कानून के तेज से बच पाएंगे तेजपाल
05-Dec-2013 08:40 AM 1234782

तेजपाल को गोवा में छह दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया है। उनके विरोधी कहते हैं कि यह काफी नहीं है और उनके समर्थक कह रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी तेजपाल को फंसाने की कोशिश कर रही है। खास बात यह है कि कांग्रेस और बीजेपी का एंगल भी कहीं न कहीं इस प्रकरण में बनता नजर आ रहा है। जैसे कांग्रेस की एक बड़ी नेत्री ने कहा कि तेजपाल की ट्रॉयल गोवा के बाहर होनी चाहिए। वहीं अरुण जेटली ने यह कहा कि कांग्रेस की बदौलत ही यह मुद्दा राजनीतिक बना है। बहरहाल कोर्ट इन सबसे अलग अपनी राय दे चुका है। कोर्ट ने तेजपाल को छह दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। अदालत में जिरह के दौरान यह भी कहा गया कि तेजपाल गिरगिट की तरह रंग बदलते हैं। सचमुच वे रंग बदल ही रहे हैं। एक पत्रकार होते हुए भी वे सही अर्थों में बिजनेसमैन थे और अपना आर्थिक सशक्तिकरण करने में विशेष रूप से सक्रिय थे।
इसकी चर्चा हम आगे करेंगे, लेकिन तेजपाल ने जिस तरह पत्रकारिता जगत में अपना मुकाम बनाया है और बड़े-बड़े लोग उनकी दहलीज पर मत्थे टेकने लगे वह किसी चमत्कार से कम नहीं है। उनकी यौनाकांक्षाएं उन्हें धरातल पर ले आएंगी। इस बात की आशंका किसी को नहीं थी क्योंकि तेजपाल के अलावा भी भारतीय पत्रकारिता जगत में कई स्थापित नाम हैं जिनके चर्चे मशहूर हैं, लेकिन उनके ऊपर हाथ डालने की हिम्मत किसी की नहीं होती। बहरहाल इतना सब होने के बाद भी तेजपाल के प्रति कुछ लोगों का आकर्षण किसी चमत्कार से कम नहीं है और यह इस बात कि स्थापना करता है कि स्त्री के शोषण के लिए सारे चोर मौसेरे भाई बनने को तैयार हैं। तेजपाल के बारे में काफी कुछ लिखा जा चुका है हमारी यह खबर तो केवल उन लोगों की पड़ताल करने के लिए है जो तेजपाल की तरफदारी के लिए किसी भी सीमा तक जाने के लिए तैयार हैं। क्योंकि तेजपाल ने पत्रकारिता को अपना पेशा नहीं बनाया बल्कि व्यवसाय में तब्दील कर लिया। उनके कारनामों की फेहरिस्त लंबी है और जिसका बयान उनके ही अपने खास लोग मीडिया में कर रहे हैं।
तरुण तेजपाल का पत्रकारिता की दुनिया में पदार्पण किसी तिलस्मी कहानी से कम रोचक नहीं है। एनडीए सरकार के कद्दावर मंत्रियों को ध्वस्त करते हुए और बंगारू लक्ष्मण जैसे भाजपा अध्यक्ष के कॅरियर को समाप्त करते हुए तरुण तेजपाल की तहलकानुमा पत्रकारिता का श्रीगणेश हुआ था। भारत में उस समय बाजारवाद पूरी पकड़ बना चुका था। इसीलिए मीडिया के जिन प्रखर पत्रकारों को सम्माननीय माना जाता था। वे भी कमोवेश बड़े बिजनेस हाउस के हाथों की कठपुतली बनकर बैठे हुए थे। ऐसे दौर में तेजपाल का तेज बिखरने लगा। कई स्टिंग ऑपरेशन उन्होंने किए। उन पर आरोप लगा कि कांग्रेस ने उन्हें शह दे रखी है। खासकर एनडीए सरकार के कार्यकाल में किए गए भंडाफोड़ ने तेजपाल की इस छवि को मजबूत किया। लेकिन कालांतर में वे कुछ और ऐसे करिश्मे दिखाते चले गए जिससे लगा कि यह पत्रकार पत्रकारिता के मूल्यों को शिखर तक पहुंचाने के लिए संकल्पित है और किसी पार्टी का दलाल नहीं है। यह तेजपाल के व्यक्तित्व का एक अलग पहलू है। वे सच्चाई के जाबांज योद्धा हैं