05-Dec-2013 08:59 AM
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उत्तरप्रदेश के गाजियाबाद में एक अदालत ने नुपुर और राजेश तलवार को अपनी बेटी आरुषि तलवार तथा नौकर हेमराज की हत्या का दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। 2008 में हुए इस वीभत्स हत्याकांड का रहस्य

सीबीआई भी पूरी तरह सुलझा नहीं पाई क्योंकि पुलिस को जो भूमिका अदा करनी थी वह पुलिस ने नहीं की और सबूत लगभग मिटा ही दिए गए। इसलिए जो भी सबूत मिले उनके आधार पर जो सजा सुनाई गई है वह नाकाफी प्रतीत होती है। इस प्रकरण का एक पहलू यह भी है कि सीबीआई को कोई भी सबूत न मिलें इस दृष्टि से तलवार परिवार की मदद करने वाले उन तमाम पुलिस वालों और अधिकारियों को बख्श दिया गया है जिनके कारण यह हत्याकांड एक अनसुलझा हत्याकांड बन चुका था। न्यायालय यदि किसी गैर जिम्मेदार अधिकारी को भी साथ ही सजा देता तो ज्यादा प्रभावी निर्णय कहा जाता। बहरहाल सजा पाए माता-पिता का अपना अलग पक्ष है और वे इस सजा को अन्याय बता रहे हैं। तलवार दंपत्ति के नजदीकी रिश्तेदार भी भारत की न्याय व्यवस्था पर सवाल खड़े करते हुए इस मर्डर मिस्ट्री को पूरी तरह नहीं सुलझा पाने के लिए तलवार दंपत्ति को ही कटघरे में खड़ा करते हैं। अब इस निर्णय को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी जाएगी और यदि वहां से जमानत मिलती है तो तलवार दंपत्ति फिलहाल सीखचों के बाहर आ सकते हैं।
लगभग पांच वर्ष तक चला यह मुकदमा अपने आप में अनूठा है। तलवार दंपत्ति की मौजूदगी में उनकी ही इमारत में उनके ही घर पर बगल वाले बैडरूम में दो हत्याएं हो गई और उन्हें भनक तक नहीं लगी। बाद में इस हत्याकांड में कई लोगों के नाम शामिल किए गए, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। निकलता भी कैसे क्योंकि हत्या तो स्वयं मां-बाप ने की थी और बड़ी सफाई से सबूत मिटा दिए गए थे। पुलिस ने भी भरपूर सहयोग किया। इसीलिए सीबीआई के हाथों में पहले-पहल कुछ नहीं लगा। यहां तक कि इस केस की क्लोजर रिपोर्ट भी सीबीआई ने दाखिल कर दी थी, लेकिन जब न्यायालय ने सख्ती दिखाई तो फिर से केस खुला और लड़ाई अदालत में लड़ी जाती रही। उधर मीडिया ट्रायल भी चलता रहा। तलवार के निकट के रिश्तेदार आरोप लगाते हैं कि मीडिया ने इस मामले को संवेदनशील बना दिया, जिसका खामियाजा तलवार दंपत्ति को उठाना पड़ा। लेकिन ये आरोप सच प्रतीत नहीं होते। मीडिया ने इस मामले को उठाया अवश्य पर इसलिए ताकि दोषियों को सजा मिल सके। क्योंकि जो लोग मीडिया पर एक तरफा होने का आरोप लगा रहे थे वे तलवार दंपत्ति की बेगुनाही का सबूत देने में नाकामयाब रहे। यह भी नहीं बताया गया कि क्यों उन सबूतों को मिटाया गया। यदि दोनों पति-पत्नी निर्दोष थे तो वे सबूत मिटाने में इतने इच्छुक क्यों थे। हेमराज का शव बाद में बरामद होना भी एक बड़ा कारण था जो सीबीआई को गुमराह करने में कहीं न कहीं पहले कामयाब रहा बाद में सीबीआई ने अपने तरीके से जांच करके गुत्थी सुलझा ही ली।
16 मई 2008 को जब आरुषि की लाश उसके घर केे बेडरूम में गला कटी हुई मिली थी। उस वक्त हेमराज का अता-पता नहीं था। इसीलिए हेमराज पर शक किया गया। लोगों को भी लगा कि यह नौकर का ही काम है। लेकिन 17 मई को अचानक हेमराज की लाश भी तलवार परिवार के निवास के टेरेस पर पाई गई। कमाल की बात यह है कि 16 से लेकर 17 मई तक लगभग 24 घंटे में किसी पुलिस वाले का दिमाग इतना नहीं चला कि वह कम से कम घर के टेरेस पर झांक लेता। दिमाग चला नहीं या चलाया नहीं गया। सुनियोजित तरीके से ही सब कुछ किया गया प्रतीत हो रहा था। बहरहाल 24 घंटे के अंदर उस व्यक्ति की लाश मिल गई जिसे मुख्य आरोपी माना जा रहा था, तो मामला और उलझ गया। बाद में जब पुलिस की अच्छी तरह खिंचाई हुई तो पुलिस ने कहा कि दोनों हत्याएं डॉक्टरी औजारों से की गई हैं। यह रहस्योदघाटन होने के बाद शक की सुई तलवार दंपत्ति की ओर घूमी। लेकिन 19 मई 2008 को मामले ने एक बार फिर मोड़ लिया जब तलवार के पुराने नौकर विष्णु शर्मा का नाम इस प्रकरण से जोड़ा गया। विष्णु ने तलवार से दुखी होकर नौकरी छोड़ी थी इसीलिए बॉलीवुड फिल्म की तर्ज पर कुछ प्रतिभाशाली पत्रकारों और पुलिसवालों ने कहानी बनाई कि बदला लेने के लिए यह कांड किया। 