05-Dec-2013 09:47 AM
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उत्तरप्रदेश के चुनाव के नतीजों पर जब संजय सिंह ने नकारात्मक टिप्पणी की थी तो उस वक्त उनसे जवाब मांगा गया था, लेकिन सुल्तानपुर से कांग्रेस के सांसद संजय सिंह का रुख उस समय ही पता चल गया था। उस वक्त उन्होंने कांग्रेस में

भीतरी उठा-पटक पर खुलकर बोला था। उन्होंने नोटिस का जवाब दिया या नहीं, लेकिन अब संजय सिंह और अमिता सिंह दोनों कांग्रेस से दूर होते जा रहे हैं। अमेठी में संजय सिंह की अच्छी पकड़ है, जिसका फायदा उठाने के लिए कई सियासी पार्टियां बेकरार हैं। उधर राहुल गांधी को भी उनके संसदीय क्षेत्र में यदि कोई मजबूत टक्कर दे सकते हैं तो वे संजय सिंह ही हैं। इसीलिए संजय सिंह को भीतर ही भीतर कई सियासी पार्टियां शह दे रही हैं। हालांकि समाजवादी पार्टी ने अभी संजय सिंह में कोई रुचि नहीं दिखाई है क्योंकि उनकी पत्नी अमेठी से समाजवादी पार्टी के गायत्री प्रसाद से 9 हजार वोटों से हारी थीं, लेकिन फिर भी चुनावी माहौल में गणित कुछ गड़बड़ा सकता है और उत्तरप्रदेश में तो वैसे भी जनता के गुस्से को भुनाने का समय आ चुका है।
चौदह महीने पहले अमेठी में जब कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ गुस्सा उभरा था, तब शायद किसी को अंदाजा नहीं रहा होगा कि जो नाराजगी अभी तक मन में दबी थी, वह अचानक बाहर कैसे आने लगी। अब थोड़ा अंदाजा लगने लगा है कि यह गुस्सा घर से ही उभारा जा रहा है। सुल्तानपुर संसदीय सीट से कांग्रेस सांसद संजय सिंह ने जिस तरह के बागी तेवर दिखाए हैं, उससे साफ संकेत मिलता है कि राहुल गांधी के लिए अमेठी के रास्ते में बनाए जा रहे ब्रेकर के पीछे का क्या रहस्य है? राहुल गांधी के खिलाफ अमेठी में विरोध का सुर हल्की आवाज में पिछले साल सितंबर में तब उठी थी, जब राहुल की मौजूदगी में विकास नहीं होने का आरोप लगाकर कुछ लोग विरोध करते सडक़ पर उतर आए थे। तब राहुल गांधी अमेठी दौरे पर थे और विकास के मुद्दे और भेंट नहीं हो पाने को लेकर कुछ स्थानीय लोगों ने हंगामा खड़ा कर दिया था। राहुल गांधी को उनके सियासी दुश्मनों ने इस बार उन्हें अमेठी में ही घेरने की योजना बनाई है। अगर यह योजना परवान चढ़ी तो राहुल के लिए 2014 में अमेठी को फतह करना आसान नहीं होगा। किसी समय दस जनपथ के सबसे भरोसेमंद रहे संजय सिंह ने राहुल के खिलाफ बगावत कर दी है। भाजपा की योजना उन्हें राहुल गांधी के खिलाफ अमेठी से मैदान में उतारने की है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के इस इलाके में संजय सिंह का दबदबा है। वे अमेठी के बगल की सीट सुल्तानपुर से सांसद भी हैं। भाजपा के प्रदेश नेता संजय सिंह के संपर्क में हैं। फिलहाल भाजापा और संजय सिंह में बार्गैनिंग चल रही है। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं, संजय सिंह चाहते हैं कि अमेठी से राहुल के खिलाफ चुनाव लडऩे के लिए पार्टी उन्हें कोई बड़ा इनाम दे। अगर वे राहुल के खिलाफ चुनाव हार जाएं तो उन्हें राज्यसभा में भेजा जाए और केंद्र में सरकार बनने पर उन्हें अच्छा पद भी दिया जाए।
मुख्य विपक्षी दल भाजपा अमेठी की बगल वाली सीट सुल्तानपुर से वरुण गांधी और कांग्रेस से बगावती तेवर अपनाने वाले सासंद और गांधी परिवार के करीबी संजय सिंह को अमेठी में राहुल के खिलाफ चुनाव मैदान में उतार कर कांग्रेसी युवराज के खिलाफ चक्रव्यूह तैयार करने में जुटी है। अमेठी में जिन दो संगठनों जागरूक नागरिक मंच व आल इंडिया मुस्लिम फेडरेशन ने पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी के नाम के सहारे राहुल गांधी को घेरने की कोशिश की है, उससे विरोध के पीछे बड़ी राजनीतिक रणनीति की धुंधली तस्वीर भी उभरती है। इन संगठनों का कद भले छोटा हो, लेकिन उनके उठाए सवालों ने कांग्रेस को बेचैन कर दिया है। राहुल को घेरने के लिए अमेठी की गलियों में बड़े-बड़े पोस्टर व होर्डिग लगाए गए हैं जिसमें लिखा है, सोनिया, राहुल हम शर्मिदा हैं, राजीव के कातिल जिंदा हैं। इतना ही नहीं इस नारे को घर-घर पहुंचाने के लिए राजीव गांधी न्याय यात्रा भी निकालने की योजना है। राजीव गांधी न्याय यात्रा का मकसद लोगों को राजीव गांधी के समय की अमेठी की यादें ताजा कराना है। सवाल यह है कि राजीव गांधी के बहाने इन दोनों संगठनों की तरफ से ऐसे मुद्दे उठाए जा रहे हैं, जो राहुल गांधी के लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं। इसमें अमेठी के विकास का मुद्दा भी है। मतलब साफ है कि अमेठी में उठी छोटी आवाज लोकसभा चुनाव तक शोर का रूप ले सकती है और यह राहुल गांधी के लिए दिक्कत पैदा कर सकती है।
सवाल उठता है कि क्या यह मुहिम इन दो संगठनों की है या फिर इसके पीछे कोई बड़ी भूमिका है। जिस तरह के संकेत हैं, वह जताते हैं कि राहुल गांधी के खिलाफ जो आवाज उठी है, वह केवल स्थानीय नहीं है, बल्कि इसके पीछे बड़ा राजनीतिक दांव चला जा रहा है। यह दांव पांच महीने पहले से चला जा रहा है, यानी इसकी पटकथा कुछ इस तरह से लिखी गई है जिसमें लोकसभा चुनाव आने तक इस मामले को बेहतर तरीके से तूल दिया जा सके। दरअसल कांग्रेस में जिस तरह से राहुल गांधी सत्ता के केंद्र बन कर युवाओं को बढ़ावा दे रहे हैं, उससे कांग्रेस के बुजुर्ग नेताओं में नाराजगी बढ़ रही है। ऐसा कयास लगाया जा रहा है कि अमेठी में जो कुछ हो रहा है, उसे दिल्ली के कुछ बजुर्ग नेताओं का मौन समर्थन हासिल है। हाल ही में अपने जन्मदिन की पार्टी में, जिसमें भाजपा के पूर्व मंत्री, सपा विधायक, कांग्रेसी नेता और कई जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।