ऐसा लोग मानते थे। उनके स्टिंग ऑपरेशन्स और उनके द्वारा निकाली गई पत्रिका के अंकों में प्रकाशित सामग्री जिसमें मुख्य रूप से भ्रष्टाचार का सनसनीखेज खुलासा रहता है इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है। किंतु फिर भी पत्रकारिता की दुनिया में ऐसा मानने वालों की कमी नहीं है जो कहते हैं कि तेजपाल सनसनीखेज पत्रकारिता के सरताज हैं और बॉलीवुडिया फिल्मों की स्टाइल में थोड़ा देर का चमत्कार पैदा कर फिर कहीं दुबक जाते हैं। कुछ हद तक यह सही भी हो सकता है।
जैसे कोयला घोटाले के समय उम्मीद की जा रही थी कि तेजपाल की प्रखरता कहीं न कहीं इस घोटाले में कुछ अलग तलाशने की कोशिश करेगी। लेकिन वैसा नहीं हुआ और भी कई उदाहरण हैं जिससे प्रतीत होता रहा कि तेजपाल का झुकाव किसी एक तरफ हो रहा है। वैसे राजनीतिक प्रतिबद्धताएं रखने का हक सबको है। कई बार पेशे में भी इसकी झलक दिखने लगती है।
बहरहाल कई पुरस्कारों से नवाजे गए एशिया के सर्वाधिक धुरंधर पत्रकारों में शुमार तेजपाल का नाम एक अलग वजह से चर्चा में है। गोवा में थिंक फेस्ट के दौरान बुढ़ाते तेजपाल के शरीर का हार्मोन स्तर अचानक बढ़ गया और उन्होंने अपनी बेटी की उम्र की एक सहकर्मिणी या यों कहें कि उनके संस्थान की कर्मचारी के साथ न केवल बदतमीजी की बल्कि उसे धमकी भी दी। बताया जाता है कि लिफ्ट में यह वाकया घटा। लड़की तेजपाल से बेहद प्रभावित थी और उनकी पुत्री की घनिष्ठ मित्र थी, लिहाजा तेजपाल को अपना पिता मानते हुए बेहिचक हर कदम पर उनके साथ थी। किंतु तेजपाल की बुढ़ाती जवानी लड़की की चढ़ती जवानी को लपलपाती नजरों से देख रही थी और जब उनकी वासना ने उनके विवेक को लगभग खोखला कर दिया तो उन्होंने उस बच्ची के साथ बेहद अपमानजनक और असहनीय सलूक कर डाला।
तेजपाल की खासियत यह है कि वे बलात्कार पर पुलिस वालों के विचार को लेकर भी स्टिंग आपरेशन कर चुके हैं। इस स्टिंग ऑपरेशन का सार (बकौल पुलिस) यह था कि स्त्री को पुरुष के लिए सुलभ रहना चाहिए अन्यथा ऐसी परिस्थितियों से बचना चाहिए जहां वह सुलभ हो जाती है। उस दिन तेजपाल ने भी उन्हीं पुलिस के पुरुषवादी कांस्टेबलों की मानसिकता को सच सिद्ध किया और एक सुलभ स्त्री को अपना शिकार बनाने की कोशिश की। जो व्यक्ति अपने स्टिंग आपरेशनों, रिपोर्टों, लेखों द्वारा समाज को बदल डालना चाहता था वह खुद नहीं बदल पा रहा था। उसके भीतर का भेडिय़ा केवल खाल ओढ़े बैठा हुआ था। मुझे स्मरण है कुछ वर्ष पूर्व जब जया, जेटली से एक साक्षात्कार में तरुण तेजपाल के बारे में पूछा गया था तो उन्होंने पूरे तहलका समूह को जर्नलिस्ट की सुपारीÓ निरूपित किया था। उस लड़की के प्रकरण ने यह सिद्ध किया कि धमकाना तेजपाल का स्थायी भाव है। लड़की को भी नौकरी की धमकी दी गई, उसे मुंह चुप रखने का कहा गया। तेजपाल के शुभचिंतकों और रिश्तेदारों ने लड़की के माता-पिता के पास जाकर पूछा आपको क्या चाहिए। जो व्यक्ति नैतिकता और ईमानदारी की ध्वजा का वाहक बन बैठा था उसकी टीम के लोग लड़की के परिवारवालों को खरीदने की कोशिश कर रहे थे और उन्हें धमका भी रहे थे। सोशल मीडिया पर भी कुछ ऐसे ही तेजपाल समर्थक बौद्धिक जुगाली करते नजर आए। जिनका कमोबेश सार यही था कि तहलकानुमा पत्रकारिता के रूप में जिस तरह तेजपाल ने समाज का भला किया है उसे बख्श देना चाहिए। ये लोग एक महान पत्रकार के पतन के प्रति चिन्तित थे। उन्हें यह चिंता नहीं थी कि कल को तेजपाल जैसे व्यक्ति के समक्ष उनकी अपनी बेटियां भी सुरक्षित नहीं हैं और वह व्यक्ति अपनी ताकत का दुरुपयोग किसी भी पल कर सकता है।
