टी ने निजी क्षेत्र में आरक्षण को लागू करने की वकालत की। सोनिया ने कहा कि आरक्षण की प्रणाली पर कांग्रेस के रुख को लेकर किसी तरह का संदेह या फिर अस्पष्टता का सवाल ही नहीं है। इस प्रणाली को पार्टी ने लागू किया था। वह ही इसे और मजबूत करेगी और दलित वर्ग भी कांग्रेस को मजबूत करेगा। सोनिया से पहले पार्टी ने भी आधिकारिक मंच से कहा कि देश की संवैधानिक परिस्थितियों में आर्थिक आरक्षण संभव नहीं है।
मायावती ने कहा कि एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने आरक्षण पर बयान दिया है। यह किसी व्यक्ति विशेष की राय नहीं हो सकती बल्कि पार्टी का रुख है। हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं। उधर, समाजवादी पार्टी ने कहा कि यह आरक्षण विरोधी सोच की उपज है। कांग्रेस को इसके लिए माफी मांगनी चाहिए। राज्यसभा में तो बसपा सांसदों ने द्विवेदी के बयान पर नारेबाजी भी की। बसपा सांसदों का कहना था कि ऐसी दलित विरोधी सरकार को रहने का कोई अधिकार नहीं है। उधर, दलित नेता और लोक जनशक्ति पार्टी प्रमुख रामविलास पासवान ने कहा कि कांग्रेस नेता की टिप्पणी संविधान की भावना के खिलाफ है। इस तरह के बयान से केवल विपक्ष ही मजबूत होगा।

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