21 मई 2008 को दिल्ली पुलिस ने इस मामले में रुचि दखाई अगले ही दिन फिर ऑनर किलिंग की बात सामने आई। बताया गया कि आरुषि ने अपने निकट के दोस्त से 45 दिन के अंदर 688 बार बात की थी। इसके बाद लगा कि मामला सुलझ जाएगा कहा गया कि राजेश तलवार ने पुलिस को सब कुछ बता दिया है। 23 मई को दोहरे हत्याकांड में राजेश तलवार की गिरफ्तारी हो गई। जून मह की पहली तारीख को सीबीआई ने मामला अपने हाथ में लिया और 13 तारीख को राजेश तलवार के नौकर कृष्णा को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया। लेकिन कुछ पता नहीं चल। अलग-अलग अंदाजी कहानियां हवाओं में तैरती रही दिल्ली की एक अदालत ने 20 जून को राजेश तलवार का लाइ डिटेक्ट टैस्ट करवाया और 25 जून को नुपुर तलवार का भी लाई डिटेक्टर से टेस्ट हुआ, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला। 26 जून को जब सीबीआई ने जब इसे एक अंधा कत्ल घोषित करते हुए अपने हाथ खड़े किए तो सारा देश सकते में आ गया।
एक किशोरी का उसके ही घर में कत्ल हुआ और किसी को खबर तक नहीं लगी। दो-दो हत्याएं हो गईं। लेकिन सीबीआई सुलझा नहीं सकी। 12 जुलाई 2008 को राजेश तलवार को भी गाजियाबाद की दसना जेल से मुक्त कर दिया गया। इसके बाद लगभग दो वर्ष बाद जनवरी 2010 में सीबीआई ने कोर्ट में दर्खास्त लगाई कि तलवार दंपत्ति का नेक्रो टेस्ट करने की इजाजत दी जाए। लेकिन उसमें बात आगे नहीं बढ़ी। 29 दिसंबर को जब सीबीआई ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की तो नौकरों को क्लीन चिट दे दी, लेकिन माता-पिता पर शक बरकरार रखा। इस दौरान मामला चलता रहा। जनता यह जानकर हैरान थी कि देश की सर्वोच्च एजेंसी इस मामले को सुलझा नहीं पा रही है। इस दौरान जनवरी 2011 में गाजियाबाद के कोर्ट में राजेश तलवार पर हमला भी हुआ और अगले माह सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए न्यायालय ने तलवार दंपत्ति पर हत्या करने और सबूत मिटाने का आरोप लगाते हुए जांच शुरू कर दी। जिसके विरुद्ध तलवार दंपत्ति इलाहाबाद हाईकोर्ट भी गए, लेकिन वहां से राहत नहीं मिली। मार्च 2011 में जब तलवार दंपत्ति ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली तो लगभग 10 माह के लिए इस मामले में ट्रायल रोक दी गई, लेकिन जनवरी 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने तलवार दंपत्ति की अपील ठुकराते हुए उनके खिलाफ ट्रायल शुरू करने की अनुमति दे दी और जून 2012 में विशेष न्यायाधीश एस लाल के समक्ष सुनवाई शुरू हो गई। वर्ष 2013 के अक्टूबर माह में इस मामले में अचानक तेजी आई और अंतिम बहस शुरू हुई। 25 नवंबर 2013 को जब न्यायालय ने तलवार दंपत्ति को ही दोहरे हत्याकांड का दोषी पाया तो सारा देश सकते में था। कोई माता-पिता इतने निर्दयी कैसे हो सकते हैं कि वे अपनी ही बेटी का कत्ल कर डालें, लेकिन यह सच था। हालांकि आरुषि जैसी छोटी बच्ची का चरित्र हनन करना उचित नहीं है। लेकिन जैसा कोर्ट में बताया गया कि 15-16 मई की रात 12 से 1 बजे के बीच राजेश तलवार ने अपनी बेटी को नौकर हेमराज के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया और गुस्से में दोनों के सिर पर गोल्फ स्टिक मार दी। जिससे दोनों लहुलुहान होकर बेहोश हो गए। बाद में सर्जिकल ब्लेट से राजेश तलवार ने दोनों का गला काट दिया। डॉ. नुपुर तलवार (आरुषि की मां) शोर सुनकर आरुषि के कमरे में पहुंची तो देखा कि नौकर और बेटी खून से सने हुए हैं। राजेश ने पूरी घटना अपनी पत्नी को बताई। नुपुुर के सामने ही डॉ. राजेश तलवार ने दोनों का गला काटा और फिर दोनों ने मिलकर आरुषि के कपड़े ठीक किए और सबूत मिटा दिए।