तरुण तेजपाल निर्विवाद रूप से भारत के सबसे समर्थ पत्रकारों में से एक हैं और सौभाग्य से वे धनवान भी हैं। उनके धन का स्रोत क्या है यह अलग विषय हो सकता है, लेकिन तेजपाल इतनी ताकत तो रखते ही हैं कि इस बवंडर से अपने आपको निकाल लें। वैसे भी भारतीय मीडिया किसी विषय को तेजी से उठाकर बाद में उसे भूलने के लिए विख्यात है। तेजपाल मीडिया में छाए हुए हैं और ऐसी ही कितनी कलंक गाथाएं मीडिया में देखी जा सकती हंै। सुप्रीम कोर्ट के एक जज पर यौन शोषण का आरोप लगा है जिसकी जांच की जा रही है। मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के सह सचिव अल्पेश शाह पर अंडर-19 टीम की महिला क्रिकेटर के साथ यौन उत्पीडऩ करने का आरोप लगा है। तेजपाल के खिलाफ गोवा पुलिस में पीडि़ता ने अपना बयान रिकार्ड करवा दिया है। गोवा भाजपा शासित राज्य है और भाजपा तथा तेजपाल का 36 का आंकड़ा है। यह किसी से छिपा नहीं है, लेकिन जिस तरह से पुलिस जांच कर रही है उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि इस मामले में राजनीतिक हस्तक्षेप की गुंजाइश कम से कम है। तेजपाल पर कांग्रेस की चुप्पी कहीं न कहीं शंका में डाल रही है। क्योंकि गुजरात में एक लड़की की जासूसी के मामले में कांग्रेस और दिल्ली के महिला आयोग ने बहुत तत्परता दिखाई थी, लेकिन तेजपाल के मामले में ऐसी कोई तत्परता देखने को नहीं आई। नैतिकता की दुहाई देने वाला तहलका संस्थान भी इस मामले में बड़ी अजीब दलीलें देता पाया गया। संस्था की प्रमुख शोमा चौधरी ने कहा कि तेजपाल ने इस प्रकरण के लिए माफी मांग ली है और खुद को सजा देते हुए छह माह के लिए सेवा से अलग हो गए हैं। जिस देश के सुप्रीम कोर्ट ने छेड़छाड़ को भी बलात्कार जैसा ही आरोप माना है उस देश में किसी संस्था की महिला प्रमुख अपनी ही संस्था के एक व्यक्ति को इसलिए बचाने में लगी हुई थी क्योंकि वह उनके लिए कुछ ज्यादा ही उपयोगी था। तेजपाल को बचाने के लिए वकीलों की कतार भी लग सकती है क्योंकि कथित रूप से कपिल सिब्बल और राम जेठमलानी का पैसा तहलका में लगा हुआ था और भी कई शुभचिंतक हैं जो तेजपाल को बचाने के लिए आगे आ सकते हैं, लेकिन आसाराम बापू के मामले में यदि हम न्याय की मांग कर रहे हैं तो हमारा फर्ज बनता है कि हर मामले में न्याय की मांग की जाए और हर व्यक्ति को हर पीडि़ता को न्याय मिल सके। यदि इसी तरह ताकतवर लोगों की दहलीज पर न्याय दम तोड़ता रहेगा तो देश के कानून में किसी की आस्था नहीं रहेगी। ताकतवर तेजपाल देश की न्याय व्यवस्था को चकमा देने की कोशिश कर सकते हैं। इसलिए ज्यादा सतर्कता से इस मामले की जांच होना चाहिए।
तहलका का आर्थिक साम्राज्य
