अमित शाह को कौन फंसाना चाहता हैं?
15-Feb-2014 10:33 AM 1234844

जबसे सीबीआई प्रमुख रंजीत सिन्हा ने यह बयान दिया है कि इशरत जहां के फर्जी एनकाउंटर मामले की चार्जशीट में यदि अमित शाह का नाम होता तो यूपीए सरकार खुश होती, तब से यह सवाल उठाया जा रहा है कि क्या वाकई में सीबीआई केंद्र सरकार की कठपुतली है। सीबीआई को कांग्रेस ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन भी कहा जाता है। रंजीत सिन्हा ने एक अखबार को कहा था कि राजनीतिक उम्मीदें रहती हैं। यदि अमित शाह को आरोपी बनाया गया होता तो यूपीए सरकार बहुत खुश रहती। किंतु सीबीआई ने सबूतों पर यकीन किया। जिसके आधार शाह के खिलाफ मुकदमा नहीं चल सका। सिन्हा ने बाद में इस बयान का खंडन करते हुए सफाई दी कि शाह का नाम लेने का केंद्र की ओर से कोई दबाव नहीं था, लेकिन इसके बाद से इशरत जहां एनकाउंटर को लेकर सवाल खड़े होना तय है।
सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि इशरत जहां एनकाउंटर का मामला इतना लंबा क्यों खींचा जा रहा है। प्याज के छिलकों की तरह इस प्रकरण की खाल पर खाल उतारी जा रही है। कई अधिकारियों के खिलाफ जांच चल रही है। यहां तक कि आईबी के अधिकारियों को भी लपेटे में लिया गया है, लेकिन सच क्या है यह किसी को नहीं पता। भारत के एटार्नी जनरल जीई वाहनवती का कहना है कि जब तक सरकार की अनुमति न मिले तब तक इंटेलीजेंस ब्यूरो के सेवानिवृत्त अधिकारियों के खिलाफ इशरत जहां मामले में चार्जशीट नहीं की जा सकती। सीबीआई ने अपनी सप्लीमेंट्री चार्जशीट में गुजरात के पूर्व आईबी प्रमुख राजेंद्र कुमार और उनके साथ के तीन अधिकारी पी. मित्तल, एमके सिन्हा तथा राजीव वानखेड़े को 2004 के इशरत जहां एनकाउंटर में आरोपी बनाया है। वर्ष 2004 में इशरत जहां और उसके तीन साथियों का उस समय एनकाउंटर हो गया था जब वे कथित रूप से गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का कत्ल करने जा रहे थे। एनकाउंटर हुआ या कराया गया यह अभी तक पता नहीं है, लेकिन अधिकारियों की गिरफ्तारी और उन पर आरोप लगाने का सिलसिला पिछले 10 साल से चल ही रहा है।
सीबीआई ने जो 200 पृष्ठ की ताजा रिपोर्ट पेश की है उसमें इन अधिकारियों की कथित भूमिका तथा हत्या के इरादे का जिक्र है, लेकिन इससे सीबीआई और आईबी के बीच टकराव बढ़ सकता है। इससे पूर्व भी आईबी ने राजेंद्र कुमार से पूछताछ करने के सीबीआई के कदम का विरोध किया था। आईबी का कहना है कि इससे अधिकारियों का मनोबल गिरेगा। आईबी का कहना है कि उसके अधिकारी गुप्त रूप से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर छिपकर काम करते हैं उन्हें अपनी सूचनाओं के स्रोत गुप्त रखने पड़ते हैं। यदि वे सारी जानकारी जाहिर करेंगे तो सूचनाएं भविष्य में नहीं मिला करेंगी। गृह मंत्रालय ने भी इसी आधार पर आईबी का समर्थन किया था। लेकिन लगता है अब यह संभव नहीं हो पाएगा। क्योंकि सीबीआई पिछले वर्ष जुलाई में 7 वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों पर इशरत जहां के मर्डर में कथित रूप से शामिल होने का आरोप लगा चुकी है और अब कुमार का नाम सामने आ रहा है। ये कुछ ऐसे नाम हैं जिनसे यह पता लग सकता है कि इशरत जहां एनकाउंटर का सच क्या है, लेकिन अमित शाह के बारे में सीबीआई के प्रमुख ने जो कुछ कहा उसका राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश की जा रही है। भाजपा इसे पहले ही एक बड़ा मुद्दा बना चुकी है। उधर कांग्रेस इस मामले से पल्ला झाड़ते नजर आ रही है। लोगों को यह पूरा प्रकरण किसी नाटक से कम नहीं लग रहा है जो 10
वर्ष होने के बाद भी समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा है।
क्या इशरत जहां वास्तव में दोषी थी या आतंकवादी से मिली हुई थी। इस सवाल पर सभी मौन हैं। यह पहला मौका नहीं है जब किसी अधिकारी ने इशरत जहां एनकाउंटर केस में अपना कोई विवादास्पद बयान दिया है। पिछले वर्ष जुलाई माह में पूर्व अंडर सेकेट्री आरबीएस मणि ने आरोप लगाया था कि सीबीआई उन पर अपने वरिष्ठों को झूठे आरोपों में फंसाने के लिए दबाव बना रही थी। मणि वही अधिकारी हंै जिन्होंने आधिकारिक रूप से इशरत जहां प्रकरण में गृह मंत्रालय के पहले हलफनामे का ड्राफ्ट तैयार किया था। दरसअसल, गृह मंत्रालय ने अपने पहले हलफनामे में कहा था कि कथित एनकाउंटर में मारी गई इशरत और तीन अन्य के टेरर लिंक थे और इस मामले में सीबीआई जांच की जरूरत नहीं है। सीबीआई के सूत्रों का दावा है कि असल में आईबी के स्पेशल डायरेक्टर राजेंद्र कुमार ने पहले हलफनामे का ड्राफ्ट तैयार किया था। सीबीआई ने गृह मंत्रालय से कहा था  कि मणि ने जिन फाइलों के आधार पर हलफनामा तैयार किया था, वे उसे उपलब्ध कराए जाएं। इस पर गृह मंत्रालय का कहना था  कि फाइलों में दूसरी संवेदनशील जानकारियां हैं और इन्हें सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है। मंत्रालय ने इस मसले पर कानून मंत्रालय से सलाह मांगी थी। इस मामले में गृह मंत्रालय के अधिकारी आईबी के स्पेशल डायरेक्टर राजेंद्र कुमार का बचाव करते रहे हैं, लेकिन गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे हस्तक्षेप करने से इनकार कर चुके हैं। उन्होंने कहा था कि अगर कोई दोषी है तो उसे जरूर सजा मिलनी चाहिए। आईबी के डायरेक्टर आसिफ इब्राहिम ने अपने महकमे के अधिकारी राजेद्र कुमार के बचाव में गृह मंत्रालय से सीबीआई की लिखित शिकायत भी की है।

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