31-Dec-2013 07:29 AM
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भारतीय तीरंदाजी के लिए यह साल अच्छा रहा जिसमें गोल्डन गर्ल दीपिका कुमारी की अगुवाई में महिला टीम ने विश्व चैंपियन कोरिया को विश्व कप में हराया जबकि नए कंपाउंड तीरंदाजों ने भी सफलता हासिल की। जहां दीपिका, लैशराम

बोंबायला देवी और रिमिल बुरिउली की महिला रिकर्व टीम ने दो विश्व कप में स्वर्ण जीते जबकि पुरुष टीम शीर्ष टूर्नामेंटों में कोई पदक नहीं जीत सकी। भारतीय तीरंदाजी को साल की सबसे बड़ी कामयाबी अगस्त में मिली जब महिला तिकड़ी ने ओलंपिक चैंपियन कोरिया को पोलैंड के व्रोक्ला में खेले गए विश्व कप के चौथे चरण में चार अंक से हराया। इस साल में भारतीय महिला टीम का विश्व कप में यह दूसरा स्वर्ण था। इससे पहले कोलंबिया के मेडेलिन में उसने चीन को हराकर पीला तमगा हासिल किया था। कंपाउंड तीरंदाजी टीम ने अक्टूबर में विश्व चैंपियन कोरिया को हराकर ताइपे में एशियाई तीरंदाजी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। टीम में अभिषेक वर्मा, रतन सिंह, संदीप कुमार शामिल थे। भारतीय टीम ने दूसरी बार कंपाउंड पुरुष वर्ग में स्वर्ण पदक जीता। कंपाउंड पुरुष और महिला टीम ने बाली में 2009 में हुई 16वीं एशियाई चैंपियनशिप में क्रमश: स्वर्ण और रजत पदक जीते थे, जो कंपाउंड तीरंदाजों का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। दीपिका ने इस साल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सात पदक जीते जिसमें तीन स्वर्ण, तीन रजत और एक कांस्य शामिल था। उसने शुरुआत शंघाई में विश्व कप के पहले चरण में दो रजत पदक के साथ की। शंघाई में उसने भारत के शीर्ष पुरुष रिकर्व तीरंदाज जयंत तालुकदार के साथ भी पदक जीता। तालुकदार ने चीनी ताइपे में 18वीं एशियाई तीरंदाजी चैंपियनशिप के मिश्रित वर्ग में दीपिका के साथ स्वर्ण पदक जीता। दीपिका विश्व कप फाइनल में लगातार चौथी बार स्वर्ण नहीं जीत सकी लेकिन उसने लगातार तीसरा रजत जीता। उसे पेरिस में हुए विश्व कप में कोरिया के ओलंपिक चैंपियन ओक ही युन ने हराया। वह लगातार चौथी बार विश्व कप फाइनल में पहुंची थी। उसने 2011 और 2012 में रजत पदक जीता था।