31-Dec-2013 07:34 AM
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कांग्रेस में ईमानदार और बेइमानों के बीच शीतयुद्ध चल रहा है। आदर्श घोटाले पर न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट को महाराष्ट्र ने खारिज कर दिया था जिस पर राहुल गांधी सहित केंद्रीय नेताओं ने नाराजगी जताई है और केंद्रीय मंत्री मिलिंद

देवड़ा ने तो साफ-साफ ट्वीट करके कहा है कि अगर आदर्श समिति की रिपोर्ट सवाल उठाती है तो हमें जांच करनी चाहिए, उनके जवाब देने चाहिए और चुप नहीं होना चाहिए। दरअसल इस रिपोर्ट में राज्य के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों समेत कई नेताओं को दोषारोपित किया गया है और कहा गया है कि आदर्श सोसायटी को पूर्व मुख्यमंत्रियों विलासराव देशमुख, सुशील कुमार शिंदे और अशोक चव्हाण, पूर्व राजस्व मंत्री शिवाजीराव एन पाटिल, पूर्व शहरी विकास मंत्री सुनीत तटकरे और पूर्व शहरी विकास मंत्री राजेश तोपे का राजनीतिक संरक्षण प्राप्त हुआ था। देवड़ा की आलोचना से पूर्व ही इस मुद्दे पर विपक्ष को भ्रष्टाचार के मामले में कांग्रेस पर निशाना साधने का मौका मिल गया था। अब विपक्षी तेवर और मुखर हो गए हैं। इससे पहले दोषी सांसदों पर अध्यादेश लाने के सरकार के फैसले पर भी देवड़ा ने ट्वीट कर विरोध किया था। बाद में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी सार्वजनिक तौर पर अध्यादेश की आलोचना की थी और इसे वापस ले लिया गया था। देवड़ा के बयानों को तब पार्टी आला कमान की सहमति से दिया गया माना गया था क्योंकि उन्हें राहुल का करीबी माना जाता है। अब आदर्श घोटाले पर सवाल खड़ा कर उन्होंने महाराष्ट्र के कांग्रेसियों को परेशानी में डाल दिया है। राहुल गांधी ने भी रिपोर्ट खारिज किए जाने पर आपत्ति दर्ज कराई है जिसके बाद मुख्यमंत्री ने विधायकों तथा परिजनों से बात करने का कहा है।
सूत्र बता रहे हैं कि रिपोर्ट में अमेरिका में विवाद में आई भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े को गैर-कानूनी रूप से लाभ पाने वालों की सूची में रखा गया है। महाराष्ट्र के सदन में रखी गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कांग्रेसी नेता और राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने सोसाइटी को अनापत्ति प्रमाण पत्रों को दिलाने के एवज में अपने तीन रिश्तेदारों सीमा शर्मा, मदनलाल शर्मा और भगवती शर्मा को फ्लैट दिलवाए। रिपोर्ट कहती है कि आदर्श सोसाइटी के लिए दो पूर्व मुख्यमंत्री स्व. विलासराव देशमुख और वर्तमान में गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने भी गैर-कानूनी रूप से रुचि दिखाई थी। सोसाइटी के सदस्यों के लिए जो नियम रखे गए वह पारदर्शी नहीं थे और मनमाने रूप से निजी लोगों को
फायदे पहुंचाने वाले थे। रिपोर्ट में इस बात को साबित करने के लिए 22 बेनामी लेन-देन को भी दर्शाया है।
विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने महाराष्ट्र सरकार के कदम के विरोध में बहिर्गमन किया था और आरोप लगाया था कि सरकार अपने लोगों को बचाने की कोशिश कर रही है। भाजपा नेता अरुण जेटली ने भी आरोप लगाया कि 2-जी पर जेपीसी की रिपोर्ट को दबा दिया गया। महाराष्ट्र में आदर्श घोटाले को कैबिनेट ने दबा दिया। क्या कभी सचाई को दबाया जा सकता है। गौरतलब है कि महाराष्ट्र के राज्यपाल ने आदर्श घोटाले के संबंध में अशोक चव्हाण के खिलाफ केस चलाने की सीबीआई को इजाजत नहीं दी थी हालाँकि इस घोटाले के सामने आने के बाद अशोक चव्हाण से जबरन इस्तीफा ले लिया गया था।
(सीबीआई) ने सितम्बर 19 को आदर्श हाउसिंग सोसायटी घोटाले में केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे को भी पाक साफ करार दिया था। सीबीआई ने सामाजिक कार्यकर्ता प्रवीण वातेगांवकर के आवेदन के जवाब में एक हलफनामा दायर कर यह जवाब दिया। प्रवीण ने मांग की थी कि शिंदे को इस मामले में बतौर आरोपी शामिल किया जाए, क्योंकि दक्षिण मुंबई की 31 मंजिली आदर्श इमारत में उनका बेनामी फ्लैट है। वातेगांवकर के आवेदन के अनुसार शिंदे ने ही दिवंगत मेजर एन डब्ल्यू खानखोजे को आदर्श सोसायटी में सदस्य के रूप में शामिल करने का सुझाव दिया था। विधान परिषद के पूर्व सदस्य कन्हैयालाल गिडवानी ने आदर्श आयोग के समक्ष अपनी गवाही में कहा था कि शिंदे ने ही खानखोजे को बतौर सदस्य शामिल करने को कहा था। शिंदे तो सीबीआई के माफऱ्त बच गए किन्तु आम आदमी पार्टी की सफलता के बाद राहुल गांधी पर ईमानदारी का जो भूत सवार हुआ है उसकी चपेट में महाराष्ट्र के कुछ नेता आ सकते हैं। यदि ऐसा हुआ तो महाराष्ट्र में चुनाव पूर्व कुछ दागी नेताओं को ठिकाने भी लगाया जा सकता है।