31-Dec-2013 07:56 AM
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मध्यप्रदेश में अभूतपूर्व जीत के बाद शपथ लेने के साथ ही मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विजन-2018 प्रस्तुत करके आने वाले समय में किए जाने वाले कार्यों का लेखा-जोखा जनता के सामने रख दिया है। प्रदेश के

इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी मुख्यमंत्री ने शपथ ग्रहण करते ही अपने संकल्प को जनता के सामने रखा। यह सच है कि पिछले 10 वर्षों में प्रदेश की स्थिति में गुणात्मक सुधार देखने को मिला है। कृषि विकास दर 18 प्रतिशत हुई है। संपूर्ण विकास दर 12 प्रतिशत तक पहुंची है। गेहूं के उपार्जन में प्रदेश देश में अव्वल पहुंचा और किसानों को गेहूं उपज खरीद के लिए एसएमएस से आमंत्रण भी दिया गया। शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण मिलने लगा। महिलाओं के लिए सिविल सेवा में आवेदन करने की आयु 45 वर्ष तक कर दी गई। कृषि विकास दर और आर्थिक विकास दर में मध्यप्रदेश ने उल्लेखनीय प्रगति की। 21 लाख से ज्यादा निर्माण श्रमिकों का पंजीयन किया गया। वेयर हाउसिंग और लॉजिस्टिक पॉलिसी बनाने के कारण मध्यप्रदेश की सराहना हुई। निजी महाविद्यालयों की छात्राओं को भी गांव की बेटी योजना का लाभ देने का निर्णय लिया गया। महुआ संग्राहकों को बोनस मिला और प्रारंभिक शिक्षा में सुधार भी देखा गया, लेकिन इन सबके बावजूद कुछ लक्ष्य अभी भी ऐसे हैं जिन्हें प्राप्त करना जरूरी है। इसीलिए सत्ता संभालते ही शिवराज सिंह ने सबसे पहले जनता के समक्ष विजन 2018 प्रस्तुत किया। इसमें मुख्य रूप से औद्योगिक विकास के जरिए नए रोजगार के अवसर पैदा करने की बात कही गई है, जिससे मध्यप्रदेश एक अग्रणी राज्य बन सके। शिवराज की कार्य की गति को देखते हुए लग रहा है कि वे लोकसभा चुनाव से पूर्व कुछ ऐसा कर गुजरना चाहते हैं, जिसका प्रभाव जनता पर लंबे समय तक रहे। इसलिए उन्होंने शासकीय विभागों में मुख्य सचिव के मार्फत पत्र भिजवाकर कहा है कि ये विभाग जनसंकल्प में काम करने के लिए किए गए वादों पर अपनी राय स्पष्ट दे ताकि उन पर अमल शुरू किया जा सके। यह पहली बार है कि चुनाव परिणाम घोषित होने के अगले दिन ही जनता से किए गए जनसंकल्प पर काम करना शुरू कर दिया गया है।
जिस रफ्तार से जनता ने भाजपा को सपोर्ट किया था। विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने जनता के लिए एक जन संकल्प पत्र जारी किया था। राजस्व विभाग से संबंधित किए गए वायदों पर अमल करने के लिए भू अभिलेख विभाग में अमला काम मे जुट गया है और जमीन की लीज के संबंध में नई नीति बनाने के लिए पुराने दस्तावेजों को खोजना शुरू कर दिया है। इस जन संकल्प को लेकर भू अभिलेख एवं बंदोबस्त के आयुक्त ने सभी जिलों के भू अधीक्षकों की वीडियो कॉन्फेंसिंग लेते हुए उनको संबंधित नीति पर अपने सुझाव जल्द भेजने के निर्देश दिए। इसके साथ ही परिवहन विभाग का अमला भी इसी काम में जुटा हुआ है क्योंकि भाजपा ने ग्रामीण क्षेत्रों में परिवहन सेवा को सुगम बनाने के लिए विभाग से सुझाव मांगे हंै जिससे जनता को अपने गांव तक परिवहन को लेकर कोई असुविधा न हो। चुनावी जीतने के बाद सबसे पहले शपथ ग्रहण करने की तैयारी के साथ ही जश्न मनाने का क्रम रहता है