18-Dec-2013 09:42 AM
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कुछ फॉर्मूला फिल्में क्या हिट हुईं इस तरह की फिल्मों की बाढ़ आ गईं। मसाला फिल्मों के बनाने का भी एक सलीका होता है, लेकिन इन दिनों निर्माता-निर्देशक तो ये मानने लगे हैं कि कुछ भी दर्शकों के सामने परोस दो वे स्वीकार कर लेंगे...

गंदी बात... इन दिनों हर हीरो को सलमान खान बनने का भूत सवार है। सलमान खान की दक्षिणनुमा हिंदी फिल्में इसलिए चलती हैं क्योंकि सलमान सुपरस्टार हैं। दर्शक उनकी अदाओं के दीवाने हैं। वे दर्जन भर गुंडों की धुलाई करते हैं तो विश्वसनीय लगता है, लेकिन ये काम शाहिद कपूर करते हैं तो बाल नोंचने के सिवाय कुछ नहीं किया जा सकता है। शाहिद पूरी फिल्म में अविश्वसनीय नजर आए हैं। ऐसा लगा कि जरूरत से ज्यादा बोझ उनके नाजुक कंधों पर लाद दिया गया है। भारी-भरकम सोनाक्षी के सामने वे फीके नजर आएं। ऊपर से फिल्म में उनके इतने फाइट सीन हैं कि जितने उन्होंने अपने कुल जमा करियर में भी नहीं किए होंगे। फटा पोस्टर निकला हीरो में भी उन्होंने यही सब करने की कोशिश की थी और मुंह की खाई थी। देखना है कि राजकुमार का क्या होता है। वैसे लगातार ?फ्लॉप फिल्म देने के बावजूद शाहिद कपूर अब तक खाली नहीं बैठे हैं। लगातार सोलो हीरो वाली फिल्में उनको मिल रही हैं। शायद फिल्म इंडस्ट्री हीरो की तंगी से गुजर रही है और इस पर सोच-विचार नहीं कर रही है... गंदी बात...
वांटेड और राउडी राठौर जैसी सफल फिल्म देने के बाद प्रभुदेवा से उम्दा मसाला फिल्मों की उम्मीद जागी थी, लेकिन लगता है कि प्रुभ माया के फेर में पड़ गए हैं और ऊटपटांग फिल्में बना रहे हैं। रमैया वस्तावैयाÓ की बात ज्यादा पुरानी नहीं है और उन्होंने र... राजकुमारÓ नामक घटिया फिल्म बना कर रिलीज कर दी है। कहानी और स्क्रीनप्ले नदारद है और तमाम घटिया हरकतों से फिल्म को प्रभु ने खींचा है। प्रभु का प्रस्तुतिकरण बहुत ही बुरा है... गंदी बात...
कहानी है धरतीपुर नामक गांव की, जहां अफीम की स्मगलिंग करने वाले शिवराज और परमार का राज चलता है। दोनों की आपस में बिलकुल नहीं बनती। एक अपने बदन की मालिश करवाता रहता है तो दूसरा खुले में नहाता है और औरतें उसे साबुन मलती रहती हैं। राजकुमार की गांव में एंट्री होती है जिसे अंतरराष्ट्रीय स्मगलर ने भेजा है। राजकुमार का दिल चंदा पर आ जाता है जो परमार की भतीजी है। शिवराज भी चंदा पर फिदा हो जाता है। परमार और शिवराज हाथ मिला लेते हैं और दोनों से टकराता है राजकुमार। फिल्म के विलेन इतने मूर्ख हैं कि हर बार हीरो को अधमरा छोड़ देते हैं और वह बार-बार वापस आ जाता है। कब्र से ?भी निकल आता है। फिल्म में दिखाया गया है कि शिवराज हर काम पंडित से पूछ कर करता है। पंडित उसकी शादी का मुहूर्त दशहरे पर निकालता है। दशहरे के आसपास शादी का काम तो बंद रहता है, लेकिन फिल्म के लेखकों को यह बात पता ही नहीं है। ऐसे कई किस्से फिल्म में हैं जिनमें छोटी-छोटी बातों पर ध्यान नहीं दिया गया है... गंदी बात... फिल्म में हर चीज लाउड है। अभिनय के नाम पर हर कलाकार चीखा-चिल्लाया है। बैकग्राउंड म्युजिक ऐसा है कि कान पकने लगते हैं। साइलेंट हो जा वरना वाइलेंट हो जाऊंगाÓ जैसे संवाद हैं। गाने कभी भी टपक पड़ते हैं। ऐसा लगता है कि फिल्म खत्म होने वाली है अचानक कद्दू कटेगाÓ जैसा गाना आ जाता है। क्लाइमेक्स इतना लंबा खींचा गया है कि नींद आने लगती है।