तरुण तेजपाल और शोमा चौधरी का आर्थिक साम्राज्य कुछ अलग ही कहानी कहता है। कहने को तो ये पत्रकारिता जगत के बड़े सभ्य और सुशोभित नाम हैं किंतु इसकी सच्चाई बड़ी दर्दनाक है। तरुण तेजपाल के ही एक पूर्व सहयोगी रमन कृपाल ने अपने लेख में तरुण तेजपाल के आर्थिक साम्राज्य का सिलसिलेवार खुलासा किया है। जिससे यह जाहिर होता है कि तेजपाल पत्रकार कम दुकानदार ज्यादा थे। तेजपाल और उनकी सहयोगी शोमा ने 10 रुपए के शेयर 13,189 रुपए के प्रीमियम पर बेचने का कारनामा कर दिखाया था। इससे उन्हें बड़ा फायदा हुआ। जाहिर सी बात है जिसने भी यह शेयर खरीदे वह कोई लाभार्थीÓ ही रहा होगा। खास बात यह है कि जिसने भी यह शेयर इतने विशाल दामों पर खरीदे उसे कहीं न कहीं तहलका नुमा पत्रकारिता रुबरू जरूर होना पड़ा होगा। क्योंकि एक दौर ऐसा था जब तहलका के पत्रकारों की तनख्वाह दो-दो माह तक रुकी रहती थी लेकिन शेयर धारकों के शेयर में लगातार इजाफा होता चला गया। जिन शेयर धारकों को अनंत मीडिया प्राइवेट लिमिटेड के घाटे में चलने के बावजूद भी फायदा हुआ उनमें तेजपाल के परिजन, शोमा चौधरी शामिल हैं। राम जेठमलानी (165 शेयर), कपिल सिब्बल (80 शेयर), लंदन आधारित उद्यमी प्रियंका गिल (4242 शेयर) भी तहलका में निवेश करने वालों में से हैं। हालांकि कपिल सिब्बल ने तहलका में किसी भी तरह की भागीदारी से इनकार किया है। सिब्बल का कहना है कि वे तो यह भी नहीं जानते कि तरुण तेजपाल ने उनके नाम से शेयर जारी किए थे। हालांकि उन्होंने स्वीकारा कि उन्होंने तहलका में पांच लाख रुपए का डोनेशन दिया था। यह 80 शेयर वर्ष 2005 में जारी किए गए थे। सिब्बल सही कह रहे हैं क्योंकि तेजपाल ने वर्ष 2005 से पहले कई बड़े लोगों से डोनेशन लिया। उन्होंने बॉलीवुड से ही कई अभिनेताओं से 1-1 लाख रुपए डोनेशन लेकर 2 करोड़ रुपए एकत्रित किए जिनमें आमिर खान और नंदिता दास शामिल है। जाहिर सी बात है इन सब लोगों ने एक अच्छे लक्ष्य के लिए सहयोग किया। हालांकि यह आइडिया ज्यादा दिन तक नहीं चला। बाद में कई संदिग्ध सौदे हुए और कुछ दागी कंपनियों ने भी तहलका में पैसा लगाया। मुख्य रूप से छह निवेशक थे। फकरुद्दीन, ताहिर भाई, खोरकीवाला, एके गुर्टू होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड, एनलाइटंड कंसलटेंसी सर्विसेस प्रा. लिमिटेड, वेल्डन होलिमर्स प्रा. लिमिटेड, राजस्थान पत्रिका प्राइवेट लिमिटेड, रॉयल बिल्डिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर प्रा. लिमिटेड (तृणमूल राज्यसभा सांसद केडी सिंह का उपक्रम) ने तहलका में निवेश किया। राजस्थान पत्रिका और खोरकीवाला को छोड़कर बाकी सबको बहुत नुकसान हुआ और वह परिदृष्य से गायब ही हो गए। वेबसाइट फाइल पोस्ट की खोजबीन में पता लगा इनमें से अधिकांश ब्रीफ केस कंपनियां थी जो अज्ञात स्रोतों से आए धन को ठिकाने लगाने के लिए अस्तित्व में आई थीं जिसे अनंत मीडिया प्राइवेट लिमिटेड में निवेशित किया गया। तहलका के निवेशकों की यह विशेषता रही है कि वे कुछ समय के लिए सीन में आते हैं और घाटा खाने के बाद अदृश्य हो जाते हैं, लेकिन कुछ ऐसे हैं, जिन्हें चमत्कारिक रूप से लाभ प्राप्त हुआ। उदाहरण के लिए एक समय फीचर एडिटर रही शोमा चौधरी को अनंत मीडिया द्वारा 10 रुपए प्रति शेयर के हिसाब से 1500 इक्विटी शेयर बेचे गए। 