जिसके कारण जनता से किए गए वादों को पूरा करने की याद बाद में ही आती है, लेकिन शिवराज सिंह ने चुनाव में सत्ता मिलने के साथ ही चुनाव के समय जनता के समक्ष रखे गए जनसंकल्प पर अमल करने के लिए अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिया। इस निर्देश के मिलने के साथ ही उसे प्रदेश के सभी विभाग प्रमुखों को अवगत करा दिया जिसके बाद से शासकीय अमला जन संकल्प में उल्लेखित काम पर अपने सुझाव बनाने का काम शुरू कर दिया है। इस कड़ी में सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि भाजपा के घोषणा पत्र जनसंकल्प 2013 के महत्वपूर्ण बिंदुओं को सरकार के विजन डाक्यूमेंट 2018 में शामिल किया जाएगा। सरकार ने विजन डाक्यूमेंट की तैयारी वैसे तो पहले पूरी कर ली थी। लेकिन अब इसमें घोषणाओं के बिंदुओं को भी जोड़ा जाएगा।
यह एक सकारात्मक राजनीतिक परिस्थिति है कि हाल में संपन्न राज्य विधानसभा चुनाव में धर्म, जाति और क्षेत्र के आधार पर मतों का ध्रुवीकरण नहीं हुआ। विकास और व्यापक जनहित के मुद्दों पर भाजपा को जनादेश मिला। यह बदली हुई राजनीतिक परिस्थिति है और इसकी शुरूआत मध्यप्रदेश से हो रही है। यह पहला चुनाव है, जब मतदाताओं ने लोकलुभावन वायदों पर विश्वास नहीं करके दीर्घकालिक लक्ष्यों को साधने में ही ज्यादा विश्वास जताया है।
इस बार के चुनाव में विकास, महंगाई नियंत्रण और रोजगार सृजन जैसे मुद्दों पर ही जनमत लगातार केंद्रित रहा है। इस जनअभिरुचि को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने अपनी वरीयताएं तय कीं तो उसे आश्चर्यजनक रूप से सफलता मिली। दूसरी ओर हम पाते हैं कि कांग्रेस ने हाल के दिनों में मतदाताओं का विश्वास पूरी तरह खो दिया है। यही वजह है कि एक और निराशाजनक चुनाव परिणाम सामने है। देखा जाए तो राज्य के आम मतदाताओं से कांग्रेस संगठन की दूरी कोई एक दिन में नहीं पैदा हो गई। इसका सूत्रपात श्रीमती इंदिरा गांधी की मौत के बाद राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद के दिनों में ही हो गया था। लेकिन आरंभ में उनके प्रभाव काफी सीमित थे, इस लिए किसी ने उस पर गौर नहीं किया। उस दौर में कांग्रेस में जिस तरह की अभिजात्य राजनीति की शुरूआत हुई, उसने पार्टी संगठन को धीरे-धीरे लोगों से काटना शुरू कर दिया।
बाद के दिनों में इसके नकारात्मक प्रभाव दिखाई देने लगे थे, लेकिन पार्टी मोर्चे पर तब भी उसे गंभीरता से नहीं लिया गया। बाद में इसी मनोवृत्ति ने कांग्रेस के राज्य संगठन को भी अपनी चपेट में ले लिया। राज्य के कांग्रेसी नेतृत्व ने समाजिक सरोकारों को दरकिनार करते हुए आगे बढऩे की योजना बनाई, जो कुछ दिनों तक तो चलती दिखाई दी, लेकिन बाद में मतदाताओं ने उसे पूरी तरह नकार दिया। कांग्रेस के समानांतर भाजपा ने लगातार जनसरोकारों और विकास पर ही अपना ध्यान केंद्रित रखा। 