05-Dec-2013 08:45 AM
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शारदा समूह चिटफंड घोटाले में तृणमूल कांग्रेस के निलंबित सांसद कुणाल घोष की गिरफ्तारी ने ममता बनर्जी को चिंता में डाल दिया है। घोष पुलिस रिमांड पर हैं और अब ममता के राज खोलने की धमकी दे रहे हैं। बिधाननगर के अतिरिक्त

मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने घोष की जमानत याचिका खारिज करते हुए उन्हें पांच दिनों की पुलिस हिरासत में भेजने का आदेश दिया था शारदा समूह के मीडिया व्यवसाय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) घोष को भी गिरफ्तार किया गया था। उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 420 (धोखाधड़ी), 406 (आपराधिक विश्वासघात) और 120बी (षड्यंत्र) का मामला दर्ज किया गया है। राज्य पुलिस ने घोष के आवास की तलाशी ली थी। उनकी गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने कहा कि उसके पास इस बात के पर्याप्त साक्ष्य हैं कि घोष ने सुदीप्तो सेन (शारदा समूह के प्रमोटर और घोटाले के प्रमुख आरोपी) के अधिकांश गलत कार्यों में बराबर की भूमिका निभाई थी।
दरअसल अक्टूबर माह में प्रवर्तन निदेशालय की जिरह का सामना करने के बाद तृणमूल के निलंबित सांसद ने शारदा चिटफंड मामले में सीधे तौर पर पश्चिम बंगाल के बहुचर्चित परिवहनमंत्री मदन मित्र पर आरोपों की बौछार कर दी दी। कुणाल के मुताबिक विष्णुपुर से शारदा के सुदीप्तो सेन के उत्थान की कथा मदन मित्र को ही मालूम है। शारदा फर्जीवाड़े से दागी मंत्रियों, सांसदों, विधायकों और नेताओं की लंबी सूची है।आरोप है कि शारदा का पैसा ठिकाने लगाने के लिए सांसद और पूर्व रेलमंत्री मुकुल राय व कुणाल घोष के साथ बैठक के बाद ही सीबीआई को पत्र लिखकर अपनी खासमखास देबजानी के साथ सुदीप्त काठमांडु पहुंच गये और उन्हीं के इशारे पर लौटकर कश्मीर में जोड़ी में पकड़े गये। तब से संगी साथियों के साथ सुदीप्तो और देबजानी सरकारी मेहमान हैं। जिस सीबीआई को खत लिखने से इस प्रकरण का खुलासा हुआ, मजे की बात है, चिटपंड फर्जीवाड़े की जांच में उसकी कोई भूमिका ही नहीं है। चिटपंड कारोबार में अपना चेहरा काला होने की वजह से सत्ता से बेदखल वामपंथी विपक्षी नेता भी इस मामले में ऊंची आवाज में कुछ भी कहने में असमर्थ हैं। नतीजतन इस मामला से पीछा छुड़ाने के लिए मां माटी मानुष की सरकार राजकोष से आम टैक्स पेयर जनता के पैसे का वारा न्यारा करके चिटपंड के शिकार लोगों का जुबान बंद रखने को मुआवजा बांटकर दागी मंत्रियों, सांसदों, विधायकों और नेताओं का पाप धोने में लगी है। रोज एक के बाद एक सनसनीखेज खुलासा हो रहा है। लेकिन न जांच हो रही है और न रिकवरी। तृणमूल कांग्रेस से निलंबित किए जा चुके घोष ने बार बार दावा किया कि उन्हें चिटफंड घोटाले के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। लेकिन वे बार बार सबकुछ खुलासा कर देने की धमकी भी साथ साथ दे रहे हैं।
केंद्र और राज्य सरकार की ओर से शारदा फर्जीवाड़े मामले के भंडाफोड़ के बाद नया कानून बनाकर चिटफंड कारोबार रोकने की कवायद भी बंद हो गयी है। बहरहाल सेबी को पोंजी कारोबार रोकने के लिए संपत्ति जब्त करने और गिरफ्तारी के पुलिसिया अधिकार जरूर दिये गये। सेबी रोजवैली और एमपीएस जैसी कंपनियों को नोटिस जारी करके निवेशको के पैसे लौटाने के लिए बार बार कह रही है। इस बीच एमपीएस के पचास से ज्यादा खाते बी सेबी ने सील कर दिया। लेकिन शारदा समूह समेत किसी भी चिटफंड कंपनी से न कोई रिकवरी संभव हुई है और न निवेशकों को किसी कंपनी ने पैसे लौटाये हैं। शिकंजे में फंसी पोंजी स्कीम चलाने वाली कंपनियों के कारोबार पर थोड़ा असर जरुर हुआ है, लेकिन बाकी सैकड़ों कंपनियों का कारोबार बेरोकटोक चल रहा है। सीबीआई जांच हो नहीं रही है। अब जरुर केंद्र की ओर से प्रवर्तन निदेशालय और कार्पोरेट मंत्रालय के गंभीर धोखाधड़ी अपराध जांच आफिस भी जांच में लग गये हैं। लेकिन रोजाना सनसनीखेज राजनीतिक खुलासे के अलावा कुछ हो नहीं रहा है। अकेले शारदा ग्रुप से जुड़े पश्चिम बंगाल के कथित चिटफंड घोटाले के 2,460 करोड़ रुपये तक का होने का अनुमान है। ताजा जांच रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि 80 पर्सेंट जमाकर्ताओं के पैसे का भुगतान किया जाना बाकी है। रिपोर्ट कहती है कि गिरफ्तार किए गए शारदा के चेयरमैन सुदीप्त सेन का उनके समूह की सभी कंपनियों की सभी जमा रकम पर पूरा कंट्रोल था। सेन पर आरोप है कि उन्होंने कथित फ्रॉड करके फंड का गलत इस्तेमाल किया। पश्चिम बंगाल पुलिस और ईडी की इस संयुक्त जांच रिपोर्ट के मुताबिक, 2008 से 2012 की समूह की सारी रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि समूह की चार कंपनियों ने अपनी पॉलिसियां जारी करके 2459 करोड़ रुपये को ठिकाने लगाया है। इन्वेस्टर्स को 476.57 करोड़ रुपये का पेमेंट हुआ। 16 अप्रैल 2013 तक निवेशकों को 1983.02 करोड़ रुपये का प्रिंसिपल अमाउंट दिया जाना बाकी था। निवेशकों की ओर से अब तक 560 शिकायतें दाखिल की गई हैं। इस घोटाले का खुलासा इस साल की शुरुआत में हुआ था।
शारदा फर्जीवाड़ा के भंडाफोड़ के बाद तमाम दूसरी कंपनियों का पोंजी चेन गड़बड़ा जाने से निवेशकों का पैसा फंस गया है।