14 जून 2006 को शोमा ने 500 शेयर एके गुर्टू होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड को 13189 प्रति शेयर के प्रीमियम पर बेच डाले और 65 लाख 94 हजार 500 रुपए का फायदा उठाया। इसका अर्थ यह हुआ कि शोमा चौधरी का पांच हजार रुपए का निवेश चंद दिनों में ही लगभग 66 लाख रुपए में तब्दील हो गया। तरुण तेजपाल की धरम पत्नी गीतन बत्रा का आर्थिक सशक्तिकरण भी चमत्कारिक है उन्होंने भी अपने 2000 शेयर एके गुर्टू को 13189 के प्रीमियम पर बेचकर 2.64 करोड़ रुपए कमा लिए। तेजपाल के भाई मिंटी कुंवर भी रातों-रात अमीर बन गए। एके गुर्टू को 1500 शेयर इसी भाव पर 2 करोड़ रुपए में बेचकर। तेजपाल के पिता ने भी एके गुर्टू को 1000 शेयर 1.32 करोड़ में बेचे और माता ने भी इसी कंपनी को इसी कीमत पर 1000 शेयर बेचे। तेजपाल की बहन नीना टी शर्मा ने 500 शेयर इसी कीमत पर बेचकर 57 लाख रुपए कमा लिए। तरुण तेजपाल ने तो और भी कमाल किया। उनके नाम कोई भी शेयर नहीं थे अचानक उन्होंने दो लोगों शंकर शर्मा और देविना मेहरा से 10 रुपए प्रति शेयर के हिसाब से 14 जून 2006 को 4,125 शेयर खरीदे। कमाल की बात तो यह है कि इसी दिन शेयर की प्राइज 13,189 रुपए भी थी। शेयर के इतिहास में यह कमाल केवल तहलका ही कर सकता है और उसके लेन-देन पर किसी की नजर भी नहीं पड़ती क्योंकि उसे तो ईमानदारी का सर्टिफिकेट मिला हुआ है। शेयर का घपला करके तरुण ने बेतहाशा दौलत बना ली थी, लेकिन उनका संस्थान गरीब था और घाटे में चल रहा था। 10 रुपए के शेयर 2000 से लेकर 13 हजार रुपए तक बेचने वाले तेजपाल देश के भ्रष्टाचारियों के चरित्र को बेनकाब कर रहे थे।
लगातार घाटे के बाद भी तरुण एक दो या तीन नहीं बल्कि आठ कंपनियां चला रहे थे। तहलका मैगजीन को प्रकाशित करने वाली कंपनी अनंत मीडिया प्राइवेट लिमिटेड को साल 2011-12 के दौरान कुल 13 करोड़ रूपए का घाटा हुआ। इसी साल तेजपाल ने थ्राइविंग आट्र्स प्राइवेट लिमिटेड नाम से नई कंपनी बनाई। यह कंपनी दिल्ली के ग्रेटर कैलाश-2 में एक एलिट क्लब बनाने जा रही है। सिर्फ थिंकवर्क्स प्राइवेट लिमिटेड को पिछले वित्तीय वर्ष के अंत में 1.99 करोड़ रूपए का फायदा हुआ था। यह कंपनी गोवा में हर साल थिंकफेस्ट इवेंट का आयोजन करती है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि तेजपाल के ज्यादातर निवेशकों का तहलका की पत्रकारिता और उसकी ओर से उठाए जाने वाले समाजिक मुद्दों से कोई लेना देना नहीं है। उनका कहना है कि तेजपाल के किसी भी वेंचर्स में किसी तरह के निवेश का फैसला पूरी तरह से व्यावसायिक है। उनका मकसद सिर्फ तेजी से पैसा कमाना है और उपयुक्त वक्त पर बाहर निकला है। राज्यसभा के सांसद केडी सिंह ने एक समाचार पत्र को बताया कि तेजपाल के वेंचर्स में निवेश का फैसला पूरी तरह से व्यावसायिक है। हमारी इच्छा है कि उपयुक्त वक्त पर बाहर निकल जाना। सिंह के समूह की फर्म अल्केमिस्ट के अनंत मीडिया प्राइवेट लिमिटेड में 65.75 फीसदी हिस्सेदारी है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर तेजपाल के वेंचर्स लगातार घाटे में हैं तो निवेशक क्यों और कैसे पैसा लगा रहे हैं? तहलका की आर्थिक अनियमितताओं की सूची बहुत लंबी है। जो ईमानदारी के झंडावरदार है उनके खुद के दामन में कितने दाग हैं यह इन आर्थिक अनियमितताओं से पता लग सकता है।

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