2003 में सत्ता में आई उमा भारती रही हों, या उनके उत्तराधिकारी बाबूलाल गौर या शिवराज सिंह चौहान, सभी ने पार्टी की सामाजिक छवि को सुधारने का प्रयास किया। उस दौर में जब भाजपा अपनी सामाजिक छवि को नया आयाम देने में लगी थी, तो कांग्रेस जाति, धर्म और क्षेत्र आधारित अपनी परंपरागत राजनीतिक शैली पर ही विश्वास करती रही। भाजपा ने राज्य के लोगों के बीच जाने के लिए जातीय आयोजनों की जगह विकास आधारित दूसरी परियोजनाएं शुरू कीं, जिनका लोगों ने खुले दिल से स्वागत किया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने समाज के विभिन्न वर्गो से लगातार संपर्क के लिए पंचायतें आयोजित कीं, उसका आधार जाति नहीं, बल्कि श्रम रहा। लाड़ली लक्ष्मी योजना, कन्यादान योजना, वृद्धजन तीर्थयात्रा जैसी योजनाओं को भी भाजपा ने किसी एक धर्म या जाति तक सीमित नहीं रखा। इसका जनता के बीच बेहद सकारात्मक संदेश गया। कांग्रेस परंपरागत रणनीतियों की बदौलत सत्ता में वापसी के सपने देख रही थी तो भाजपा विकास और सामाजिक सरोकारों पर केंद्रित रही।
यही वजह रही कि लोगों को उसमें अपनी सहज आकांक्षाओं की अभिव्यक्ति दिखाई दी। नतीजा साफ था, उसका जनाधार लगातार बढ़ता चला गया। कांग्रेस पर लोगों का भरोसा उठने की एक प्रमुख वजह यह भी रही कि जिन मुद्दों पर केंद्र में सत्तारुढ़ कांग्रेस सरकार बुरी तरह असफल रही, उन मुद्दों पर राज्य की जनता उसके दावों पर भरोसा नहीं कर पाई। इसके अलावा उसका चुनावी प्रबंधन भी ठीक नहीं था। अल्पसंख्यकों और आदिवासियों का उस पर पूरी तरह भरोसा उठ गया। इसके अलावा टिकट वितरण में भी उसने गंभीर गलतियां कीं। कांग्रेस संगठन ने विधानसभा चुनाव में 86 प्रत्याशियों को गलत तरीके टिकट दिए, जिसकी वजह से इनमें से अधिकांश हार गए। यह आशंका पार्टी के एक वर्ग में पहले ही जताई गई थी, लेकिन किसी ने उसकी ओर ध्यान नहीं दिया। इसके अलावा अनेक ध्रुवों में विभाजित राज्य संगठन भितरघात को भी नियंत्रित नहीं कर सका, जिसका खामियाजा, उसे हार के रूप में चुकाना पड़ा।
सौ दिन की कार्ययोजना बनायें
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पद की शपथ लेने के पश्चात 16 दिसंबर को भोपाल स्थित मंत्रालय आगमन के पहले दिन अधिकारियों की बैठक लेकर प्रदेश शासन की प्राथमिकताएँ बतायीं। उन्होंने कहा कि गरीब और कमजोर महसूस करें कि यह उनकी अपनी सरकार है। मध्यप्रदेश को देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने के लिये सारे संभव प्रयास करें। चौहान ने मुख्य सचिव श्री अंटोनी डिसा को जन-संकल्प 2013Ó सौंपा और उसके अनुरूप कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिये। उन्होंने विजन 2018Ó का विमोचन भी किया। चौहान ने कहा कि राज्य सरकार को जनादेश मिला है। लोगों ने भरोसा किया कि हमने बेहतर काम किया है। यह टीम मध्यप्रदेश के परिश्रम का परिणाम है। अब पूरी क्षमता से जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिये काम में जुट जायें। यह जनता का राज है। लोकतंत्र में सारी व्यवस्था आम आदमी के लिये है। मध्यप्रदेश को सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाना है। इसी जिद, जुनून, जज्बे, संकल्प और सपने के साथ कार्य करें।
उन्होंने कहा कि तत्काल निर्णय लेकर क्रियान्वित करने वाला प्रशासन हो। जन-संकल्प पत्र हमारा रोडमेप है। अलग-अलग विभाग अपने से संबंधित संकल्पों पर कार्य प्रारंभ करें। समयबद्ध कार्ययोजना बनायें जिसमें तत्काल किये जाने वाले कार्य, एक वर्ष में किये जाने वाले कार्य तथा लम्बी अवधि में किये जाने वाले कार्य की अलग-अलग योजना हो। सभी विभाग सौ दिन की कार्ययोजना बनायें। यह कार्ययोजना एक सप्ताह के भीतर तैयार हो जाये।