लालू की जमानत से कौन खुश है
31-Dec-2013 06:55 AM 1234774

लालू प्रसाद यादव अंतत: जेल की सलाखों से मुक्त हो गए और अपना मेहनत का वेतन भी जेल में ही छोड़ आये। वे दिन लद गए जब लालू यादव को अपने भारी भरकम परिवार के लालन पालन के लिए मेहनत की कमाई की जरूरत पड़ती थी अब तो भगवान् ने उन्हें बहुत धन धान्य से परिपूर्ण बना दिया है। बहरहाल लालू ने जेल से मुक्ति पाते ही घोषणा की कि वे नरेंद्र मोदी को रोकेंगे क्योंकि उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी को रोक दिया था। उनके इस बयान से कोई भी खुश हो न हो कांग्रेस को बहुत राहत मिली है कि कम से कम कोई तो है जो मोदी के बढ़ते प्रभुत्व को चुनौती दे सकता है। किन्तु लालू अब सत्ता में नहीं हैं न ही वे बिहार में प्रमुख विपक्षी दल रह गए हैं। फिर किस हैसियत से वे मोदी को रोक सकते हैं। लिहाजा उन्होंने भी वही रास्ता तलाशा जो मोदी विरोधी  तलाश रहे हैं। मुसलमानों को खुश करने का रास्ता- लालू  कह रहे हैं कि वे मुजफ्फरनगर दंगा पीडि़तों से मिलने जायेंगे। ऐसे में सवाल यह पैदा हो रहा है कि लालू - मुलायम-नितीश से बचने के बाद उत्तरप्रदेश और बिहार का मुस्लिम  वोट बैंक कांग्रेस के हिस्से में कितना आएगा जो आगामी लोकसभा चुनावों में मुस्लिमों और दलितों के बीच पहुँचने के लिए बेकरार है- सांप्रदायिक हिंसा विरोधी विधेयक इसका प्रमाण है।
बहरहाल जेल तो पांच साल की हुई थी लेकिन लालू जी पचहत्तर दिन से ज्यादा जेल के भीतर रहने नहीं पाये। निचली अदालत द्वारा सुनाये गये सख्त फैसले पर हाईकोर्ट ने जमानत देने से मना किया तो मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया जहां बड़े वकील राम जेठमलानी ने लालू जी की जमानत के लिए पैरवी की और सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही राबड़ी जी को देश की अदालत में विश्वास बहुत ज्यादा हो गया। कपिल सिब्बल ने तो उस दिन ऐसी कोई विश्वास वाली बात नहीं की थी लेकिन कानून मंत्री के चेहरे की मुस्कान बता रही थी कि फैसले से उनको भी अपार खुशी मिल रही है। बिरसा मुंडा जेल से बाहर आते ही लालू जी ललकार पड़े। अपने बयानों में आम आदमी पार्टी के नेताओं को बहुरूपिया बताया और आखिर में वह कह दिया जिसे बोलकर कांग्रेस के शासन में कोई भी अपना राजनीतिक भविष्य सुनहरा बना सकता है। लालू जी की नजर में राहुल गांधी देश के सर्वश्रेष्ठ प्रधानमंत्री साबित होंगे। लालू यादव साफ कह रहे हैं, मैंने जब 1990 में नरेन्द्र मोदी के गुरु लालकृष्ण आडवाणी के रथ को रोक लिया था तो नरेन्द्र मोदी में क्या रखा है। नरेन्द्र मोदी के सांप्रदायिकता फैलाने वाले रथ को भी मैं ही लगाम लगाउंगा।ÓÓ लालू यादव यह उस मोदी के बारे में बोल रहे हैं जो पटना रैली के दौरान लालू को यदुवंश का नायक साबित कर रहा था। लेकिन नायकत्व की इस पुकार को अनसुना करते हुए अब लालू ललकार रहे हैं अब नरेन्द्र मोदी हों अथवा कोई और मोदी, मैं कच्छा पहन कर तैयार हूं, सबको देख लूंगा।ÓÓ लालू एक बार फिर अपनी पुरानी शैली में सांप्रदायिकता को रोकने की घोषणा कर रहे हैं। लालू कह रहे हैं, देश की सभी धर्म निरपेक्ष ताकतों को एकजुट हो जाना चाहिए जिससे सांप्रदायिक ताकतें एक बार फिर देश का बंटवारा न करा सकें। लालू की यह ललकार राष्ट्रवादी जमात के लिए नई नहीं होगी। पहले भी लालू इसी तरह बोलते रहे हैं, करते रहे हैं। लेकिन ऐसे वक्त में जब लालू के मन की सबसे बड़ी टीस यही हो कि परोक्ष रूप से नीतीश का साथ देकर प्रत्यक्ष रूप से लालू राज का खात्मा करनेवाली कांग्रेस के मन में उस लालू के लिए कोई जगह नहीं बन सकी जो चुनाव जीतने के बाद भी सिर्फ सांसद बने रह गये, अब फिर से सोनिया गान फूट रहा है। जाहिर है, कांग्रेस की तरफ से उन्हें जेल से छूटनेवाला गुलदस्ता जरूर मिला होगा। इसलिए उनकी ललकार के पीछे कांग्रेस के प्यार की थाह पाना ज्यादा मुश्किल नहीं है।

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